24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

राज्य हित सबसे ऊपर इससे राजनीति नहीं करें

Advertisement

अनुज कुमार िसन्हा हा ल में मुख्यमंत्री रघुवर दास के कुछ फैसले आैर कुछ बयान आये. ये हैं – सरकार दाे लाख भूमिहीन आदिवासियाें काे जमीन देगी, रांची में बिरसा मुंडा शाैर्य स्थल का निर्माण हाेगा, झारखंड में सरना स्थल की चहारदीवारी बनेगी, झारखंड के शहीदाें की याद में स्मारक बनेगा आदि. इन फैसलाें आैर […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

अनुज कुमार िसन्हा
हा ल में मुख्यमंत्री रघुवर दास के कुछ फैसले आैर कुछ बयान आये. ये हैं – सरकार दाे लाख भूमिहीन आदिवासियाें काे जमीन देगी, रांची में बिरसा मुंडा शाैर्य स्थल का निर्माण हाेगा, झारखंड में सरना स्थल की चहारदीवारी बनेगी, झारखंड के शहीदाें की याद में स्मारक बनेगा आदि. इन फैसलाें आैर घाेषणाआें के कुछ अर्थ हैं. इसका एक अर्थ यह भी है कि आदिवासियाें का विकास मुख्यमंत्री के एजेंडे में है. हाल में राज्य जिन स्थितियाें से गुजर रहा है, वहां इन घाेषणाआें-फैसलाें का बहुत ज्यादा महत्व है. कम से कम संदेश देने में.
अगर इन फैसलाें आैर घाेषणाआें काे जल्द लागू कर दिया जाता है ताे राज्य में, आदिवासियाें के बीच में सरकार के प्रति बेहतर संदेश जायेगा. बिरसा मुंडा आदिवासियाें में पूजनीय हैं. उनकी याद-सम्मान में अगर शाैर्य स्थल का निर्माण हाेता है, ताे इसे हर काेई सराहेगा. अगर दाे लाख भूमिहीन आदिवासियाें काे समय पर जमीन मिल जाती है (जाे सरकार देना चाहती है), ताे अच्छा संदेश जायेगा. अगर सरना स्थल की घेराबंदी हाेती है, उसे सुरक्षित किया जाता है, ताे इस काम की प्रशंसा हाेगी. यह काम करना है ब्यूराेक्रैट्स काे. मुख्यमंत्री जाे घाेषणा करते हैं, उसे लागू कराने की जिम्मेवारी ताे अफसराें की है. ये अफसर अड़ंगा अड़ाते रहे हैं आैर इसका खमियाजा सरकार काे भुगतना पड़ता है. दर्जनाें ऐसे मामले हैं, जहां सरकार कुछ करना चाहती है, लेकिन फाइल सालाें साल तक पड़ी रहती है.
अभी बड़ा मुद्दा है छाेटानागपुर टेनेंसी एक्ट (सीएनटी) आैर संतालपरगना टेनेंसी एक्ट (एसपीटी) में संशाेधन का. संशाेधन का अध्यादेश जब से भेजा गया है, पूरे राज्य में काेई बड़ा काम नहीं हाे पा रहा है. सिर्फ राजनीति हाे रही है. सरकार अपना पक्ष रख रही है, विपक्ष अपनी बात कह रहा है. हाे-हल्ला. एक-दूसरे काे काेई समझा नहीं पा रहा है. एक आम आदिवासी समझ नहीं पा रहा है कि आखिर हाे क्या रहा है. वह यह समझ नहीं पा रहा है कि यह संशाेधन उसके हित में है या अहित में. नेता उसे जैसा समझा रहे हैं, वे समझ जा रहे हैं. नेताआें की अपनी राजनीति है. इस सीएनटी ने राज्य में विपक्ष के हाथ में एक मुद्दा दे दिया है. रैली-धरना का दाैर चल रहा है. खेमेबाजी से राज्य का भला-विकास नहीं हाे सकता.
खुद सत्ता पक्ष में ऐसे विधायक हैं, जाे अपनी बैठकाें में खुल कर नहीं बाेलते, लेकिन बाद में विराेध करते हैं. विपक्ष नफा-नुकसान देख कर अपनी राजनीति कर रहा है. नेता (चाहे वे पक्ष के हाें या विपक्ष के) काे यह समझना चाहिए कि यह बड़ा संवेदनशील मुद्दा है, इस पर वे गंभीर रहें. आेछी राजनीति न करें. राज्य का हित सबसे ऊपर है. अगर संशाेधन में कहीं असहमति है, ताे बतायें कि कहां पर गड़बड़ी है, क्या हाेना चाहिए.
राजनीतिक दल दाेहरी बात न करें. राजनीतिक मर्यादा का ख्याल रखें. पहले वे साफ-साफ बतायें कि सीएनटी में संशाेधन हाेना चाहिए या नहीं? सिर्फ आलाेचना न करे, बल्कि रास्ता दिखाये, समाधान बताये. काैन सा मॉडल झारखंड के लिए बेहतर हाेगा, यह बतायें. यह काम सरकार का भी है कि वह विपक्ष काे विश्वास में ले. सिर्फ विपक्ष काे ही नहीं, बल्कि आदिवासी समाज के पारंपरिक लीडर्स से बात कर उनकी भी सुने, रास्ता निकाले. अगर लगता है कि विपक्ष या आदिवासी समाज के तर्क में दम है, कुछ सुझाव है, ताे उस पर सरकार लचीला रूख अपनाये. इसे पक्ष या विपक्ष, अपनी प्रतिष्ठा का सवाल न बनायें. रास्ता तलाशें.
संभव है कि कुछ बड़े आदिवासी नेता संशाेधन काे अपने हिसाब से देख रहे हाें, राजनीति कर रहे हाें? ऐसे में आदिवासी समाज के सर्वमान्य नेताआें (राजनीतिक नहीं) काे आगे आना हाेगा. सीएनटी पर टीएसी की बैठक हाेनेवाली है, भाजपा विधायकाें की बैठक भी इसी मुद्दे पर हाेनेवाली है. इन बैठकाें में माैजूद लाेग इतनी ईमानदारी बरतें कि उनकी बाेली एक हाे. वे चाहते क्या हैं, स्पष्ट बतायें. अपनी बात रखें. ऐसा न हाे कि बैठक से बाहर निकल कर फिर दूसरी बाेली बाेलने लगें? इस मुद्दे पर पक्ष आैर विपक्ष काे समझना चाहिए कि रास्ता निकालने में जितना विलंब हाेगा, राज्य का विकास थमा रहेगा. राज्य का एक स्वर हाे. कुछ मुद्दे काे राजनीति से ऊपर हाेना चाहिए. राज्य हित पर पक्ष आैर विपक्ष का स्वर एक हाेना चाहिए. सीएनटी भी ऐसा ही मुद्दा है.
सर्वदलीय बैठक हाेती है, ताे उसमें हर दल राजनीतिक ईमानदारी दिखाये, साफ-साफ बताये कि रास्ता क्या है? सिर्फ टालनेवाली बात न करे? सरकार भी इस मामले में थाेड़ा समय ले, बहुत हड़बड़ी में बड़े फैसले लेने से नयी-नयी परेशानी पैदा हाे सकती है. पक्ष आैर विपक्ष का एक सार्थक प्रयास इस राज्य काे बहुत आगे ले जा सकता है. स्वार्थ से ऊपर उठ कर राज्य के विकास के लिए पहल हाे. इससे नेताआें का कद बढ़ेगा ही, घटेगा नहीं. हां, इस बात का ख्याल जरूर रहे कि किसी भी समाज के साथ अन्याय न हाे, उसके अधिकार का हनन न हाे. खुले मन से पक्ष-विपक्ष बैठे, आवश्यक हुअा ताे विधानसभा में बहस करें, लेकिन तय सीमा के भीतर बेहतर हल निकालने में काेई काेताही न बरतें. राज्य के बेहतर भविष्य के लिए इतना ताे कीजिए.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें