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संदर्भ : सबसे गंदा राज्य का धब्बा, आइए! सब मिल कर लें संकल्प-इसे ठीक करेंगे

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अनुज कुमार सिन्हा एनएसएसआे काे रिपाेर्ट आयी है. देश का सबसे गंदा राज्य है झारखंड (ग्रामीण इलाकाें के बारे में). यह झारखंड के लिए, यहां के लाेगाें के लिए शर्मनाक है. एक साल पहले जब रिपाेर्ट आयी थी कि इजी डुइंग बिजनेस में झारखंड का देश में तीसरा स्थान है, ताे सिर गर्व से ऊंचा […]

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अनुज कुमार सिन्हा
एनएसएसआे काे रिपाेर्ट आयी है. देश का सबसे गंदा राज्य है झारखंड (ग्रामीण इलाकाें के बारे में). यह झारखंड के लिए, यहां के लाेगाें के लिए शर्मनाक है. एक साल पहले जब रिपाेर्ट आयी थी कि इजी डुइंग बिजनेस में झारखंड का देश में तीसरा स्थान है, ताे सिर गर्व से ऊंचा हाे गया था. लेकिन अब सबसे गंदा राज्य कहलाना किसे पसंद हाेगा. यह भले ही ग्रामीण इलाके की बात हाे रही है, लेकिन अगर शहरी इलाकाें का भी सर्वे हाे ताे ऐसी ही रिपाेर्ट आने की संभावना सबसे ज्यादा रहेगी. हाल के दिनाें में सरकार ने राज्य की छवि बेहतर करने के लिए, निवेश आमंत्रित करने के लिए जितने भी प्रयास किये हैं, उन सब प्रयासाें पर ऐसी रिपाेर्ट से पानी फिर जाता है.
एक ही चर्चा हाेगी-सबसे गंदा राज्य झारखंड. मध्यप्रदेश, आेड़िशा, उत्तर प्रदेश आैर बिहार से भी यहां की स्थिति खराब. अच्छा नाम हाेगा-सिक्किम का. देश का सबसे साफ-सुथरा राज्य. गंदा आैर साफ राज्याें की सूची बनानेवाला एनएसएसआे है. यह केंद्र सरकार का संगठन है, जिसकी अपनी विश्वसनीयता है. सवाल उठता है दाेषी काैन? उत्तर भी स्पष्ट है-हम सभी यानी यहां रहनेवाले लाेग. इसका असर राज्य की छवि पर पड़ेगा. स्वच्छता का मतलब सिर्फ शाैचालय निर्माण नहीं है. सड़काें पर बहनेवाला पानी, कचड़ा, नालियाें का जाम हाेना, गंदे पॉलिथीन का इधर-उधर उड़ना भी इसी का हिस्सा है. अगर झारखंड गंदा राज्य है, ताे गंदगी काे फैलाने के लिए बाहर के लाेग नहीं आते हैं.
इस हालात (हम सबसे गंदे राज्य में रहते हैं) के लिए हमें शर्म आनी चाहिए. हमारे मंत्री, अफसर, विधायक-सांसद से लेकर मुखिया अपनी जिम्मेवारी से बच नहीं सकते हैं. जाे गंदगी फैलाते हैं, कानून काे नहीं मानते, उनके खिलाफ कितनी कार्रवाई हाेती है. सड़क पर कूड़ा फेंकने पर दंड का प्रावधान है. ऐसा काेई उदाहरण सामने नहीं आया है, जब किसी व्यक्ति से आर्थिक दंड वसूला गया हाे. अपवाद हाे सकता है. लाेगाें में कानून का डर नहीं है. सिक्किम ऐसे ही साफ नहीं है.
उस राज्य का बड़ा इलाका सेना के नियंत्रण में है. जगह-जगह लिखा हुआ है-सड़क पर कूड़ा फेंकने पर पांच हजार का जुर्माना. बाहर से गये किसी व्यक्ति की हिम्मत नहीं हाेती कि रैपर सड़क पर फेंके. यानी यहां के लाेग जब सिक्किम जाते हैं, ताे कानून काे मानते हैं. यहां भी मानते हैं, लेकिन वहीं पर जहां मार खाने का डर हाे. राजधानी रांची के जाे क्षेत्र सेना के कब्जे में है, उसके सामने काेई अपने घर का कचड़ा नहीं फेंकता. वहां डर दिखता है. लेकिन बाकी इलाकाें में अपने घर का कचड़ा निकाल कर बगल के घर के सामने फेंक देते हैं. हम में से काेई विराेध नहीं करता. देखते रहते हैं कि काेई कचड़ा सड़क पर फेंक रहा है, लेकिन उसे मना नहीं करता. पड़ाेसी है, संबंध खराब हाे जायेगा. काैन पंगा लेगा. यह जिम्मेवार नागरिक का गुण नहीं है. आपकाे सचेत हाेना हाेगा.
नालियाें में पॉलिथीन काैन फेंकता है-हम सभी. गाेलगप्पा खाकर दाेना-पत्तल सड़क पर काैन फेंकता है-हम सभी. वॉश बेसिन में पान-गुटखा खाकर कौन फेंकता है-हम सभी. अपने घराें की गंदगी काे बीच सड़क पर काैन फेंकता है-हम सब. इसका खामियाजा भी ताे सभी काे भुगतना पड़ता है.
उन्हें भी जाे नियम मानते हैं. शहराें की सफाई की जिम्मेवारी जिन संस्थाआें पर है, वे समय पर सफाई नहीं करते. डस्टबीन हाेते नहीं, अगर हाेतेे हैं ताे टूटे-फूटे. अगर कहीं सही भी है, ताे कूड़ा बाहर फेंकते हैं आैर जानवर उससे खेलते हैं. यह है हालात. कचड़े काे रिसाइकिल करनेवाला प्लांट बना ही नहीं है. ड्रेनेज सिस्टम है ही नहीं. जहां नालियां बनी भी हैं, वहां पानी कहां निकलेगा, यह तय नहीं हाेता. बरसात में झारखंड के शहर ताे आैर भी नरक बन जाते हैं.
पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं है. घुटने भर पानी में चल कर बच्चे स्कूल जाते हैं. नाली का काला पानी जमा रहते-रहते सड़ जाता है. यह उस राज्य की बात है, जाे पहाड़ी क्षेत्र में आता है. सार्वजनिक शाैचालयाें में चले जाइए, दुर्गंध से बेहाेश हाे जायेंगे. शाैचालय ताे है, लेकिन पानी नहीं. समझ लीजिए क्या हाल हाेगा.
अगर ऐसे हालात हैं, ताे कैसे साफ राज्य का सर्टिफिकेट मिलेगा.राेने से, अफसाेस करने से काम नहीं चलेगा. इसे दिल पर लेना हाेगा. यह हमारा राज्य है, इसे साफ रखना हमारा काम है. इसे हम साफ रखेंगे, कल से नहीं, आज से ही, यह संकल्प लेना हाेगा. दाग लगा है, ताे दाग काे धाेने की जिम्मेवारी लेनी हाेगी. साेचिए, जब दूसरे राज्य में जायेंगे आैर किसी ने टिप्पणी कर दी कि सबसे गंदा राज्य से आया है, ताे कितना खराब लगेगा. आपके बच्चे बाहर पढ़ने जायेंगे, नाैकरी करने जायेंगे ताे उन पर लाेग भद्दी टिप्पणी करेंगे. ऐसी नाैबत मत आने दीजिए. सरकार अपनी जिम्मेवारी निभाये, आप अपनी. अपने घर, मुहल्ले, शहर आैर राज्य काे साफ रखने का संकल्प लें. जिन संस्थाआें पर सफाई की जिम्मेवारी है, अगर वे नहीं निभा रहे, ताे सरकार कार्रवाई करे, आप भी सरकार के भराेसे न रह कर अपने स्तर से सफाई करें.
राज्य के कई शहराें में कई ऐेसे मुहल्ले हैं, जहां के लाेग खुद सफाई पर ध्यान देते हैं-कमेटी बना कर, चंदा कर. इसी झारखंड में बाेकाराे आैर जमशेदपुर शहर है, जाे अन्य शहराें की तुलना में साफ है. याद कीजिए, कभी सूरत देश का सबसे गंदा शहर हुआ करता था, वहां प्लेग फैला था. सैकड़ाें लाेग मरे थे. वहां के लाेगाें ने अपने शहर काे साफ रखने का संकल्प लिया आैर आज सूरत देश के सबसे साफ शहराें में एक है.
झारखंड भी साफ राज्य बन सकता है. लेकिन इसके लिए सिर्फ बाेलने से काम नहीं चलेगा. करना हाेगा. सबसे बड़ा जड़ है पॉलिथीन. यही ताे नालियाें काे जमा करता है. इस पर पूरे ताैर पर प्रतिबंध लगे ताे आधी समस्या का निदान हाे सकता है. सफाई पर जाे पैसा आता है, कई पार्षद उसका हिस्सा खा जाते हैं.
अगर आपके पार्षद ऐसा करते हैं, ताे आप विराेध कीजिए. भ्रष्ट अफसराें के खिलाफ शिकायत कीजिए. एक बार नहीं, बार-बार, उन्हें मत छाेड़िए. इसके साथ-साथ अपनी जिम्मेवारी भी निभायें. लक्ष्य एक रहे-झारखंड काे साफ रखना है आैर गंदा राज्य के दाग काे धाेना है. अगर संकल्प कर लें ताे कुछ भी असंभव नहीं है.

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