25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

बिहार-झारखंड का रु 2000 करोड़ कोटा को

Advertisement

अभिभावक हर छात्र पर एक साल में खर्च करते हैं करीब ढाई लाख रुपये कोटा से अजय कुमार कोटा के कोचिंग संस्थानों में न केवल पढ़ने वाले 60 फीसदी स्टूडेंट्स बिहार व झारखंड के होते हैं, बल्कि मेडिकल-इंजीनियरिंग की तैयारी कराने वाले शिक्षकों में से भी 25 फीसदी बिहार के हैं. हर साल करीब दो […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

अभिभावक हर छात्र पर एक साल में खर्च करते हैं करीब ढाई लाख रुपये
कोटा से अजय कुमार
कोटा के कोचिंग संस्थानों में न केवल पढ़ने वाले 60 फीसदी स्टूडेंट्स बिहार व झारखंड के होते हैं, बल्कि मेडिकल-इंजीनियरिंग की तैयारी कराने वाले शिक्षकों में से भी 25 फीसदी बिहार के हैं. हर साल करीब दो हजार करोड़ रुपये बिहार व झारखंड से कोटा
पहुंचता है.
कोचिंग संस्थानों के बाहर हॉस्टल दिलाने वाले चिंता में डूबे हैं. उन्हें कहीं से यह खबर मिली है कि इस बार बिहार-झारखंड से यहां छात्रों की कम संख्या पहुंचेगी. हालांकि उनके पास पहुंची इस सूचना का कोई आधार नहीं है.
फिर भी उनकी चिंता बनी हुई है, तो क्यों? वजह बिल्कुल साफ है, उन्हें मालूम है कि यहां आने वाले छात्रों में बिहार की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है. उसके साथ अगर झारखंड को भी जोड़ दिया जाये, तो यह संख्या दस में छह तक पहुंच जाती है. यानी कोटा में कोचिंग लेने वाले 60 फीसदी इन्हीं दोनों राज्यों के हैं. कोटा में कोचिंग करने वाले छात्रों की संख्या डेढ़ लाख मान ली जाये तो बिहार-झारखंड के 90 हजार छात्रों के यहां रहने का अनुमान है. हर छात्र फी के रूप में करीब डेढ़ लाख रुपया अदा करता है.
इस तरह राशि के हिसाब से देखा जाये तो करीब 1800 से 2000 करोड़ रुपये इन्हीं दो राज्यों से कोटा पहुंच रहा है. यहां आने वाले छात्रों की संख्या के लिहाज से उत्तरप्रदेश दूसरा बड़ा राज्य है. कोचिंग की फीस को छोड़ दें, तो हजार-बारह सौ करोड़ हर साल पहुंच जाता है, जो रहने, खाने, स्टेशनरी सहित दूसरी जरूरतों पर खर्च होता है. इस तरह महीने में इन्हीं दो राज्यों के छात्र सौ करोड़ रुपये खर्च कर देते हैं. कोटा में पैसे का प्रवाह बढ़ा, तो बाजार ने भी अपना दायरा बढ़ा लिया है. कोचिंग वाले इलाके में पहले से एक मॉल चल रहा है. अब दूसरा बन कर तैयार है.
मॉल में शाम के वक्त छात्रों की भीड़ देख कर आप हैरान हो सकते हैं. बाजार की मुकम्मल श्रृंखला यहां के छात्रों पर निर्भर है.
कोचिंग संस्थानों में एक दफे घूम जाएं, तो यहां जहानाबाद, रोहतास, पूर्णिया, दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, नालंदा, भोजपुर, बक्सर, पटना, रांची, गिरिडीह, हजारीबाग, चतरा जिले के छात्र मिल जायेंगे. कोटा के लोग भी मानते हैं कि बिहार-झारखंड के छात्र यहां न आयें, तो यहां की रौनक जाती रहेगी. होटल चलाने वाले पिंटू मखिजा कहते हैं: कोचिंग से कोटा निहाल हो गया. बिहार-झारखंड के बच्चे न आयें, तो हमें पुराने दिनों की ओर लौटते देर न लगेगी.
झारखंड-बिहार ने इसे भी जिंदा कर दिया
यहां तैयारी के लिएआने वाले बिहार-झारखंड के छात्रों के चलते कोटा डोरेया साड़ियों के कारोबार को नया जीवन मिला है. छात्रों के चलते रांची इन साड़ियों की खपत का बड़ा केंद्र बन गयी है. कोटा साड़ी का कारोबार करने वाले रूपचंद हीरावत कहते हैं: झारखंड, बिहार के अलावा उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ में इन साड़ियों की मांग बढ़ी है. रांची में हमें नया बाजार मिला है. पटना, रायपुर, राजनंदगांव, लखनऊ, अलीगढ़, कानपुर में डिमांड बढ़ी है. कोटा साड़ियों का कारोबार बीते कुछ सालों में सौ करोड़ से बढ़ कर ढाई-तीन सौ करोड़ का हो गया है. यह सब कोचिंग के चलते ही संभव हुआ. 40 साल से इस कारोबार में लगे हीरावत मानते हैं कि यह बदलाव इन राज्यों के छात्रों के यहां आने से हुआ. यहां के रामपुरा मंडी में थोक व रिटेल मिला कर कोटा साड़ियों की डेढ़ सौ दुकानें हैं.
विद्यार्थी का नजरिया : 1

कपड़े कम, सपने ज्यादा थे मेरी झोली में
12वीं के अच्छे रिजल्ट के बावजूद एआइपीएमटी में असफलता निराशाजनक रही. बचपन से एक मनोचिकित्सक बनने का ख्वाब इतनी जल्दी हार मानने को तैयार नहीं था. पप्पा ने आगे की पढ़ाई के बारे में पूछा तो डीयू में दाखिला छोड़ कोटा जाकर तैयारी करने का मन बनाया. फिल्मी अंदाज़ में पप्पा ने तत्काल टिकट कराया और 24 घंटों के अंदर मैं और मेरे सपने कोटा रवाना हो चुके थे.
नये शहर का डर, मां-बाप से दूरी, दोस्तों की याद… बहुत अजीब सा कौतूहल मन में घर कर रहा था. ट्रेन के दस घंटे लेट होने के बावजूद जिंदगी के इस नये सफर की कल्पना मेरे मन की बेचैनी को रोक नहीं पा रही थी. ट्रेन के कई यात्री मेरे हमउम्र थे. हर आंख में एक अनोखा सपना, सबकी मंजिल कोटा.
मानो एक शहर नहीं, प्रतिस्पर्धा के दौर में विद्यार्थियों का मक्का-मदीना हो. सुबह तीन बजे भी कोटा जंकशन विद्यार्थियों के चहल पहल से भरा था. मेरे साथ हजारों बच्चे अपनी जिंदगी की एक नयी दिशा ढूंढ़ने आये थे. देखने में बोकारो जैसा ही था, मगर थोड़ा बड़ा! व्यवस्थित, सुंदर इमारतें. हों भी क्यूं न, दोनों शहर का जन्म कारखानों से ही तो हुआ है. कोटा में पहला सूर्योदय देखा.
एलेन के प्री-मेडिकल अचीवर्स में दाखिला करा, शाम तक एक हॉस्टल में रहने की व्यवस्था कर पप्पा वापस रवाना हो चुके थे. हर कदम पर आर्थिक चुनौतियों का सामना करने वाले पप्पा कोचिंग फीस की बड़ी रकम अदा करते हुए बड़ी हिम्मत दिखा रहे थे. कुछ सर्टिफिकेटों की बदौलत फीस में छूट तो मिली थी, फिर भी एकमुश्त में रकम बहुत बड़ी थी. हॉस्टल का वह एसी कमरा काफी अजीब था, खिड़की भी इमारत के अंदर ही खुलती थी. सूरज की रोशनी को कमरे के अंदर आने की इजाजत न थी. जगह के अभाव में कई हॉस्टलों की बनावट ऐसी ही है. बहरहाल, अब अगले आठ महीने मैं इस कमरे की कैदी थी. सामान जमाने में ज्यादा वक्त नहीं लगा. कपड़े कम, सपने ज्यादा थे मेरी झोली में.
छात्रा सोनम बाला की तसवीर(नीचे)
Undefined
बिहार-झारखंड का रु 2000 करोड़ कोटा को 2

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें