18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

चंबल नदी तो नहीं बदली, पर बदल गया कोटा

Advertisement

कभी इंडस्ट्रियल एरिया रहा राजस्थान का कोटा अब कोचिंग हब है. हर साल बिहार-झारखंड समेत दूसरे राज्यों से अभिभावक डॉक्टर-इंजीनियर बनाने के सपने के साथ अपने बच्चों को कोटा भेजते हैं. कुछ के सपने पूरे होते हैं, बाकी के अधूरे रह जाते हैं. कोटा का एक दूसरा सच भी है. पिछले पांच साल में 74 […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

कभी इंडस्ट्रियल एरिया रहा राजस्थान का कोटा अब कोचिंग हब है. हर साल बिहार-झारखंड समेत दूसरे राज्यों से अभिभावक डॉक्टर-इंजीनियर बनाने के सपने के साथ अपने बच्चों को कोटा भेजते हैं. कुछ के सपने पूरे होते हैं, बाकी के अधूरे रह जाते हैं. कोटा का एक दूसरा सच भी है.

- Advertisement -

पिछले पांच साल में 74 बच्चों ने वहां आत्महत्या कर ली. समाज को झकझोरने वाली इन घटनाओं को प्रभात खबर ने शिद्दत से महसूस किया और कोटा का सच जानने के लिए स्पेशल सेल के संपादक अजय कुमार को वहां भेजा. आज से पढ़िए, विशेष शृंंखला, जो आपको बतायेगा कोटा के बारे में वह सब कुछ, जिससे आप वाकिफ नहीं हैं. आज पहली रिपोर्ट.

हजारों साल से बह रही चंबल नदी नहीं बदली. पर उसके किनारे बसा कोटा बदल गया है. किसी दौर के चंबल के बीहड़ भी बदल गये. पर कोटा का बदलाव कई परतों वाला है. कभी इसकी पहचान इंडस्ट्रियल हब की थी. उद्योग-धंधों पर संकट बढ़ा, तो क्राइम का ग्राफ बढ़ने लगा. आर्थिक मुसीबत के उस दौर पर खुदकुशी की कई घटनाएं घटीं. अब कोटा एजुकेशन हब बन गया है.

अस्सी के अंतिम दशक और नब्बे के शुरुआत में कोटा दोराहे पर था. उथल-पुथल भरा. औद्योगिक यूनिटें बंद होने लगीं. इस बंदी के कई कारण थे. कुछ सरकारी तो कुछ यूनियनबाजी. मशहूर जेके ग्रुप की फैक्टरियों में तालाबंदी हो गयी. तब उसमें करीब पांच हजार मजदूर काम करते थे. अचानक हजारों परिवारों पर आफत आ गया. जेके फैक्टरी में नायलॉन, धागा, टायर का धागा, सीमेंट वगैरह बनता था. कोटा की चीनी मिल भी बंद पड़ी है. सुदर्शन टेक्सटाइल और टीवी में इस्तेमाल होने वाली ट्यूब लाइट बनाने वाली यूनिटें भी बंद हो गयीं. बेरोजगारी बढ़ी तो सामाजिक जीवन पर असर पड़ा.

कोचिंग ने संभाला कोटा को

कोचिंग के विस्तार ने कोटा को इस संकट से बाहर निकाला. जेके फैक्टरी में काम करने वाले बीके बंसल ने अपने घर से कोचिंग शुरू की. वह हैंडीकैप्ड हैं. उनकी पृष्ठभूमि इंजीनियरिंग की थी. स्थानीय स्तर पर उनकी कोचिंग चल पड़ी. पांच-सात साल में कई बच्चे आइआइटी-एनआइटी में चुने गये. राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार में बंसल का नाम होने लगा.

ठीक उसी समय एलेन कोचिंग संस्थान आया. उसके प्रमुख भी जेके में काम करते थे. एलेन की पहचान मेडिकल कोचिंग की थी. वर्ष 2000 के आसपास दूसरे कोचिंग संस्थान भी खुले. रेजोनेन्स, वाइब्रेंट, आकाश, कॅरियर प्वाइंट जैसे संस्थानों के आने के बाद इनके बीच कड़ी स्पर्धा शुरू हुई. प्रोफेशनल तरीके से इन संस्थानों ने अपने संस्थानों को खड़ा किया

आज कोटा में सौ से ज्यादा कोचिंग संस्थान चल रहे हैं. इनका करोड़ों का कारोबार है. आज के कोटा के सेंटर में कोचिंग इंस्टीट्यूट है. इसी के आसपास सब कुछ है. एक तरह से नियामक शक्ति बन गये हैं कोचिंग इंस्टीट्यूट. इस पर यहां का हर आदमी मुहर लगाता है कि कैसे कुछ लोगों ने अपनी पहल से पूरे कोटा को नया जीवन दिया. इसमें सरकार या राजनीति की कोई भूमिका नहीं थी.

छोटे-बड़े सौ होटल

कोचिंग संस्थानों के खुलने से होटलों का कारोबार नये सिरे से चलने लगा है. होटल कारोबार से जुड़े जगदीश अरोड़ा कहते हैं, दस साल पहले मुझे एक होटल बेचना पड़ा था. उद्योग चौपट हो गये थे. होटलों को भारी घाटा हो रहा था. पर कोचिंग खुलने के बाद सब कुछ बदल गया. अब छोटे-बड़े सौ होटल हैं. होटलों का कारोबार तीन सौ करोड़ का है. स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज काउंसिल के अध्यक्ष एलसी बाइती कहते हैं कि कोटा में पांच-पांच पावर प्लांट है.

एटॉमिक, हाइडल, थर्मल, बायो बेस्ड और गैस आधारित पावार प्लांट से साढ़े पांच हजार मेगावाट बिजली पैदा होती है. चंबल में सालों भर पानी रहता है. यहां बिजली-पानी की कमी नहीं. पर उद्योग धंधे विस्तार नहीं पा सके. पार्ट-पुरजों के कारखाने चल रहे हैं. डीसीएम की यूनिटें चल रही हैं. उसमें फर्टिलाइजर, धागा और सीमेंट का उत्पादन हो रहा है.

कोिचंग संस्थान आये… तो बस गये कई नये इलाके

पिछले दस-बारह साल में कोचिंग संस्थानों के खुलते जाने के बाद कोटा पूरी तरह बदल गया है. एक पुराना कोटा है और दूसरा नया कोटा. नये कोटा में दस साल पहले एक हजार वर्ग फुट जमीन की कीमत कुछ हजार रुपये हुआ करती थी. अब करोड़ रुपये से कम नहीं. नये कोटा में बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स बन रही हैं. हॉस्टल खुल रहे हैं. मेस का धंधा चल निकला है. रीयल इस्टेट में पांच सौ करोड़ के रनिंग कैपिटल पर काम चल रहा है. विज्ञान नगर, तलवंडी, महावीर नगर, रणवाड़ी, गुमानपुरा, आरके पुरम जैसे इलाके बस गये. कभी कोटा के ये बाहरी हिस्से थे. जवाहर नगर चौकी अब थाना बन चुका है. एक मॉल है, दूसरा खुलने वाला है. नये कोटा में इंद्रप्रस्थ इंडस्ट्रियल एरिया में कोचिंग संस्थान हैं. ऐसे कुल तेरह इंडस्ट्रियल एरिया है, लेकिन कोचिंग इंद्रप्रस्थ में हैं.

साड़ियों का धंधा मंदा

कोटा की असली पहचान अब खत्म हो चुकी है. कोई बड़ा उद्योग नहीं आया. हजार करोड़ के टर्नओवर वाला स्टोन उद्योग अपने ढर्रे पर चल रहा है. विश्वविख्यात कोटा डोरेया की साड़ियों का धंधा मंदा है. 11 गांवों के बुनकरों की दशा बेहद खराब है. एलसी बाइती, अध्यक्ष, स्मॉल स्केल इंस्डस्ट्रिज काउंसिल

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें