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उच्च शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाने की पहल

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कवायद : उच्च शिक्षा केंद्र को कर्ज देने के लिए बनेगी फाइनेंिसंग एजेंसी नयी दिल्ली : फैसले को कुछ ने सराहा, तो कुछ ने इसे नाकाफी बतायाप्रसिद्ध अर्थशास्त्री व शिक्षाविद दीपक नैयर का कहना है कि हायर एजुकेशन फाइनेसिंग एजेंसी(एचइएफए) के लिए 1000 करोड़ का आवंटन काफी कम है. सरकार के इस फैसले की आलोचना […]

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कवायद : उच्च शिक्षा केंद्र को कर्ज देने के लिए बनेगी फाइनेंिसंग एजेंसी
नयी दिल्ली : फैसले को कुछ ने सराहा, तो कुछ ने इसे नाकाफी बतायाप्रसिद्ध अर्थशास्त्री व शिक्षाविद दीपक नैयर का कहना है कि हायर एजुकेशन फाइनेसिंग एजेंसी(एचइएफए) के लिए 1000 करोड़ का आवंटन काफी कम है. सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए उनका कहना है कि नयी एजेंसी की बजाय सरकार को यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन(यूजीसी) को ही हायर एजुकेशन फाइनेशिंग अथॉरिटी में तब्दील कर देना चाहिए.
इतने कम पैसे से यह एजेंसी क्या करेगी? क्योंकि जो भी इस एजेंसी को कर्ज देगा, वह बदले में ब्याज दरों के जरिये पैसा वापस हासिल करने की कोशिश करेगा.उनके मुताबिक यूजीसी भी भारतीय रिजर्व बैंक की तरह कई तरह के काम करती है. यूजीसी छात्रवृति, संस्थाओं को मान्यता और अन्य कई तरह के काम कर रही है. विश्व में कहीं ऐसा नहीं होता है. वहीं दूसरी ओर कई शिक्षाविदों ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है.
आइआइटी, मद्रास के प्रोफेसर थिलई राजन का कहना है कि बैंकों के बढ़ते एनपीए को देखते हुए उच्च शिक्षा के लिए एक अलग संस्था बनाने से छात्रों और संस्थानों को काफी फायदा होने की उम्मीद है. इसके तहत 10 सरकारी और 10 निजी संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने की पहल से काफी फायदा होगा. शिक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र के महत्व को समझा गया है. ऐसा नहीं है कि देश के सभी उच्च स्तरीय संस्थान सरकारी ही हों.
बजट में केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षा के लिए हायर एजुकेशन फाइनेसिंग एजेंसी(एचइएफए) बनाने का प्रस्ताव किया है. ताकि उच्च शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने के साथ ही छात्रों को किसी प्रकार की आर्थिक परेशानी का सामना न करना पड़े. इस एजेंसी का मकसद देश के शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों जैसे आइआइटी और आइआइएम में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए फंड मुहैया कराना है.
इस एजेंसी के गठन को लेकर अभी बातचीत जारी है. संभावना जताई जा रही है कि कंपनी एक्ट की धारा 8 के तहत इस कंपनी का गठन किया जायेगा और इसके चेयरमैन केंद्रीय उच्च शिक्षा सचिव होंगे. चूंकि यह नॉन बैंकिंग कंपनी होगी, इसलिए एचइएफए के सीइओ का पेशेवर होने के साथ ही बैंकिंग सेक्टर से जुड़ा होना भी आवश्यक होगा. इस संस्था के बोर्ड में चंदा देने वाले के अलावा रोटेशन के आधार पर संस्थानों के सदस्य होंगे.
सरकार ने एचइएफए के लिए बजट में 1000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है और संस्था फंड का जुगाड़ बाजार और सीएसआर फंड से करेगी ताकि देश के शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों के इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया जा सके. इस संस्था का शुरुआती फंड 1000 करोड़ रुपये का है और उम्मीद है कि अगले पांच साल में यह 20 हजार करोड़ रुपये का हो जायेगा. उच्च शिक्षा के लिए यह संस्था ब्याज मुक्त लोन मुहैया करायेगी. देश के सभी केंद्रीय और राज्य के उच्च शिक्षण संस्थान कुछ शर्तों के साथ इस संस्था के सदस्य बन सकते हैं.
एचइएफए का विचार अच्छा है और इससे भारतीय शिक्षण संस्थानों को बेहतर करने में मदद मिलेगी. हालांकि यह संस्था कैसे काम करेगी इसकी रुपरेखा तैयार की जा रही है और इसपर अंतिम फैसला केंद्रीय कैबिनेट लेगी. संभावना जताई जा रही है कि मई से पहले इस संस्था का गठन हो जायेगा और यह मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन काम करेगी. यह निजी और सरकारी सभी संस्थानों को वित्तीय मदद मुहैया करायेगी.
बजट में वित्त मंत्री ने कहा है कि सरकारी और निजी 20 संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए यह एजेंसी फंड मुहैया करायेगी. संस्थानों का चयन किस आधार पर होगा इसकी रुपरेखा केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय तैयार कर रही है. नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क के जरिये संस्थानों का चयन किया जायेगा. इसमें शिक्षण, रिसर्च, छात्रों का प्रदर्शन प्रमुख पैमाना होगा.

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