15.1 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 10:05 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

हौसले के दम पर हुनर का कमाल

Advertisement

दृष्टिहीन श्रीकांत ने खड़ी की 80 करोड़ की कंपनी श्रीकांत बोला ने अपनी दृष्टिहीनता को कभी कमजोरी नहीं माना़ वह विज्ञान विषय से 11 वीं करने वाले देश के पहले दृष्टिहीन व्यक्ति हैं. यही नहीं, मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाॅजी में एडमिशन लेनेवाले पहले गैर-अमेरिकी दृष्टिहीन भी हैं. श्रीकांत कहते हैं कि अगर आपको अपनी जिंदगी […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

दृष्टिहीन श्रीकांत ने खड़ी की 80 करोड़ की कंपनी
श्रीकांत बोला ने अपनी दृष्टिहीनता को कभी कमजोरी नहीं माना़ वह विज्ञान विषय से 11 वीं करने वाले देश के पहले दृष्टिहीन व्यक्ति हैं. यही नहीं, मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाॅजी में एडमिशन लेनेवाले पहले गैर-अमेरिकी दृष्टिहीन भी हैं. श्रीकांत कहते हैं कि अगर आपको अपनी जिंदगी की जंग जीतनी है, तो सबसे बुरे समय में धैर्य बना कर रखने से सफलता जरूर मिलेगी.
हैदराबाद के श्रीकांत बोला की उम्र 24 वर्ष है और वह बचपन से ही दृष्टिहीन हैं, लेकिन इसके बावजूद वह आज 80 करोड़ रुपये की मार्केट वैल्यूवाली बौलेंट इंडस्ट्रीज के मालिक हैं.
यह कंपनी कंज्यूमर फूड पैकेजिंग, प्रिंटिंग इंक और ग्लू का कारोबार करती है़ श्रीकांत ने अपनी इस कंपनी के जरिये लगभग चार हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार दे रखा है़ सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस कंपनी में उनके जैसे दृष्टिहीन और नि:शक्त लोगों की संख्या करीब 70 प्रतिशत है. इन लोगों के साथ-साथ श्रीकांत खुद प्रतिदिन 16 से 18 घंटे तक काम करते हैं.
मूलरूप से आंध्र प्रदेश के मछलीपट्‌टनम जिला के छोटे-से गांव सीतारामापुरम के रहनेवाले श्रीकांत बोला का बचपन कठिनाइयों में बीता. उनके परिवार की मासिक आय लगभग डेढ़ हजार रुपये थी. और तो और, जब दृष्टिहीन श्रीकांत का जन्म हुआ, तो उनके कुछ रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने उनके माता-पिता को उनके पैदा होते ही उन्हें मार देने को कहा था.
लेकिन श्रीकांत की किस्मत में कुछ और ही लिखा था. श्रीकांत बचपन से ही मेधावी थे और उन्होंने 10वीं की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास की़ वह आगे विज्ञान पढ़ना चाहते थे, लेकिन दृष्टिहीन होने की वजह से उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिली़ फिर कई महीनों की अदालती लड़ाई लड़ने के बाद आखिरकार श्रीकांत को विज्ञान पढ़ने की इजाजत मिली और इसी के साथ श्रीकांत देश के पहले ऐसे दृष्टिहीन बने, जिन्हें 10वीं के बाद विज्ञान पढ़ने की अनुमति मिली.
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को अपना रोल मॉडल मानने वाले श्रीकांत के लिए हर कदम पर चुनौतियां थीं, लेकिन बुलंद हौसले के साथ वे इनका सामना करते चले गये़ 12वीं की परीक्षा पास करते ही श्रीकांत को अमेरिका के मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (एमआइटी) में प्रवेश मिला़
इसके साथ ही श्रीकांत देश के पहले ऐसे दृष्टिहीन छात्र बने, जिन्होंने एमआइटी से शिक्षा प्राप्त की़ पढ़ाई पूरी करने के बाद एमआइटी से लंबा अवकाश लेकर श्रीकांत ने वर्ष 2012 के अंत में हैदराबाद में आठ लोगों की टीम के साथ खाने-पीने के समान की पैकिंग के लिए कंज्यूमर फूड पैकेजिंग कंपनी की शुरुआत की़ पूंजी कम थी पर 11वीं-12वीं की पढ़ाई के दौरान श्रीकांत की शिक्षिका रहीं स्वर्णलता ने अपने गहने गिरवी रखकर उन्हें पैसे दिये, जिससे बौलेंट इंडस्ट्री की शुरुआत हुई़ गौरतलब है कि स्वर्णलता ने ही श्रीकांत को पूरे नोट्स का ऑडियो अपनी आवाज में बनाकर दिया़ जिसकी बदौलत 12वीं की परीक्षा में उन्हें 98 प्रतिशत नंबर मिले.
यहां यह जानना दिलचस्प है कि श्रीकांत शतरंज और क्रिकेट जैसे खेलों के भी दृष्टिहीन श्रेणी के राष्ट्रीय खिलाड़ी रहे हैं. हाल ही में उन्हें ब्रिटेन के यूथ बिजनेस इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन ने बेस्ट सोशल एंटरप्राइजेस ऑफ ग्लोब का अवार्ड दिया है. श्रीकांत की योजना अब अपनी कंपनी में एक से ज्यादा अपंगतावाले लोगों को प्रशिक्षण देकर अपने यहां नौकरी देना है. श्रीकांत सिर्फ तीन साल में हैदराबाद में तीन, निजामाबाद-हुबली में एक-एक यूनीट की स्थापना कर चुके हैं.
उन्होंने इस कंपनी में सबसे पहले आस-पास के बेरोजगार लोगों को जोड़ा, जिसमें उन्होंने दृष्टिहीनों को प्राथमिकता दी़ जब श्रीकांत की कंपनी रफ्तार पकड़ने लगी, तो फंडिंग की दिक्कत आनी शुरू हुई़ इस दौरान एमआइटी के मेकैनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के डीन ने श्रीकांत को फंड जुटाने में मदद की़ श्रीकांत अपनी कंपनी के छठे प्लांट की स्थापना पर काम कर रहे हैं, जो आंध्र प्रदेश के नेल्लोर के पास श्रीसिटी में बन रहा है़ छह महीने बाद इस प्लांट के शुरू होने के बाद 800 से अधिक लोगों को वह सीधा रोजगार देंगे़
दृष्टिहीनता श्रीकांत की राहों में रोड़ा तो बनी, लेकिन अपने हौसलों के दम पर वह इन्हें पार करते गये़ वह कहते हैं, घरों में जन्म से ही दृष्टिहीन या नि:शक्त बच्चों के साथ भेदभाव शुरू हो जाता है़
ऐसे बच्चों के माता-पिता उन्हें स्कूल नहीं भेजते और घर से बाहर भी नहीं भेजते़ लेकिन मेरे माता-पिता ने ऐसा नहीं किया. वह आगे कहते हैं, इनसान में सच्ची प्रतिभा होनी चाहिए, बस फिर कोई भी कठिनाई उसका रास्ता या उसके बुलंद हौसलों को मात नहीं दे सकती.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें