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रक्षा विशेषज्ञ कमर आगा ने कहा मिल कर लड़ना होगा आतंक से

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कमर आगा रक्षा विशेषज्ञ आतंकवादियों ने हमले के लिए बाचा खान यूनिवर्सिटी को चुना, क्योंकि आज उनकी पुण्यतिथि थी. वहां बड़ा मुशायरा था. बाचा खान सांप्रदायिक एकता के पक्षधर और भारत विभाजन के खिलाफ थे. उन्होंने पाकिस्तान के बंटवारे का हमेशा विरोध किया. जाहिर है, आतंकी दो संदेश देना चाहते थे : पाकिस्तान में केवल […]

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कमर आगा

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रक्षा विशेषज्ञ

आतंकवादियों ने हमले के लिए बाचा खान यूनिवर्सिटी को चुना, क्योंकि आज उनकी पुण्यतिथि थी. वहां बड़ा मुशायरा था. बाचा खान सांप्रदायिक एकता के पक्षधर और भारत विभाजन के खिलाफ थे.

उन्होंने पाकिस्तान के बंटवारे का हमेशा विरोध किया. जाहिर है, आतंकी दो संदेश देना चाहते थे : पाकिस्तान में केवल शरीया कानून चलेगा और इस किस्म के कल्चरल प्रोग्राम आतंकी संगठनों को पसंद नहीं हैं. वे यह भी दिखाना चाहते हैं कि वे कितने ताकतवर हैं. इस यूनिवर्सिटी को चुनने का एक और कारण यह भी रहा कि यहां नेशनलिस्टों का अब भी दबदबा है, जो आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के समर्थक हैं. यहां के शिक्षक और छात्र दोनों आतंक के खिलाफ मुहिम में शामिल रहे हैं.

भारत, पाक की जनता आतंकवाद से मुक्ति चाहती है. लेकिन, समझना होगा कि इसके लिए दोनों देशों की सरकारों को पहल करनी होगी. यह काम जनता नहीं कर सकती. पाकिस्तान की सरकार या सेना आतंकवाद से ईमानदारी से लड़ेगी या इसके लिए साझा युद्ध की पहल करेगी, इसमें फिलहाल संदेह है.

मुझे लगता है कि अब भारत समेत बांग्लादेश, अफगानिस्तान, मलयेशिया, इंडोनेशिया, ईरान और सेंट्रल एशिया के अन्य देश, जो आतंकवाद से पीड़ित हैं, को मिल कर क्षेत्रीय सहयोग कायम करते हुए, आतंकवाद के खिलाफ एक मुहिम छेड़नी चाहिए. पाकिस्तान तो इस समस्या का जन्मदाता है. इसलिए बाकी देशों को ही विचार करना होगा कि आतंक से युद्ध में पाकिस्तान का सहयोग कैसे लिया जा सकता है.

आज की आतंकी घटना के संदर्भ में पाकिस्तान को क्या सबक लेना चाहिए, यह पाकिस्तान अच्छी तरह से जानता-समझता है. लेकिन, वहां की सेना ऐसी किसी घटना से सबक लेने के मूड में नहीं दिख रही. उसमें आतंकवाद को खत्म करने के प्रति इच्छाशक्ति भी नहीं दिख रही है.

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में जिया उल हक ने जिस इसलामीकरण की शुरुआत की थी, वह अब पूरी तरह से कामयाब हो गया है. ये शक्तियां बहुत ही ताकतवर हो चुकी हैं. वहां की सेना का पूरी तरह से तालिबानीकरण हो चुका है और एक तरीके से वह आतंकी संगठन का रूप ले चुकी है.

वहां के ज्यादातर आतंकी संगठनों की वही जननी है. मेरा मानना है कि दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी संगठन भी वही है. जब तक उस पर प्रतिबंध नहीं लगाया जायेगा, तब तक इस तरह की आतंकी गतिविधियां जारी रहेंगी. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह सोचना चाहिए और सबसे पहले उसी पर पाबंदी लगानी चाहिए.

इसी पेशावर में आर्मी स्कूल में बर्बर आतंकी हमला हुआ, तो पाक के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा कि कोई गुड और बैड तालिबान नहीं है.

सभी आतंकी संगठन एक जैसे हैं. कहने के लिए एक अभियान चलाया गया, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला और ये संगठन उसी तरह से ताकतवर बने हुए हैं. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का मुखिया मुल्ला फजलुल्ला खुलेआम घूम रहा है. पाकिस्तान यदि अब भी नहीं चेता, तो भविष्य में उसे और भारी कीमत चुकानी पड़ेगी, यह तय है.

(कन्हैया झा से बातचीत पर आधारित)

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