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धरती से दूर मनेंगी छुट्टियां, साकार होगा अंतरिक्ष पर्यटन

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क्या आप रोमांचक पर्यटन के शौकीन हैं और इस धरती से बाहर यानी अंतरिक्ष में किसी अनोखी जगह पर घूमने जाना चाहते हैं? यदि हां, तो आपके लिए एक खुशखबरी है. आपको पर्यटन के मकसद से धरती से दूर अंतरिक्ष में या किसी अन्य ग्रह पर ले जाने की दिशा में कुछ प्रमुख देशों की […]

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क्या आप रोमांचक पर्यटन के शौकीन हैं और इस धरती से बाहर यानी अंतरिक्ष में किसी अनोखी जगह पर घूमने जाना चाहते हैं? यदि हां, तो आपके लिए एक खुशखबरी है. आपको पर्यटन के मकसद से धरती से दूर अंतरिक्ष में या किसी अन्य ग्रह पर ले जाने की दिशा में कुछ प्रमुख देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां और निजी कंपनियां काम कर रही हैं.
क्या है उनकी योजनाएं, वैज्ञानिक कैसे इसे साकार करने में जुटे हैं और इस दिशा में क्या-क्या हैं प्रमुख चुनौतियां, अंतरिक्ष पर्यटन से जुड़े ऐसे ही कुछ रोचक पहलुओं की पड़ताल कर रहा है आज का नॉलेज..
कन्हैया झा
दिल्ली : हनीमून के लिए इस समय देश के ज्यादातर लोग किन शहरों में जाते हैं? आपका जवाब होगा- उत्तर भारत में कश्मीर, शिमला, कुल्लू-मनाली, नैनीताल, मसूरी, पूवरेत्तर में दाजिर्लिंग, पश्चिमी भारत में गोवा और खंडाला, या फिर दक्षिणी भारत में ऊटी या मैसूर आदि. लेकिन, क्या आपने सोचा है कि आज से 50 वर्ष के बाद लोग हनीमून के लिए कहां जा सकते हैं या फिर हनीमून का पैकेज ऑफर करनेवाली कंपनियों के पैकेज में किन नये स्थानों को शामिल किया जा सकता है?
इस सवाल के जवाब में आप भले ही इस पृथ्वी से इतर नहीं सोच पा रहे हों, लेकिन जानेमाने आर्किटेक्ट और ‘नासा’ के एयरोस्पेस इंजीनियर ब्रेंट शेरवुड का कहना है कि आज से 50 वर्ष बाद कुछ अलग प्रकार का हनीमून ऑफर किया जायेगा. शेरवुड का कहना है कि 50 साल बाद के हनीमून के लिए आप एक ऐसे होटल की कल्पना कीजिए, जिसका स्थान बदलता रहता है. एक ऐसी जगह, जहां रोज 16 बार सूर्याेदय और सूर्यास्त हो. जहां बिना किसी परिश्रम के भोजन आपके मुंह में चला जाये और जहां आप जीरो-ग्रेविटी सेक्स का मजा ले सकें.
अंतरिक्ष में होगा सैर-सपाटा!
ऑर्बिटल सिटीज से लेकर प्लेनेटरी सेटेलमेंट जैसी चीजों के बारे में पिछले 25 वर्षो से योजना बना रहे ‘नासा’ के एयरोस्पेस इंजीनियर शेरवुड के हवाले से ‘द गार्डियन’ में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि निकट भविष्य में यह योजना साकार हो सकती है और छुट्टियों के दौरान बहुत से लोग नियमित रूप से अंतरिक्ष की सैर पर जा सकते हैं. दरअसल, शेयवुड चंद्रमा पर रहने की योजना पर काम कर रहे हैं. हालांकि, फिलहाल इसकी राह में कुछ कांटे हैं. इसमें सबसे बड़ी दिक्कत भोजन के संबंध में है. जब तक भोजन की पुख्ता व्यवस्था नहीं होगी, तब तक स्पेस होटल में कैसे कोई रह सकता है. भोजन के लिए माइक्रोवेव के भरोसे ज्यादा दिनों तक नहीं रहा जा सकता है.
वजिर्न गेलेक्टिक और रिचर्ड ब्रेनसन ने सिविलियन स्पेस ट्रैवल की दिशा में पिछले कुछ वर्षो में कई कदम उठाये हैं, लेकिन अब तक इसका सार्थक समाधान नहीं मिल पाया है. इस दिशा में बड़ी चुनौती यह भी है कि हमें किस तरह के उपकरण वहां साथ में ले जाने चाहिए और इसकी लागत को कैसे कम किया जा सकता है. एक चिंता यह भी है कि दीर्घावधि में जैसे-जैसे अंतरिक्ष में जानेवालों की संख्या बढ़ती जायेगी, वैसे-वैसे उसके फिजिकल एनवायर्नमेंट और मनोवैज्ञानिक प्रभाव ज्यादा महत्वपूर्ण होते जायेंगे.
वजिर्न गैलेक्टिक की योजना
‘वजिर्न गैलेक्टिक डॉट कॉम’ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि आधुनिक अंतरिक्ष युग की शुरुआत से अब तक धरती के वायुमंडल से इतर महज 547 लोग ही यात्रा कर पाने में सक्षम हुए हैं. मानव स्पेसफ्लाइट के पांच दशकों के दौरान अमेरिका, रूस और चीन की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों ने दुनिया को इस कार्य के लिए प्रोत्साहित किया है.
लेकिन, चूंकि सरकारी एजेंसियां सामान्य नागरिकों को अंतरिक्षयात्री बनने में मदद नहीं कर सकतीं, इसलिए धरती के करीब सात अरब लोगों में से यदि कोई अंतरिक्ष में जाना चाहते हैं, तो फिलहाल उन्हें अपने ही दम पर इसे साकार करना होता है यानी इसमें आनेवाला खर्च उन्हें खुद ही वहन करना होता है. वजिर्न गैलेक्टिक इस परिस्थिति को बदलना चाहती है. इस कंपनी का मकसद है कि धरती से इंसान को लोकतांत्रिक तरीके से अंतरिक्ष तक भेजा जा सके.
यूएस स्पेस स्टेशन ‘स्काइलैब’
वर्ष 1973-79 के दौरान यूएस स्पेस स्टेशन ‘स्काइलैब’ को लॉन्चिंग के बाद से धरती से सबसे दूर मानवबस्ती के रूप में माना गया था. यह मौजूदा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की तरह ही शानदार था. हालांकि, उस स्पेस स्टेशन को पर्यटन के मकसद से नहीं बनाया गया था, बल्कि उसे केवल रॉकेट में ईंधन भरे जाने के लिए बनाया गया था.
‘द गार्डियन’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह अंतरिक्ष में कहीं टिकने का हमारे पास अब तक का सबसे बड़ा स्थान है. उसके बाद से अमेरिका का समग्र अंतरिक्ष कार्यक्रम उसी स्पेस स्टेशन तक सीमित रह गया था और उसके वैज्ञानिकों का कहना है कि वे यह नहीं जानते थे कि उसे कैसे विस्तार दिया जा सकता है.
दरअसल, रॉकेट के पेलोड का व्यास अंतरिक्ष में सीमित होता था, ठीक उसी तरह से जैसे धरती पर कोई नयी चीज बनाते समय इस बात का ख्याल रखा जाता है कि उसका व्यास किसी ट्रक/ लॉरी की चौड़ाई से ज्यादा न हो. दूसरी ओर चंद्रमा पर एक ईंट जैसी चीज भेजने की लागत भी करीब पांच लाख डॉलर होगी. परिणामस्वरूप, कम वजनवाली चीजों को विकसित करना इस दिशा में एक बड़ी चुनौती मानी जा रही है. इसलिए अब पूरा ध्यान इन्फ्लैटेबल (हवावाली वस्तु) स्ट्रक्चर जैसी वस्तुओं को डिजाइन करने पर दिया जा रहा है, जिन्हें आसानी से मोड़ा जा सके.
इन्फ्लैटेबल स्ट्रक्चर
वर्ष 1998 में स्थापित अमेरिका के लास वेगास की एयरोस्पेस कंपनी ‘बाइगेलो’ ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर पहले इन्फ्लैटेबल (हवा वाली वस्तु) स्ट्रक्चर को तैयार किये जाने के लिए ‘नासा’ के साथ 18 मिलियन का एक कॉन्ट्रेक्ट किया है. यह कुछ-कुछ झीनी पन्नियों के बैलून की तरह दिखेगा, लेकिन बाइगेलो एक्सपेंडेबल एक्टिविटी मॉड्यूल को अब तक के एडवांस्ड फेब्रिक्स से विकसित किया जायेगा. कंपनी की योजना है कि अमेरिका में बजट सूइट्स की भांति पर्यटकों को अंतरिक्ष में होटल में ठहरने की सुविधा मुहैया करायी जा सके.
मालूम हो कि 1960 के दशक से ही नासा इन्फ्लैटेबल्स बनाने की तैयारी में जुटा है, जब उसने टायर निर्माता कंपनी गुडइयर को विशाल गैलेक्टिक इनर ट्यूब का डिजाइन बनाने के लिए कहा था. उस समय नौ मीटर चौड़ा रबर का डॉनट बनाया गया था. हालांकि, उसे अंतरिक्ष में ले जाने में कामयाबी नहीं मिली, लेकिन इस दिशा में एक प्रेरणा जरूर मिली.
नासा के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में तीसरी बार की चहलकदमी
नासा के वैज्ञानिकों ने हाल ही में तीसरी बार अंतरिक्ष में चहलकदमी की है. इससे अंतरिक्ष पर्यटन की राह आसान बनती नजर आ रही है. अंतरिक्ष यात्री आइएसएस के कल-पुर्जो को पुनस्र्थापित करने के मकसद से स्टेशन से बाहर निकले. उन्होंने बोइंग और स्पेसएक्स के लिए स्पेस टैक्सी पार्किग स्लॉट भी स्थापित किये.
बोइंग और स्पेसएक्स भविष्य में इस स्पेस टैक्सी पार्किग स्लॉट का वाणिज्यिक इस्तेमाल कर अंतरिक्ष में टैक्सी चलाने की सुविधा मुहैया करायेंगे.
इस अभियान के तहत ‘नासा’ के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष यात्रा करनेवाले वाहनों के लिए संचार प्रणाली (कॉमन कम्युनिकेशंस फॉर विजिटिंग व्हीकल्स) सी2वी2 के लिए 400 फीट तार लगाये और कई प्रकार के एंटीना भी स्थापित किये.
वर्जिन गैलेक्टिक का ‘व्हाइटनाइट 2’
‘वजिर्न गैलेक्टिक’ के रिचर्ड ब्रेनसन अंतरिक्ष पर्यटन को लेकर ज्यादा उत्साहित हैं. इस कंपनी की योजना है कि आगामी कुछ वर्षो में यात्रियों को अंतरिक्ष की सैर करायी जाये. पिछले करीब सात वर्षो से वे इसे साकार करने में जुटे हुए हैं. ‘स्पेस डॉट कॉम’ की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘वजिर्न गैलेक्टिक’ द्वारा आयोजित की जा रही अंतरिक्ष यात्राा के लिए 700 से ज्यादा ग्राहकों ने रकम जमा करा दी है. ग्राहकों की सूची में प्रसिद्ध एक्टर एस्टॉन कुचर के अलावा एंजेलिना जॉली, टॉम हैंक्स, ब्रैड पिट और केटी पैरी जैसे नाम भी शामिल हैं.
हालांकि, इस कार्यक्रम में हो रही देरी और परीक्षण के दौरान एक दुर्घटना के बाद से कई लोगों ने अपना नाम वापस ले लिया है. वर्जिन एयरलाइंस ने ‘व्हाइटनाइट 2’ नामक एक अनूठा जुड़वां विमान तैयार किया है. इस विमान को अंतरिक्ष में पर्यटन के लिए खास तौर पर बनाया गया है. जुड़वां विमानों की तरह दिखनेवाला यह एक ऐसा विमान है, जो अपने बीच के हिस्से में एक छोटे से अंतरिक्ष शटलनुमा विमान ‘स्पेसशिप 2’ को 48,000 फुट की ऊंचाई से छोड़ेगा. यहां से यह अंतरिक्षयान पृथ्वी की कक्षा में उड़ जायेगा.
अंतरिक्ष में बन रहा होटल
दुनिया में ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो कुछ अलग किस्म के रोमांच का अनुभव हासिल करना चाहते हैं. अगले कुछ वर्षो में मंगल ग्रह पर एकतरफा यात्राा के लिए दुनियाभर में लाखों लोगों ने आवेदन किया था, जिनमें से हजारों भारतीय भी थे और कुछ भारतीयों को इसके लिए चुना भी गया है.
रोमांचक अनुभव लेनेवालों के लिए अब अंतरिक्ष के दरवाजे खुलने जा रहे हैं. खबरों के मुताबिक, वर्ष 2016 तक पहला अंतरिक्ष होटल बन कर तैयार हो जायेगा. रूस की एक कंपनी ‘ऑर्बिटल टेक्नोलॉजिज’ यह होटल बना रही है.
द गार्डियन की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि सोयूज रॉकेट के माध्यम से अंतरिक्ष तक होटल की इस यात्रा के लिए यात्रियों को पांच लाख डॉलर का भुगतान करना होगा. ‘ऑर्बिटल टेक्नोलॉजीज’ के चीफ एग्जीक्यूटिव सरगेइ कोस्टेंको के हवाले से इस रिपोर्ट में बताया गया है कि इस होटल को खास कर धनाढ्य वर्गो और निजी कंपनियों के अंतरिक्ष से जुड़े शोधकर्ताओं के लिए बनाया जा रहा है. इस कंपनी ने होटल के बारे में कई रोमांचक जानकारियां दी हैं.
– धरती से करीब 200 मील दूर निचली कक्षा में यह होटल स्थापित किया जायेगा. रूस के सोयूज रॉके ट में बैठ कर पर्यटक एक दिन में वहां पहुंचेंगे.
– इस होटल में बैठ कर अंतरिक्ष यात्राा ी एक दिन में ही 16 बार सूर्योदय और 16 बार सूर्यास्त का मजा यहां ले सकेंगे.
– 28 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से घूमता रहेगा अंतरिक्ष में यह होटल और करीब 90 मिनट में धरती का एक चक्कर पूरा कर लेगा. इसी कारण से पर्यटकों को 16 बार सूर्योदय और 16 बार सूर्यास्त देखने का मौका मिलेगा.
– अंतरिक्ष में मौजूद होने के बावजूद इसमें बहुत सी सुविधाएं होंगी. पर्यटक इंटरनेट और टीवी का मजा ले सकेंगे, लेकिन मद्यपान और स्नैक्स पर पाबंदी होगी.
– यहां पर्यटकों को तुरंत थकान उतारने का मौका नहीं मिलेगा, क्योंकि शून्य गुरुत्वाकर्षण के चलते पूरा शरीर चक्कर काटता रहेगा. शरीर के द्रव्यमान का केंद्र पेट के पास होगा.
– पर्यटकों के लिए खाना धरती से रॉके ट के जरिये भेजा जायेगा और उसे अंतरिक्ष में होटल में मौजूद माइक्रोवेव ओवन में गरम किया जायेगा. पर्यटकों को खाने में मशरूम, आलू, सूप आदि दिया जा सकता है.
– पानी का एक बार इस्तेमाल होने के बाद उसे रिसाइकिल किया जायेगा.
– हवा को फिल्टर करते हुए उसे दोबारा से सांस लेने लायक बनाया जायेगा. साथ ही उसमें मौजूद बैक्टीरिया को हटाते हुए उस हवा को केबिन के भीतर वापस लाया जायेगा.
स्पेस एक्स : स्पेस स्टेशन तक पहला निजी यान
स्पेस एक्सप्लोरेशन टेक्नोलॉजीज (जिसे ‘स्पेस एक्स’ के तौर पर जाना जाता है) दुनिया की ऐसी पहली कंपनी बन गयी है, जिसने अपनी रॉकेट और स्पेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए ‘ड्रैगन’ नामक पहला निजी यान इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक भेजने में कामयाबी हासिल की है.
‘स्पेस डॉट कॉम’ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका के कैलिफोर्निया की इस कंपनी ने भविष्य में अंतरिक्ष पर्यटन की राह खोलने के लिए अपने यान को अंतरिक्ष तक भेजने के लिए ‘नासा’ के साथ समझौता किया है. बताया गया है कि प्राइवेट सेक्टर समेत मिलिटरी और गैर-सरकारी संगठनों ने बतौर ग्राहक इस कार्य के लिए कंपनी से संपर्क किया है. मालूम हो कि स्पेस एक्स की तकनीक को ‘नासा’ ने विकसित किया है.
कंपनी की योजना है कि ‘ड्रैगन’ के माध्यम से लोगों को अंतरिक्ष तक ले जाया जाए. ‘नासा’ ने कॉमर्शियल क्रू प्रोग्राम के तहत इस कंपनी को बड़ी धनराशि भी मुहैया करायी है. कंपनी की योजना है कि वर्ष 2017 तक अंतरिक्ष यात्राियों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक ले जाये.

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