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घर बैठे मिलेगा मल्टीपलेक्स का मजा 4के अल्ट्रा एचडी टीवी

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क्या है 4के की खासियत भविष्य में सामान्य टीवी की प्रासंगिकता खत्म होने की भले ही आशंका जतायी जा रही हो, लेकिन आनेवाले समय में नयी तकनीक से लैस टीवी का राज होगा. लोगों को नयी चीजें आकर्षित करती हैं. इसी कड़ी में बेहतर पिक्चर गुणवत्ता वाले टेलीविजन की मांग बढ़ेगी. टीवी ऑपरेटर इसको देखते […]

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क्या है 4के की खासियत

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भविष्य में सामान्य टीवी की प्रासंगिकता खत्म होने की भले ही आशंका जतायी जा रही हो, लेकिन आनेवाले समय में नयी तकनीक से लैस टीवी का राज होगा. लोगों को नयी चीजें आकर्षित करती हैं.

इसी कड़ी में बेहतर पिक्चर गुणवत्ता वाले टेलीविजन की मांग बढ़ेगी. टीवी ऑपरेटर इसको देखते हुए तैयारियां कर रहे हैं. विशेषज्ञों का अनुमान है कि मौजूदा टीवी सेटों की प्रासंगिकता धीरे-धीरे खत्म हो जायेगी. इस लिहाज से देखें तो भविष्य ऐसे ही टेलीविजन का होगा.

– स्पष्ट पिक्चर क्वालिटी : उच्च गुणवत्ता के कारण इस टीवी पर अपने पसंदीदा कार्यक्रमों को देखना अत्यंत सुखद होगा. पिक्सलों की संख्या कई गुनी तक बढ़ जाने से तसवीरों में स्पष्टता आयेगी.

– डिजिटल फोटोग्रॉफी में आयेगा मजा : किसी टूरिस्ट स्पॉट से लौट कर हाइ-क्वालिटी के फोटो को इस टेलीविजन के जरिये देखना वास्तव में आपके लिए लाइव अनुभव जैसा होगा. दोबारा देखने पर भी कोफ्त नहीं होगी, बल्कि ऐसा लगेगा कि आप पहली बार इन तस्वीरों को देख रहे हैं.

– लाइव मैच देखने जैसा अनुभव : इस तकनीक के जरिये मैच देखने पर ऐसा लगेगा कि आप ग्राउंड में मौजूद हैं. छोटी से छोटी चीजों को भी आप मिस नहीं करेंगे. क्रिकेट मैचों का प्रसारण करनेवाली कंपनियां इस तकनीक पर तेजी से काम कर रही हैं.

– रोमांच पैदा करेगा गेमिंग : अगर आप स्क्रीन पर गेम खेलना पसंद करते हैं, तो इस तकनीक से रोमांच पैदा होगा. बड़े स्क्रीन पर एचडी गेम खेलने का चलन दुनिया भर में बढ़ रहा है. ऐसे में उच्च क्षमता की गुणवत्ता के साथ गेम खेलने में बहुत मजा आयेगा.

कहानी टेलीविजन के आविष्कार की

टेलीविजन के आविष्कार ने लोगों के मनोरंजन और सूचना हासिल करने की दुनिया को एकदम से बदल दिया. टेलीफोन के अविष्कार के कुछ ही वर्षो बाद टेलीविजन के आविष्कार के बारे में सोचा गया था.

कई लोगों की कड़ी मेहनत और तकरीबन तीन दशकों के रिसर्च के बाद टेलीविजन का आविष्कार हुआ. सबसे पहले 1875 में बोस्टन (अमेरिका) के जॉर्ज कैरे ने सुझाव दिया कि किसी चित्र के सारे अवयवों या घटकों को एक साथ इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भेजा जा सकता है. इसी विचार को आगे बढ़ाते हुए 1887 में एडवियर्ड मायब्रिज ने इंसानों और जानवरों के हलचल की फोटोग्राफिक रिकॉर्डिग की.

इसे उन्होंने लोकोमोशन नाम दिया. इसके बाद ऑगस्टे और लुइस लुमियर नाम के दो भाइयों ने सिनेमैटोग्राफ नाम की संरचना का विचार रखा, जिसमें कैमरा, प्रोजेक्टर और प्रिंटर का एक साथ इस्तेमाल किया गया था. उन्होंने 1895 में पहली पब्लिक फिल्म बनायी. 1907 में रूसी वैज्ञानिक बोरिस रोसिंग ने पहले एक प्रयोगात्मक टेलीविजन प्रणाली के रिसीवर में एक सीआरटी का उपयोग किया और इससे टीवी को नया रूप मिला. फिर लंदन में स्कॉटिश आविष्कारक जॉन लोगी बेयर्ड चलती छवियों के संचरण का प्रदर्शन करने में सफल रहे. बेयर्ड स्कैनिंग डिस्क ने एक रंग की छवियों को 30 लाइनों में प्रस्तुत किया.

इस तरह टीवी के आविष्कार में अनेक वैज्ञानिकों ने अहम रोल अदा किया, लेकिन ब्लादीमीर ज्योरकिन को ही टीवी का पिता कहा जाता है. उन्होंने 1923 में आइकोनोस्कोप की खोज की. यह ऐसी ट्यूब थी, जो एक चित्र को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से किसी चित्र से जोड़ती है.

इसके कुछ साल बाद ही उन्होंने काइनस्कोप यानी कैथोड-रे ट्यूब खोज निकाली. इसकी मदद से उन्होंने एक स्क्वायर इंच का पहला टीवी बनाया. यह ब्लैक एंड व्हाइट टीवी थी. इसके बाद रंगीन टेलीविजन की तकनीक को खोजने में तकरीबन बीस वर्ष लग गये. वर्ष 1953 में पहली बार रंगीन टेलीविजन का निर्माण किया गया.

टेलीविजन की विकास यात्रा

टेलीविजन का विकास क्रमिक तरीके से हुआ है. कई सालों तक शोधकार्यो को अंजाम देने के बाद सबसे पहले वर्ष 1897 में जेजे थॉमसन नामक वैज्ञानिक ने कैथोड किरणों को मोड़ने में सफलता प्राप्त की थी.

इसके बाद 1920 के अंत में टेलीविजन व्यावसायिक तौर पर लोगों के बीच पहुंचा. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद इसे खासी लोकप्रियता मिली. 1950 आते-आते पश्चिमी देशों में जनता के मत निधार्रण में टीवी का महत्व बहुत बढ़ गया.

21वीं सदी के टेलीविजन

21वीं शताब्दी के दूसरे दशक में आइ प्लेयर, हुलू और नेटफिक्स जैसे प्रोग्राम के जरिये इंटरनेट से भी टीवी चलाने की सुविधा मिलने लगी है़. विकसित देशों में अब ज्यादातर घरों से सीआरटी टीवी को नये एलएसडी और एलक्ष्डी टीवी ने रिप्लेस कर दिया है. ओएलक्ष्डी टीवी के प्रदर्शन से हार्डवेयर में आमूल-चूल परिवर्तन आया है.

एचडी टीवी की शुरुआत से लोगों को बेहतर रिजोल्यूशन मिलने लगा. इसकी गुणवत्ता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि यह 1080 पिक्सल की होती है. मौजूदा समय में भारत में इसकी सबसे ज्यादा मांग है. इसकी कीमत भी लोगों के बजट में है, जिससे यह काफी लोकप्रिय है.

एचडी टीवी के बाद अल्ट्रा एचडी टीवी की शुरुआत हुई. इससे ही 4के का कांसेप्ट भी आया है. इसे सुपर हाइ-विजन टेलीविजन भी कहा जाता है. लॉस वेगॉस में हाल ही में आयोजित ‘कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक शो’ में तो ‘8के’ टीवी को भी जल्द ही बाजार में लॉन्च करने की घोषणा की गयी है.

4के टेलीविजन के ऑपरेटिंग सिस्टम

– सैमसंग ने अपने टीवी सेट्स को लाइनेक्स पर आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम टाइजेन पर तैयार किया है. कुछ स्मार्टफोन पहले से इस ओएस प्लेटफॉर्म पर चल रहे हैं.

– सोनी, फिलिप्स और शार्प जैसी कंपनियां गूगल के नये एंड्रॉयड टीवी ऑपरेटिंग सिस्टम पर आधारित टीवी बना रही हैं.

– पैनासोनिक मोजिला फायरफॉक्स ओएस पर आधारित टीवी बना रही है.

4के टीवी की सामग्री के स्नेत : इस संदर्भ में आपकी जिज्ञासा जरूर होगी कि इस टीवी के लिए सामग्री कहां से हासिल की जायेगी. दरअसल, यूट्यूब और नेटफिक्स ने अपने कुछ शो की यूएचडी स्ट्रीमिंग शुरू की है.

हालांकि, इन स्नेतों पर बहुत सीमित सामग्री उपलब्ध है. उत्तम किस्म की गुणवत्ता के लिए आपको पैनासोनिक के प्रोटोटाइप 4के ब्लू रे प्लेयर का इंतजार करना होगा. इसके बाद 4के डिस्क के जरिये घरों में ही मल्टीप्लेक्स का आनंद लिया जा सकेगा.

आवाज की गुणवत्ता : उच्च गुणवत्ता के पिक्चर क्वालिटी के साथ ही आवाज की गुणवत्ता भी अहम हो जाती है. हालांकि, बड़ी टीवी कंपनियों ने इन टीवी सेटों में डॉल्वी साउंड लगाया है. इस तकनीक के तहत आवाज की गुणवत्ता को उच्च स्तर तक बेहतर बनाने की कवायद की जा रही है. इंटरनेट के जरिये भी मुहैया कराये जाने वाले वीडियो में भी ऑडियो क्वालिटी को खासा अच्छा बनाया जा रहा है.

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