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बापू की 150वीं जयंती : गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि

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आशुतोष चतुर्वेदी हर वर्ष दो अक्तूबर को हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्मदिन मनाते हैं, लेकिन इस बार विशेष अवसर है, क्योंकि इस बार बापू की 150वीं जयंती है. गांधी का व्यक्तित्व विराट था और उसके विभिन्न आयाम हैं. उन्हें अलग-अलग तरीके से श्रद्धांजलि दी जा सकती है. प्रभात खबर ने बापू को श्रद्धांजलि उनके […]

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आशुतोष चतुर्वेदी
हर वर्ष दो अक्तूबर को हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्मदिन मनाते हैं, लेकिन इस बार विशेष अवसर है, क्योंकि इस बार बापू की 150वीं जयंती है. गांधी का व्यक्तित्व विराट था और उसके विभिन्न आयाम हैं.
उन्हें अलग-अलग तरीके से श्रद्धांजलि दी जा सकती है. प्रभात खबर ने बापू को श्रद्धांजलि उनके विचारों को छाप कर दी है. प्रभात खबर हिंदी का एकमात्र अखबार है, जिसने 2 अक्तूबर, 2018 से लगातार एक वर्ष तक गांधी के विचारों को पहले पन्ने पर स्थान दिया है और आज उसकी पूर्णाहुति है.
मौजूदा दौर में गांधी के आदर्शों और उनके दिखाये रास्ते पर चलने की जरूरत एक बार फिर शिद्दत से महसूस की जा रही है. अनेक विद्वानों का मानना है कि महात्मा गांधी को समझना आसान भी है और मुश्किल भी. दरअसल, गांधी की बातें बेहद सरल और सहज लगती हैं, लेकिन उनका अनुसरण करना बेहद कठिन होता है.
महात्मा गांधी के पास अहिंसा, सत्याग्रह और स्वराज नाम के तीन हथियार थे. सत्याग्रह और अहिंसा के उनके सिद्धांतों ने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लोगों को अपने अधिकारों और अपनी मुक्ति के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा दी. यही वजह है कि इतिहास का सबसे बड़ा आंदोलन अहिंसा के आधार पर लड़ा गया.
गीता ने गांधीजी को सबसे अधिक प्रभावित किया था. गीता के दो शब्दों को गांधीजी ने आत्मसात कर लिया था. इनमें एक था- अपरिग्रह, जिसका अर्थ है मनुष्य को अपने आध्यात्मिक जीवन को बाधित करने वाली भौतिक वस्तुओं का त्याग कर देना चाहिए. दूसरा शब्द है समभाव. इसका अर्थ है दुख-सुख, जीत-हार, सब में एक समान भाव रखना, उससे प्रभावित नहीं होना.
जाने माने वैज्ञानिक आइंस्टाइन ने अपने संदेश में कहा था- आने वाली नस्लें शायद मुश्किल से ही विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस से बना हुआ कोई ऐसा व्यक्ति भी धरती पर चलता-फिरता था. यह वाक्य गांधी को जानने-समझने के लिए काफी है. जो बातें और रास्ता समाज के विकास के लिए महात्मा गांधी दिखा गये हैं, उनमें से जो हमें अनुकूल लगे, उसका अनुसरण हम करें. गांधी को हम सब की यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

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