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पुण्यतिथि पर विशेष : जब आपातकाल के बाद बोले थे अटल, कब तक रहेगी आजादी कौन जाने

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"बाद मुद्दत के मिले हैं दीवाने, कहने सुनने को बहुत हैं अफसाने. खुली हवा में जरा सांस तो ले लें, कब तक रहेगी आजादी कौन जाने". पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ये लाइन उस वक्त कही थी, जब आपातकाल के बाद चुनाव की घोषणा हुई. दिल्ली की ठंड में जनता पार्टी की सभा हो […]

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"बाद मुद्दत के मिले हैं दीवाने, कहने सुनने को बहुत हैं अफसाने. खुली हवा में जरा सांस तो ले लें, कब तक रहेगी आजादी कौन जाने". पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ये लाइन उस वक्त कही थी, जब आपातकाल के बाद चुनाव की घोषणा हुई. दिल्ली की ठंड में जनता पार्टी की सभा हो रही थी हल्की-हल्की बारिश थी, लोगों को लग रहा था कि भीड़ छटने लगेगी, लेकिन लोग चुपचाप बैठे इंतजार कर रहे थे. इंतजार था, अटल बिहारी वाजपेयी के संबोधन का. आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि है. अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ और दिल्ली के एम्स अस्पताल में उन्होंने 16 अगस्त, 2018 को शाम 5 बजकर 5 मिनट पर अंतिम सांस ली.

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अटल अपने भाषण की वजह से भारतीय राजनीति में अलग पहचान रखते थे. उनके संबोधन इतने दमदार होते थे कि उनके विरोधी भी कई बार उनके कायल हो जाते थे. ऐसे कई उदाहरण हैं. कई जगहों पर ऐसा लिखा गया कि अटल जी की भाषण शैली से पंडित नेहरू इतने प्रभावित थे कि उन्होंने कहा था, यह नवयुवक कभी ना कभी देश का प्रधानमंत्री जरूर बनेगा. पंडित नेहरू की बात सच साबित हुई और अटल बिहारी प्रधानमंत्री भी बने.

अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिनों की पहली सरकार बनी, तारीख थी 13 मई साल था 1996. पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने लेकिन ज्यादा दिनों तक इस पद पर बने नहीं रह सके. जिस दिन उन्होंने शपथ ली, तारीख 13 थी. सरकार बनने के 13 दिनों के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. 1996 में जब उनकी सरकार सिर्फ एक मत से गिर गयी, तो वाजपेयी ने संसद में एक जोरदार भाषण दिया था. इस भाषण के बाद वह राष्ट्रपति को अपने इस्तीफा सौंपने चले गये थे. इस भाषण की आज भी मिसाल दी जाती है. 13 अक्तूबर, 1999 को उन्होंने एक बार फिर प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. 13 तारीख को शपथ ली और 13 दलों के साथ मिलकर सरकार बनायी.

अटल बिहारी वाजपेयी एक प्रखर वक्ता और कवि थे. अटल के पिता पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापक थे. अध्यापक के साथ-साथ वह हिन्दी व ब्रजभाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे. आगरा जिले के प्राचीन स्थान बटेश्वर के रहने वाले अटल का पूरे ब्रज सहित आगरा से खास लगाव था. अटल बिहारी वाजपेयी को स्कूली समय से ही भाषण देने का शौक था, स्कूल में होने वाली वाद-विवाद, काव्य पाठ और भाषण जैसी प्रतियोगिताओं में अटल बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे. बचपन से ही संघ की शाखाओं से वाजपेयी का विशेष रिश्ता था. वाजपेयी ने पत्रकार के रूप में भी काम किया. राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया. इन वजहों से उनके भाषण में वह शक्ति थी, जिससे लोग जमे रहने पर मजबूर हो जाते थे.

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