33.5 C
Ranchi
Monday, April 21, 2025 | 11:22 pm

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

नवीन पटनायक का विकल्प नहीं दे पाया विपक्ष

Advertisement

नेताजी अभिनंदन, राजनीतिशास्त्री, रेवेन्शॉ यूनिवर्सिटीओडिशा के राजनीतिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई सरकार लगातार पांचवीं बार चुनी गयी है. सब लोग सोच रहे थे भाजपा के साथ उसकी जोरदार टक्कर होगी और एक चैलेंजर के रूप में भाजपा, बीजद को जोरदार चैलेंज देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इससे साबित होता है […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

नेताजी अभिनंदन, राजनीतिशास्त्री, रेवेन्शॉ यूनिवर्सिटी
ओडिशा के राजनीतिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई सरकार लगातार पांचवीं बार चुनी गयी है. सब लोग सोच रहे थे भाजपा के साथ उसकी जोरदार टक्कर होगी और एक चैलेंजर के रूप में भाजपा, बीजद को जोरदार चैलेंज देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इससे साबित होता है कि एक नेता के तौर पर नवीन पटनायक अभी भी लोगों के मन में सबसे विश्वसनीय, सबसे अच्छा प्रदर्शन करनेवाले नेता के रूप में छाये हुए हैं. लोग नवीन पटनायक के विकल्प के रूप में किसी को भी देख नहीं पा रहे हैं. दूसरे, यहां दो विरोधी दल हैं, बीजेपी और कांग्रेस.

कांग्रेस चुनाव इस बार लड़ी ही नहीं. कांग्रेस एक राष्ट्रीय दल है और ओडिशा पर उसका बहुत वर्ष तक शासन भी रहा है, इस बार सही तरीके से अपने उम्मीदवार का चयन नहीं किया. जिस तरीके से उसकी सांगठनिक कमजाेरी सामने आयी, उसे देखते हुए नतीजे आने से पहले ही कांग्रेस के नेता चुनाव हारने की बात स्वीकार कर चुके थे. यहां कांग्रेस अपनी पैठ गंवा चुकी है. अभी ओडिशा की राजनीति में बीजद और भाजपा के बीच ही टक्कर हुई है. लेकिन यहां की 147 सीटों पर बीजेडी के एक प्रभुत्व को चैलेंज करने के लिए बीजेपी के पास ऑर्गनाइजेशनल स्ट्रेंथ नहीं था और दूसरी बात है कि नवीन पटनायक के विरुद्ध वहां कौन है? ओडिशा के लोगों के सामने यह विकल्प भी भाजपा प्रस्तुत नहीं कर पायी. वहां नवीन पटनायक के सामने कोई वैकल्पिक नेतृत्व नहीं था, सांगठनिक तौर पर भाजपा इस स्थिति में नहीं थी कि वह बीजद को चैलेंज कर सके. तो ऐसी स्थिति में ओडिशा के लोगों ने फिर से नवीन पटनायक में अपना विश्वास व्यक्त किया है.

एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि नवीन पटनायक ने ओडिशा में बहुत सारे पॉपुलर स्कीम शुरू किये हैं. यहां जन्म से लेकर मरण तक हर एक वर्ग के लोगों के लिए, हर एक तबके के लोगों के लिए कुछ न कुछ कल्याणकारी योजनाएं हैं, जिसे हम थ्रीबी कहते हैं. तीसरे, नवीन पटनायक के ऊपर व्यक्तिगत तौर पर किसी भी तरह के भ्रष्टाचार का कोई अभियोग नहीं है. उनके बहुत सारे विधायक, नेता, मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे, तो उन्होंने बहुत से लोगों को हटाया भी है. लेकिन उनकी इमेज पर अभी तक किसी तरह का कोई दाग नहीं लगा है. इसके अलावा, ग्रासरूट लेवल पर हर गांव में, और हर जगह बीजद का जो ऑर्गनाइजेशनल मेकेनिज्म है, ऑर्गनाइजेशन की जो स्थिति और उपिस्थिति है, वैसी अभी तक भाजपा और कांग्रेस किसी की भी नहीं है. पर इसके बावजूद यहां लोगों के मन में था कि लोकसभा के लिए मोदी व विधानसभा के लिए नवीन को मत देना है. नतीजों की अगर बात करें, तो इस बार लोकसभा में भाजपा का अच्छा प्रदर्शन हुआ है. पिछली बार वह एक सीट जीती थी, लेकिन इस बार वह आंकड़ा नौ-दस तक जा सकता है.

यहां मोदी और शाह पिछले दो-तीन महीने में बहुत बार अाये, बहुत सारी रैली की. इसके बावजूद पश्चिम बंगाल में जिस तरीके का नतीजा देखने को मिला है, ओडिशा में उस तरह का नहीं मिला है. कहीं न कहीं, ममता से नवीन की लोकप्रियता बहुत ज्यादा है. इतना ज्यादा है कि उसमें बदलाव ले आना संभव नहीं हो पाया भाजपा के लिए. लेकिन अगले टर्म तक हम देखेंगे कि ओडिशा में मूलत: लड़ाई बीजद और भाजपा के बीच होगी. कांग्रेस यहां अपनी स्थिति खो चुकी है और बीजेपी यहां अपनी स्ट्रेंथ बढ़ायेगी और वह बीजद के लिए मेन और प्रिंसिपल चैलेंजर बनकर उभरेगी. राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो बीजद पिछले पांच साल से एनडीए और यूपीए के साथ बराबर दूरी की नीति पर कायम है. हालांकि, इससे पहले उसने कई मौकों पर एनडीए का समर्थन किया है, तो कुछ समय यूपीए के साथ भी गयी है, लेकिन वह हमेशा से एक आंचलिक दल के रूप में ओडिशा के स्टेटस के लिए लड़ाई लड़ती आ रही है.

इस बार चूंकि मोदी को इतनी बड़ी जीत हासिल हुई है, तो उनको बीजद का समर्थन नहीं चाहिए. क्योंकि बीजेपी अपने आपको ओडिशा में सबसे बड़े चैलेंजर के रूप में देख रही है वह भी शायद ही नवीन के साथ बैठने के लिए नहीं राजी हो. इस बार नवीन पटनायक की जीत उनकी लोकप्रियता, उनकी योजनाओं और उनके ग्रास रूट फंक्शनिज्म और ऑर्गनाइजेशनल मेकेनिज्म के चलते हुई है. आगे चलकर बीजद और भाजपा की लड़ाई बहुत रोचक होनेवाली है.

जहां तक मत प्रतिशत की बात है तो ओडिशा में बीजेपी का मत प्रतिशत काफी बढ़ा है. बीजद के मत प्रतिशत में भी पिछली बार से इजाफा हुआ है. वहीं कांग्रेस के मत प्रतिशत में बड़ी मात्रा में कमी आयी है. तो इससे यह तय होता है कि आनेवाले दिनों में बीजेपी अपनेआप को ओडिशा में और मजबूत करेगी और नवीन के खिलाफ अपनी स्थिति दिखाने के लिए आक्रामक अभियान चलायेगी.

[quiz_generator]

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snaps News reels