21.1 C
Ranchi
Monday, February 24, 2025 | 10:37 pm
21.1 C
Ranchi
No videos found

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

चलो बुलावा आया है, बाबा ने बुलाया है: प्रकृति की वास्तविकता ही हैं शिवशंकर

Advertisement

योगेन्द्र झा भूत एक ऐसा शब्द है, जो काल को इंगित करता है. बीता हुआ समय ही भूत है. आम तौर पर यह एक डरावना शब्द है, जो काल्पनिक, मिथ्या या मानसिक तनाव को घना कर देता है. इसके बारे में लोग सोंच कर ही डर जाते हैं, लेकिन जब इसी भूत को शिव के […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

योगेन्द्र झा

भूत एक ऐसा शब्द है, जो काल को इंगित करता है. बीता हुआ समय ही भूत है. आम तौर पर यह एक डरावना शब्द है, जो काल्पनिक, मिथ्या या मानसिक तनाव को घना कर देता है. इसके बारे में लोग सोंच कर ही डर जाते हैं, लेकिन जब इसी भूत को शिव के अनुचर के रूप में देखते हैं, तो सारा डर समाप्त हो जाता है. दरअसल, शिव हैं कौन? इनके गुण क्या हैं? शिव की महिमा का बखान करते हुए स्वयं सरस्वती कहती हैं

असित गिर सम स्यात कज्जलंग सिन्धु पात्रे

सुरतरुवर शाखा लेखनी पत्रमुर्वी ।

लिखती यदि गृहित्वा शारदा सर्व कालं

तदपि तव गुणाणमीश पार न याति

अर्थात वे लिखती जाती हैं – शिव के बखान को पर इसका अंत नहीं हो पाता. यही तो शिव हैं, जो चिर और सनातन हैं. शिव सारस्वत हैं. इसलिए सारस्वत शिव की महिमा को कोई नकार नहीं सकता. कारण यह कि शिव ही मूल सत्य हैं. वे शक्ति और प्रकाश के पुंज हैं. साथ ही अंतिम सुंदर भी वही हैं. सुनने से थोड़ा भ्रम होता है, पर क्योंकि जब यह उच्चरित होता है

श्मशाने स्वक्रीड़ा सार हर पिशाच सहचरा।

स्थिता , भष्मांगलेप नृिकोदि परिकर :

अमल्यं शालं तव भवतु नामैव मखिलं ।।

हजारों भूत-पिशाच के साथ वे क्रीड़ा करते हैं, राख रूपी भस्म को शरीर पर लपेटे हुए भय पैदा करते हैं, लेकिन ज्ञानवान के लिए यही चरम है, यही मूल वास्तविकता है, यही अवस्था उन्नत मनुष्य को ऊर्जा की प्राप्ति कराता है. ऐसे भी नाश या परिवर्तन चाहे नाश हो या मृत्यु. अंतिम विदाई श्मशान या अन्य अविहित क्षेत्र, पर सत्य तो एक ही है. शिव, शिव और स्वयं शिव. इनके अतिरिक्त जो है, सब माया. यही शिव की विशेषता व सुंदरता है. शिव जन-जन के हृदय में स्थापित व पूजित हैं.’ तथापि स्मतृषणं वरद् परमं मंगल मसि’. शिव के रहस्य को जो समझ गया, उसका कल्याण अटल है. यही पूर्ण सुख व शांति का मार्ग है, उनकी तमाम सकारात्मक कल्याण निश्चित हो जाता है.

नमस्ते त्वां महादेवं लोकनां गुरभीस्वरम्

सम्पूर्ण कामनां कामपूराड़धिपम ।। ”

अतएव सावन का पवित्र मास शिव के इसी रूप का प्रतीक है. वर्षा, हरियाली तो शिव रूपी प्राकृतिक सुंदरता को और भी निखार देता है. इसलिए कहा गया है कि

तव तत्वं न जानामि हे दृशो महेश्वर :

यादृशरत्वं कामनां काम पुराड़धिपम ।।

शिव को प्रिय है श्रावण मास
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण महीने को देवों के देव महादेव भगवान शंकर का महीना माना जाता है. इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें श्रावण महीना प्रिय होने का कारण पूछा, तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था. अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया. पार्वती ने युवावस्था के श्रावण महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, तब से महादेव के लिए यह माह विशेष हो गया.

श्रावण में शिवशंकर की पूजा : श्रावण के महीने में भगवान शंकर की विशेष रूप से पूजा की जाती है. इस दौरान पूजन की शुरुआत महादेव के अभिषेक के साथ की जाती है. अभिषेक में महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान कराया जाता है. अभिषेक के बाद विल्वपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, आक मदार, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि से शिवजी को प्रसन्न किया जाता है. इसके साथ की भोग के रूप में धतूरा, भांग और श्रीफल महादेव को चढ़ाया जाता है.

महादेव का अभिषेक : महादेव का अभिषेक करने के पीछे एक पौराणिक कथा का उल्लेख है कि समुद्र मंथन के समय हलाहल विष निकलने के बाद जब महादेव इस विष का पान करते हैं, तो वह मूर्च्छित हो जाते हैं. उनकी दशा देखकर सभी देवी-देवता भयभीत हो जाते हैं और उन्हें होश में लाने के लिए निकट में जो चीजें उपलब्ध होती हैं, उनसे महादेव को स्नान कराने लगते हैं. इसके बाद से ही जल से लेकर तमाम उन चीजों से महादेव का अभिषेक किया जाता है.

विल्वपत्र और शमीपत्र : भगवान शिव को भक्त प्रसन्न करने के लिए विल्वपत्र और शमीपत्र चढ़ाते हैं. इस संबंध में एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब 89 हजार ऋषियों ने महादेव को प्रसन्न करने की विधि परम पिता ब्रह्मा से पूछी- तो ब्रह्मदेव ने बताया कि महादेव 100 कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं. ऐसे ही एक हजार नीलकमल के बराबर एक विल्वपत्र और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक शमीपत्र का महत्व है.

विल्वपत्र ने दिलाया वरदान : विल्वपत्र महादेव को प्रसन्न करने का सुलभ माध्यम है. विल्वपत्र के महत्व में एक पौराणिक कथा है कि एक भील डाकू परिवार का पालन-पोषण करने के लिए लोगों को लूटा करता था. श्रावण महीने में एक दिन डाकू जंगल में राहगीरों को लूटने के इरादे से गया. पूरा दिन-रात बीत जाने के बाद भी कोई शिकार नहीं मिलने से डाकू काफी परेशान हो गया. इस दौरान डाकू जिस पेड़ पर छुप कर बैठा था, वह बेल का पेड़ था और परेशान डाकू पेड़ से पत्तों को तोड़ कर नीचे फेंक रहा था. डाकू के सामने अचानक महादेव प्रकट हुए और वरदान मांगने को कहा. अचानक हुई शिव कृपा जानने पर डाकू को पता चला कि जहां वह विल्वपत्र फेंक रहा था, उसके नीचे शिवलिंग स्थापित था. तब से विल्वपत्र का महत्व है.

सोमवारी पर शिवलिंग की पूजा है फलदायी

श्रावण माह में सोमवार को दिन स्फटिक शिवलिंग को शुद्ध गंगा जल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से स्नान करवाकर धूप-दीप जलाकर मंत्र का जाप करने से समस्त बाधाओं का शमन होता है.

श्रावण मास में सामान्य शिव उपासना से भी मनोवांछित फल मिल सकता है, अगर मन शुद्ध और आचरण पवित्र हो.

इस मास में भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती, दोनों ही विशेष आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

शिव जी का पूरा परिवार, गण और अवतार इस मास में प्रसन्न मुद्रा में वरदान देते हैं. अत: इस मास का पूरा लाभ उठाया जाना चाहिए.

बीमारी से परेशान होने पर और प्राणों की रक्षा के लिए इस मास में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें. याद रहे, महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से ही करें. मंत्र दिखने में जरूर छोटा है, किंतु प्रभाव में अत्यंत चमत्कारी है.

जलाभिषेक के विशेष महत्व
सावन में शिवलिंग पर जलाभिषेक का विशेष महत्व है. यह अभिषेक जल और दूध के अतिरिक्त कई तरल पदार्थों से किया जाता है. आइए, जानते हैं कि किस धारा के अभिषेक से क्या फल मिलता है.

गंगाजल चढ़ाने से : गंगाजल से सर्वसुख व मोक्ष की प्राप्ति होती है.

दूध चढ़ाने से : भगवान शिव को दूध की धारा से अभिषेक करने से मुर्ख भी बुद्धिमान हो जाता है, घर की कलह शांत होती है.

जल चढ़ाने से : जल की धारा से अभिषेक करने से विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.

घृत चढ़ाने से : घृत यानी घी की धारा से अभिषेक करने से वंश का विस्तार, रोगों का नाश तथा नपुंसकता दूर होती है.

इत्र चढ़ाने से : इत्र की धारा चढ़ाने से काम, सुख व भोग की वृद्धि होती है.

शहद चढ़ाने से : शहद के अभिषेक से टीबी रोग का क्षय होता है.

गन्ने का रस चढ़ाने से : गन्ने के रस से आनंद की प्राप्ति होती है.

एप डाउनलोड करें, बाबाधाम चलें
यदि आपके पास फोर जी कनेक्शन के साथ स्मार्टफोन है, तो baba baidyanath एप अपने फोन में डाउनलोड कर लीजिए. इसके बाद कांवर यात्रा शुरू कर दीजिए. यह मोबाइल एप गाइड की तरह काम करेगा. यात्रा से संबंधित जरूरी जानकारी एक टच पर मुहैया है. आप लोकेशन नहीं जानते, तो जीपीएस ऑन कर सकते हैं. देवघर में कतार कहां तक है? ठहरने की क्या व्यवस्था है? दर्शनीय स्थल कहां-कहां है? महत्वपूर्ण नंबर आदि सबकुछ इसमें है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
Home होम Videos वीडियो
News Snaps NewsSnap
News Reels News Reels Your City आप का शहर