13.1 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 06:24 am
13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

फंड का चुनाव करना हुआ आसान सेबी ने किया म्यूचुअल फंड का वर्गीकरण, जानें आपके लिए कितना फायदेमंद

Advertisement

म्यूचुअल फंड में निवेश करनेवालों के सामने आज सबसे बड़ा सवाल यह होता है कि वे किस म्यूचुअल फंड में निवेश करें जिससे उन्हें बेहतर व सुरक्षित रिटर्न प्राप्त हो सके. बाजार में एक ही कंपनी के एक ही तरह के ढ़ेर सारे फंड उपलब्ध हैं. इससे निवेशकों में उलझन बनी रहती है. ऐसे में […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

म्यूचुअल फंड में निवेश करनेवालों के सामने आज सबसे बड़ा सवाल यह होता है कि वे किस म्यूचुअल फंड में निवेश करें जिससे उन्हें बेहतर व सुरक्षित रिटर्न प्राप्त हो सके. बाजार में एक ही कंपनी के एक ही तरह के ढ़ेर सारे फंड उपलब्ध हैं. इससे निवेशकों में उलझन बनी रहती है. ऐसे में सेबी ने दिशानिर्देश जारी किया है िजससे अब एक कंपनी का मात्र 36 तरह का ही फंड बाजार में होगा. जानते इस वर्गीकरण को जिसने निवेशकों का रास्ता आसान बना दिया है.
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्यूचुअल फंड कंपनियों से कहा है कि वह अपनी सभी योजनाओं को पांच श्रेणियों में ही विभाजित करे. इससे एक ही तरह की कई योजनाओं को एक ही श्रेणी में लाने में मदद मिलेगी. योजनाओं को मुख्य तौर पर पांच श्रेणियों – इक्विटी, डेब्ट, हाइब्रिड, सॉल्यूशन बेस्ड और अन्य योजनाओं के तहत रखना होगा. इसमें इंडेक्स फंड, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड समेत कुछ विशेष तरह की योजनाओं को ही छूट प्राप्त होगी. पिछले वर्ष अक्तूबर में जारी किये गये अपने निर्देश में सेबी ने तीन महीने का समय दिया था और अब इस निर्देश के अनुसार ही बाजार में म्यूचुअल फंड अपनी योजनाओं को पेश करेंगे. इस निर्देश के बाद कंपनियों को पहले से चली आ रही अपनी योजनाओं को भी इसी स्वरूप में रखना अनिवार्य है.
म्यूचुअल फंड स्कीम के लिए 10 इक्विटी श्रेणियां, 16 डेट श्रेणियां और छह हाइब्रिड श्रेणियां निर्धारित की गयी हैं. स्कीम के चयन में निवेशकों को आसानी हो, इसके लिए ऐसा किया जा रहा है.
म्यूचुअल फंडों का नया वर्गीकरण
इक्विटी फंड (10 फंड)
मल्टी कैप फंड, लार्ज कैप फंड, लार्ज एंड मिड कैप फंड, मिड कैप फंड, स्मॉल कैप फंड, डिविडेंड इल्ड फंड, वैल्यू फंड/कॉन्ट्रा फंड, फोकस्ड फंड, सेक्टोरल फंड, इएलएसएस.
डेब्ट फंड (16 फंड)
ओवरनाइट फंड, लिक्विड फंड, अल्ट्रा शॉर्ट फंड, लो ड्यूरेशन फंड, मनी मार्केट फंड, शॉर्ट ड्यूरेशन फंड, मीडियम ड्यूरेशन फंड, मीडियम टू लांग ड्यूरेशन फंड, लांग ड्यूरेशन फंड, डायनमिक फंड, कॉरपोरेट बांड फंड, क्रेडिट रिस्क फंड, बैंकिंग एंड पीएसयू फंड, गिल्ट फंड, गिल्ट फंड (10 वर्ष की स्थायी अवधि वाला), फ्लोटर फंड,
हाइब्रिड फंड (6 फंड)
कंजरवेटिव हाइब्रिड फंड, बैलेंस्ड हाइब्रिड फंड/ एग्रेसिव हाइब्रिड फंड, डायनमिक ऐसेट एलोकेशन, मल्टी ऐसेट एलोकेशन, आरबिट्रेज फंड, इक्विटी सेविंग्स फंड.
सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड (02 फंड)
रिटायमेंट फंड, चिल्ड्रेन्स फंड.
अन्य फंड (02 फंड): इंडेक्स फंड या इटीएफ, फंड ऑफ फंड.
नहीं होगा दोहराव
इस नये बदलाव से अब म्यूचुअल फंड कंपनियां एक जैसी कई योजनाओं को पेश नहीं कर सकेंगे जैसा वे अभी तक करते आ रहे थे. निवेशक इस कारण उलझन में रहते थे और उन्हें फंड का चुनाव करने में परेशानी होती थी.
सेबी ने यह सुनिश्चित करने को कहा है कि नये नियमों के तहत पेश की जाने वाली एक ही श्रेणी की योजनाओं में दोहराव न हो. मतलब, एक श्रेणी में एक ही स्कीम्स होनी चाहिए, एक से अधिक नहीं. यानी हर श्रेणी के तहत केवल एक ही योजना को पेश करने की अनुमति है.
ट्रैकिंग व विश्लेषण में सुविधा
सेबी द्वारा निर्देशित वर्गीकरण हो जाने के बाद म्यूचुअल फंड्स को ट्रैक करना और उसके विश्लेषण करनेवालों को आसानी होगी. इसका सीधा असर निवेशकों को होगा और उन्हें फंड का चुनाव कर इच्छानुसार निवेश करने में सहूलियत होगी.
पारदर्शिता बढ़ेगी
पांच श्रेणियों के तहत 26 उपश्रेणियों में म्यूचुअल फंड के वर्गीकरण करने से सभी के ऐसेट एलोकेशन और निवेश की रणनीति में पारदर्शिता रहेगी. निवेशक अपने लक्ष्य का निर्धारण कर आसानी से निर्णय लेकर निवेश कर सकेंगे.
मार्केट कैप के आधार पर स्पष्टता
मार्केट कैप के हिसाब से शीर्ष 100 स्थान रखने वाली कंपनियों को लार्ज कैप में शामिल किया गया है. 101 वें से 250 वें पायदान में रहनेवाली कंपनियों को मिड कैप और 251 वें पायदान के बाद वाली कंपनियों को स्मॉल कैप में रखा गया है. पहले यह स्पष्टता नहीं थी.
डेब्ट फंड की योजनाओं में अवधि की स्पष्टता
– ओवरनाइट फंड 1 दिन में
– लिक्विंड फंड 91 दिनों तक
– अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड 3- 6 महीने तक
– लो ड्यूरेशन फंड 6 महीने – एक साल तक
– मनी मार्केट फंड एक साल तक
– शॉर्ट ड्यूरेशन फंड 1 साल से 3 साल तक
– मीडियम ड्यूरेशन फंड 3 साल से 4 साल तक
– मीडियम टू लांग ड्यूरेशन फंड 4 साल से 7 साल तक
– लांग ड्यूरेशन फंड 7 साल से अधिक
– डायनामिक और गिल्ट फंड सभी अवधियों के लिए
कितना फायदेमंद
म्यूचुअल फंड स्कीम के वर्गीकरण से कई बदलाव आयेंगे जिससे निवेशकों को फायदा ही होगा.वर्गीकरण से हर योजना का नफा-नुकसान समझना निवेशकों के लिए आसान होगा. पहले म्यूचुअल फंड के बहुत सारे प्रोडक्ट हुआ करते थे, उलझाने वाला नाम हुआ करता था, कौन सा प्रोडक्ट किस जरूरत और किस तरह के निवेशकों के लिए है, यह समझना काफी जटिल था, लेकिन अब यह सब समझने में काफी आसानी होगी.
पहले समान श्रेणी वाले फंड्स को ढूंढना और उनकी आपस में तुलना करना एक कठिन काम था, लेकिन अब यह काम एक दम आसान हो जाएगा. पहले लार्ज कैप, मिड कैप, स्मॉल कैप कंपनियों को परिभाषित करने का कोई आधार नहीं था, लेकिन अब सेबी ने साफ-साफ इनको परिभाषित कर दिया है.
म्यूचुअल फंड योजनाओं की संख्या में कमी आयेगी और इनके विकल्पों का सरलीकरण किया जा सकेगा. मसलन, अब इक्विटी, डेब्ट, हाइब्रिड, समाधान आधारित और अन्य फंड के तहत ही योजनाओं को शुरू किया जा सकेगा. इसमें भी इक्विटी के तहत 10, डेट के तहत 16, हाइब्रिड के तहत 6 तरह की योजनाएं जबकि समाधान आधारित और अन्य के तहत दो-दो तरह की योजनाएं की लॉन्च की जा सकेगी.
अब निवेशकों से जिस स्कीम के नाम पर पैसे लिया जायेगा, उसी में पैसा लगाया जायेगा. फंड मैनेजर अब निवेशकों से पैसे लेने के बाद स्कीम्स में बदलाव नहीं कर सकेंगे, जब तक निवेशक उन्हें ऐसा करने के लिए ना कहे.
जाने अल्टरनेटिव इंवेस्टमेंट फंड (एआइएफ) को
ललित त्रिपाठी
निदेशक, वेदांत ऐसेट एडवाजर्स
lallit1@gmail.com
ऐ से कई निवेश की संस्थाएं हैं जहां सामान्य निवेश तरीकों जैसे म्यूचुअल फंड, सूचीबद्ध बांड, जमीन, सोना आदि में निवेश करने के अलग हटकर निवेश किया जाता हैं. इन गैरपारंपरिक या वैकल्पिक निवेशी संस्थाओं को संयुक्त रूप से अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड कहा जाता है.
एआइएफ निवेश संस्थाओं का ऐसा वर्ग है जो निवेश संस्थाओं के लिए सेबी के सामान्य नियामक ढांचे के अंतर्गत नहीं आनेवाले निवेश पद्धति में निवेश का अवसर देता है. एआइएफ से तात्पर्य किसी भी निजी सामूहिक निवेश फंड से है- जैसे कोई ट्रस्ट या कंपनी या कॉर्पोरेट बॉडी या एलएलपी (लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप) जो आरबीआई, सेबी, इरडा और पीएफआरडीए के नियामकों के अंतर्गत न आती हो. ये भारतीय या विदेशी भी हो सकते हैं.
बाजार में निवेश की नयी संभावनाओं जैसे प्राइवेट इक्विटीज, वेंचर केपिटल फंड, हेज फंड्स, कमोडिटी फंड्स, डेब्ट फंड्स, इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड्स आदि अल्टनेटिव इंवेस्टमेंट फंड में शामिल हैं. इनमें से अधिकांश इक्विटीज बड़े कॉर्पोरेट समूहों या अमीर व्यक्तियों के स्वामित्व वाली हैं. कई मल्टीनेशनल बैंकों के भी एआइएफ हैं. वेंचर केपिटल फंड्स और एंजेल इन्वेस्टर्स भी एआइएफ की श्रेणी में आते हैं.
नियमन
मई 2012 में सेबी ने एआइएफ के लिए दिशानिर्देश बनाये थे, जिसके अनुसार भारत में स्थापित फंड्स के लिए किसी भारतीय या विदेशी निवेशकों द्वारा किया गया पूंजी निवेश पूर्व निर्धारित पॉलिसी के अनुसार ही होगा. 2014 में सेबी ने निर्णय लिया कि सूचीबद्ध कंपनियों के प्रमोटर एआइएफ को 10 प्रतिशत तक इक्विटी शेयर कर सकते हैं. जैसे एसएमइ फंड्स, इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड्स, पीई फंड्स और वेंचर केपिटल फंड्स जो न्यूनतम 25% सार्वजनिक हिस्सेदारी हासिल करने के लिए पंजीकृत हैं.
एआइएफ की तीन श्रेणियां होती है
सेबी के दिशा निर्देशों के तहत एआइएफ को तीन श्रेणियों में बांटा गया है.
श्रेणी I : इसमें वे एआइएफ आते हैं जो अर्थव्यवस्था में सकारात्मक प्रभाव पैदा करते हैं और इसके लिए उन्हें सरकार, सेबी या अन्य नियामकों से प्रोत्साहन भी मिलता है. इसमें सोशल वेंचर फंड्स, इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड्स, वेंचर केपिटल फंड्स, एंजेल इन्वेस्टर्स, एसएमइ फंड्स आदि शामिल हैं.
श्रेणी II : इसमें वे फंड्स आते हैं जिन्हें कोई खास इंसेंटिव तो नहीं मिलता, लेकिन वे बिना कर्ज जुटाए कहीं भी निवेश कर सकते हैं. वे रोजाना की जरूरतों के लिए भी फंड जुटा सकते हैं. प्राइवेट इक्विटी फंड्स, डेट फंड आदि इसी कैटेगरी में आते हैं.
श्रेणी III : इस श्रेणी के फंड शॉर्ट टर्म गेन्स कमाते हैं और इन्हें कोई छूट नहीं मिलती. इस कैटेगरी में हेज फंड्स आते हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें