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पढ़ें, रक्षा विशेषज्ञ सुशांत सरीन का लेख- हाफिज के कंधे पर है पाक की बंदूक

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!!सुशांत सरीन,रक्षा विशेषज्ञ!! हाफिज सईद की रिहाई के दो कारण हैं. पहला कि वह पाकिस्तान का लाडला है और दूसरा कि उसके खिलाफ कोई केस नहीं था. इतने दिनों से उसको गिरफ्तार नहीं, बल्कि नजरबंद किया गया था. चूंकि, उस पर कोई केस नहीं था, इसलिए अदालत नहीं, बल्कि उसके जूडिशियल रिव्यू बोर्ड ने सरकार […]

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!!सुशांत सरीन,रक्षा विशेषज्ञ!!

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हाफिज सईद की रिहाई के दो कारण हैं. पहला कि वह पाकिस्तान का लाडला है और दूसरा कि उसके खिलाफ कोई केस नहीं था. इतने दिनों से उसको गिरफ्तार नहीं, बल्कि नजरबंद किया गया था. चूंकि, उस पर कोई केस नहीं था, इसलिए अदालत नहीं, बल्कि उसके जूडिशियल रिव्यू बोर्ड ने सरकार से कहा था कि उसे रिहा किया जाये. पाकिस्तान ने दुनिया को दिखाया कि हमने उसे पकड़कर नजरबंद कर दिया था, लेकिन सबूत ही नहीं मिला, तो छोड़ना पड़ा.

जहां तक अमेरिका की फटकार की बात हैं, तो इसका कोई मतलब नहीं है. क्योंकि अमेरिका बहुत कुछ बोलता रहता है, जिसका पाकिस्तान पर फर्क नहीं पड़ता. अमेरिका ने भी अपनी खानापूर्ति कर ली, पाकिस्तान ने भी सुन ली और सब ठीक-ठाक हो गया. दरअसल, अमेरिका के ऐसा बोलने के बाद अगर सईद पर किसी प्रकार का प्रतिबंध आयद हो, या कोई कार्रवाई हो, तब तो उसके बोलने का कोई मतलब है. यह एक प्रकार का नाटकीय व्यवहार है कि देखो हमने पाकिस्तान को डांट दिया है. हाफिज सईद ने रिहा होते ही कश्मीर की आजादी के लिए संघर्ष और इसके लिए पाकिस्तानियों को एकजुट करने की बात कही. भारत को अपनी प्रतिक्रिया देनी ही चाहिए.

दरअसल, भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को तेज करना या कश्मीर की आजादी की बात करना, यह सईद पर नहीं, बल्कि पाकिस्तानी सरकार के ऊपर निर्भर करता है. इस बयान के लिए हम हाफिज सईद से ज्यादा पाकिस्तान सरकार को जिम्मेदार ठहरायेंगे. क्योंकि, बिना पाकिस्तानी सरकार, आइएसआइ और सेना की सह के सईद कुछ कर ही नहीं सकता. दरअसल, असली दहशतगर्दी हाफिज सईद नहीं फैला रहा, बल्कि उसके कंधे पर बंदूक रखकर पाकिस्तान सरकार, उसकी सेना और आइएसआइ फैला रहे हैं. इसलिए सईद के बयानों पर भारत को न सिर्फ जबरदस्त प्रतिक्रिया देना चाहिए, बल्कि खुफिया तंत्र को सचेत भी रहना चाहिए, ताकि उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके.

पाकिस्तान में सक्रिय प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन

हिज्ब-उल-मुजाहिदीन

गठन : सितंबर, 1989

मुख्यालय : मुजफ्फराबाद (पीओके)

संस्थापक : एहसान दार

बड़े आतंकी : सैयद सलाहुद्दीन, हिलाल अहमद मीर, गुलाम नबी नौसरी, गाजी नसिरुद्दीन.

संबंध : इसका संबंध पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के अलावा यूनाइटेड जिहाद काउंसिल और भारत में सक्रिय स्टूडेंट इसलामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से है.

-जम्मू-कश्मीर में सक्रिय यह ग्रुप भारत-पाकिस्तान सीमा पर सक्रिय आतंकी संगठनों में बड़ा संगठन है.

-1990 में इस आतंकी संगठन का संविधान बना और सलाहुद्दीन को इसका पैट्रन और हिलाल अहमद मीर को प्रमुख बनाया गया.

-इस संगठन का मुख्यालय पाकिस्तान कब्जेवाले कश्मीर स्थित मुजफ्फराबाद में है और इसका प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन है.

हरकत-उल-अंसार

गठन : 1990 के बाद

संस्थापक : मौलाना सैयद सदातुल्लाह खान

बड़े आतंकी : मसूद अजहर, सज्जाद अफगानी, नसरुल्ला मंजूर, उमर सईद शेख.

अब यह आतंकी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन नाम से सक्रिय है. मौलाना सैयद सदातुल्लाह खान के नेतृत्व में दो पाकिस्तानी समूहों हरकत-उल-जिहाद अल इसलामी और हरकत उल मुजाहिदीन का विलय कर हरकत-उल अंसार नामक संगठन बना था. यह संगठन जम्मू-कश्मीर में हिंसक वारदातों में शामिल रहा है. आतंकी ओसामा-बिन-लादेन से संबंध होने के कारण अमेरिका ने इसे आतंकी संगठन घोषित कर दिया था.

जैश-ए-मोहम्मद

गठन : जनवरी, 2001 (कराची)

संस्थापक : मौलाना मसूद अजहर

बड़े आतंकी : मसूद अजहर, मौलाना कारी मंसूर अहमद, अब्दुल जब्बार, मौलाना सज्जाद उस्मान, शाहनवाज खान उर्फ साजिद जेहादी, मुफ्ती मोहम्मद असगर.

जैश-ए-मोहम्मद भारत की संसद पर 13 दिसंबर, 2001 को हमले का मुख्य दोषी है. इंडियन एयरलाइंस विमान अपहरण का दोषी मसूद अजहर रिहाई के बाद कराची में 31 जनवरी, 2001 को जैश-ए-मोहम्मद को लांच किया.

सक्रियता : यह संगठन जम्मू-कश्मीर समेत भारत में कई शहरों में हमले का आरोपी है.

अल-बद्र

गठन : जून 1998

संस्थापक : लुकमान

बड़े आतंकी : बख्त जमीं, अरफीन उर्फ जानिसार, जाहिद, जस्म भट और अबू मवाई.

इस आतंकी समूह का कैंप ऑफिस पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद में है. जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकी समूह यूनाइटेड जिहाद कौंसिल (यूजेसी) का यह प्रमुख हिस्सा है. माना जाता है कि 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में बंगालियों पर हुए हमलों में यह संगठन शामिल रहा है. यह संगठन 80 के दशक में हिज्ब-ए-इसलामी का हिस्सा था.

जमियत-उल-मुजाहिदीन

गठन : 1990

संस्थापक : शेख अब्दुल बासित

बड़े आतंकी : हिलाल अहमद मीर उर्फ नासिरुल इसलाम, मोहम्मद सालाह

हिज्ब-उल-मुजाहिदीन में मास्टर एहसान दार और हिलाल अहमद मीर के आपसी विवाद के कारण इस नये संगठन की नींव पड़ी. इसमें शामिल ज्यादातर अहले सुन्नत स्कूल से निकले कश्मीरी हैं.

मुत्ताहिदा जिहाद काउंसिल

गठन : नवंबर 1990

संस्थापक : सैयद सलाहुद्दीन (13 जेहादी संगठन शामिल)

बड़े आतंकी समूह : हिज्बुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तयबा, जैश-ए-मोहम्मद, अल-बद्र मुजाहिदीन मिल कर कश्मीर जिहाद के लिए ‘मुवाखात’ नाम से सक्रिय.

मुत्ताहिदा जिहाद काउंसिल में उक्त आतंकी संगठनों के अलावा जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट, हरकत-उल-अंसार, तहरीक-ए-जिहाद, तहरीक-उल-मुजाहिदीन, अल-जेहाद, हिज्बुल्लाह, अल-फतह, हिज्ब-उल-मोमिनीन आदि संगठन शामिल हैं.

हरकत-उल-जिहाद-अल-इसलामी (हूजी)

गठन : सोवियत-अफगान युद्ध के समय (अनुमानित)

संस्थापक : कारी सैफुल्लाह अख्तर, मौलाना इरशाद अहमद, मौलाना अब्दुस समद सियाल ने शुरुआत में जमियत अनसारुल अफगानीन (जेएए) 1980 में संगठन बनाया, जो बाद में हूजी नाम से सक्रिय हो गया.

बड़े आतंकी : बशीर अहमद मीर (कमांडर-इन-चीफ) (2005 में मार गिराया गया). माना जाता है कि भारत में कई हमलों का मास्टर माइंड शाहिद बिलाल हूजी का नेतृत्व करता है. मुफ्ती अब्दुल हन्नान, शाकत ओस्मान उर्फ शेख फरीद और इम्तियाज जैसे कई बड़े आतंकी सक्रिय.

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