21.1 C
Ranchi
Tuesday, February 25, 2025 | 10:35 pm
21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

किडनी कैंसर का बढ़ता जोखिम!

Advertisement

दुनियाभर में किडनी के कैंसर का जोखिम बढ़ता जा रहा है. हालांकि, इसके पुख्ता कारणों के बारे में अब तक समग्रता से नहीं जाना जा सका है, लेकिन अनेक नये शोध अध्ययनों में यह दर्शाया गया है कि खुली हवा में ज्यादा तापमान में पकाये गये मीट के सेवन समेत अन्य कई कारणों से इस […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

दुनियाभर में किडनी के कैंसर का जोखिम बढ़ता जा रहा है. हालांकि, इसके पुख्ता कारणों के बारे में अब तक समग्रता से नहीं जाना जा सका है, लेकिन अनेक नये शोध अध्ययनों में यह दर्शाया गया है कि खुली हवा में ज्यादा तापमान में पकाये गये मीट के सेवन समेत अन्य कई कारणों से इस बीमारी का जोखिम बढ़ता है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आरंभिक चरण में ही इस बीमारी की पहचान हो जाये, तो इसके जोखिम को कम किया जा सकता है. क्या है किडनी कैंसर, क्या हैं इसके प्रमुख लक्षण और रिस्क फैक्टर समेत इस संबंध में हालिया शोध अध्ययनों आदि के बारे में बता रहा है
आज का मेडिकल हेल्थ पेज …
अमेरिकन कैंसर सोसायटी के हवाले से ‘मेडिकल न्यूज टुडे’ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2017 में अमेरिका में करीब 64,000 लोग किडनी कैंसर की चपेट में आ चुके होंगे. रिपोर्ट में इस बात का गंभीरता से उल्लेख किया गया है कि किडनी कैंसर से पीड़ित किसी मरीज के जीवनकाल में समुचित इलाज और सही हाेने की संभावना महज 1.6 फीसदी ही हो सकती है. किडनी कैंसर के इलाज के लिए औसत उम्र 64 वर्ष है, जबकि मौजूदा जीवनशैली में 45 वर्ष से कम के लोगों में भी यह बीमारी पनप रही है. शोधकर्ताओं ने इस संबंध में कई शोधकार्यों को अंजाम दिया है, जो इस बीमारी के जोखिम को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं. कुछ प्रमुख शोध रिपोर्ट इस प्रकार हैं :
कम कॉलेस्ट्रॉल के कारण किडनी कैंसर से बढ़ सकती है मृत्यु दर
कम कॉलेस्ट्रॉल के कारण किडनी के मरीजों में मृत्यु का जोखिम बढ़ सकता है. ‘बेलमारा हेल्थ डॉट कॉम’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने 867 मरीजों में रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को जानने के लिए किडनी सर्जरी से पहले रीनल सेल कार्सिनोमा का विश्लेषण किया.
करीब 52 महीनों तक इन मरीजों का अध्ययन किया गया. शोधकर्ताओं ने पाया कि इस अवधि के दौरान लो ब्लड कोलेस्ट्रॉल का संबंध ट्यूमर की बढ़ोतरी और कैंसर के साथ जुड़ा पाया गया था. कम कोलेस्ट्रॉल लेवल के मुकाबले ज्यादा कोलेस्ट्रॉल लेवल मरीजों में किडनी कैंसर से मृत्यु का जोखिम 43 फीसदी कम पाया गया. इसके प्रमुख शोधकर्ता का कहना है कि यह हाइपोथेसिस पर आधारित अध्ययन है, और फिलहाल इसे स्वतंत्र रूप से परीक्षण करने की जरूरत है. इस परीक्षण के पूरा होने की दशा में इस बीमारी की पहचान आरंभिक स्तर पर करने में आसानी हो सकती है.
उच्च ताप पर पकाये गये मीट के सेवन से बढ़ता है जोखिम
मीट को उच्च तापमान पर पकाये जाने पर उसमें उच्च कार्सिनोजेनिक कंपाउंड पैदा होते हैं, जिस कारण ऐसे मीट को खाने से किडनी कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है. यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के शोधकर्ताओं ने अपने इस अध्ययन के दौरान यह भी पाया कि खास जेनेटिक म्यूटेशन की दशा में कार्सिनोजेनिक के नकारात्मक असर का जोखिम और बढ़ जाता है.
हालांकि, इसके लिए यह चीज ज्यादा मायने रखती है कि मीट को कैसे पकाया गया है. दरअसल, खुली आग में ज्यादा तापमान पर मीट को पकाने से कार्सिनोजेन का सृजन होते हुए पाया गया है. प्रसिद्ध मेडिकल पत्रिका ‘कैंसर’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, किडनी कैंसर का सर्वाधिक कॉमन प्रारूप रीनल सेल कार्सिनोमा होता है और इसके लिए पश्चिमी खानपान को प्राथमिक रूप से उत्तरदायी ठहराया गया है. इसका एक बड़ा कारण यह भी बताया गया है कि मीट का सेवन पश्चिमी खानपान का प्रमुख हिस्सा है, जिससे अन्य कई कैंसर भी पनपते हैं.
इम्यून सिस्टम को मजबूत करनेवाली दवा से किडनी कैंसर का इलाजइम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देनेवाली दवा, जिसका उपयोग ट्यूमर के सिकुड़ने में भी किया जाता है, एडवांस किडनी कैंसर के इलाज में सक्षम साबित हुआ है.
‘ऑपडिवो’ नामक इस दवा का व्यापक परीक्षण किया गया है और ट्यूमर को कम करने के मामले में अन्य दवाओं के मुकाबले इसके ज्यादा बेहतर नतीजे पाये गये हैं. ‘न्यू इंगलैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन’ की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि इसके प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर पद्मिनी शर्मा का कहना है कि हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स ने इस मामले में बेहतर नतीजे हासिल किये हैं. अनेक क्लिनीक में एडवांस किडनी के करीब 800 मरीजों के इलाज के संदर्भ में यह अध्ययन किया गया. पाया गया कि ट्यूमर को सिकोड़ने में यह अहम भूमिका निभाता है. इतना ही नहीं, इस दवा के परीक्षण के नतीजों से यह दर्शाया गया है कि मेलेनाेमा और लंग मेलिग्नेंसिज सरीखे कैंसर के कई अन्य प्रारूपों में भी यह असरकारी साबित हुआ है.
क्या है किडनी
कैंसर का यह प्रारूप किडनी में पनपता है, जो रीढ़ की हड्डी के दोनों हिस्सों को अपने प्रभाव में ले लेता है़ किडनी रक्त को छानने या शुद्ध करने का काम करती है. किडनी रक्त को शुद्ध करते हुए इसे शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंचाती है और गैर-जरूरी तत्वों को मूत्र के साथ निक्षेपित कर देती है़ स्वस्थ शरीर के लिए किडनी का सही तरीके से काम करना जरूरी है़
इसके अलावा किडनी तीन हार्मोन का उत्सर्जन भी करता है :
इरिथ्रोपोइटिन : बोन मैरो के साथ यह हार्मोन आबीसी के उत्पादन के लिए जिम्मेवार माना जाता है.
रेनिन : यह खास हार्मोन है, जो ब्लड प्रेशर को नियमित करता है.
कैल्सिट्रायोल : यह आहार में से कैल्शियम को एब्सॉर्ब करने में आंत की मदद करता है.
रिस्क फैक्टर
– ओबेसिटी : मोटापा से शरीर में कैंसर के लक्षणों को पनपने का खतरा बढ़ जाता है.
– स्मोकिंग : यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो इस बीमारी के प्रति आपका जोखिम दाेगुना बढ़ जाता है.
– किडनी डिजीज : किडनी की बीमारी की दशा में आपको बार-बार डायलिसिस कराने की जरूरत पड़ती है, जिससे कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है.
– दोषपूर्ण जीन्स : कुछ लोगों में जेनेटिक गड़बड़ियों के कारण दोषपूर्ण जीन्स पनपते हैं, जिससे किडनी कैंसर का खतरा बढ़ने की आशंका बरकरार रहती है.
– हाइ ब्लड प्रेशर : इस कैंसर के पनपने का यह भी बड़ा कारण माना जाता है.
क्या हैं लक्षण
हालांकि, आरंभिक स्तर पर किडनी कैंसर के लक्षणों को समझना आसान नहीं होता, फिर भी कुछ लक्षण हैं, जिनके आधार पर इसे पहचानने की कोशिश की जा सकती है :
– मूत्र में रक्त आना
– लगातार थकान का अनुभव होना
– पेट में गांठ होना
– वजन में बहुत ज्यादा कमी होना
– फ्लू या ठंड के बिना फीवर होना.
किडनी कैंसर डायग्नोसिस
किसी भी जांच से पहले मरीज का पूर्णता से फिजिकल परीक्षण किया जाता है. वैसे इस कैंसर की जांच कई तरीकों से की जाती है, जिनमें से प्रमुख इस प्रकार हैं :
– यूरिन टेस्ट : गुर्दे के कैंसर के लक्षणों का निदान करने के लिए मूत्र के नमूने पर रक्त और अन्य पदार्थों की अल्प मात्रा की मौजूदगी की पहचान के लिए माइक्रोस्कोपिक और रासायनिक परीक्षण किया जाता है.
– ब्लड टेस्ट : सीबीसी यानी कंप्लीड ब्लड टेस्ट से रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं, श्वेत रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स जैसी विविध कोशिकाओं की मात्रा के बारे में जानकारी हासिल होती है. रीनल सेल कैंसर के मरीजों में इस टेस्ट का नतीजा अक्सर असामान्य पाया जाता है.
रेडियोलाॅजिकल इमेजिंग
इस टेस्ट से यह जानने में सुविधा मिलती है कि कैंसर कैसे फैल रहा है और इलाज कितना प्रभावी हो रहा है या फिर नहीं हो रहा है. इसके तहत अनेक विधियां शामिल हैं :
– कंप्यूटेड टोमोग्राफी स्कैन : कंप्यूटेड टोमोग्राफी यानी सीटी स्कैन के तहत शरीर का विविध तरीसे से इमेज हासिल करने के लिए एक्स-रे का इस्तेमाल किया जाता है. इससे किडनी में संभावित ट्यूमर के आकार और दशा- दिशा आदि के बारे में पर्याप्त जानकारी मिलती है.
– मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग : मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग यानी एमआरआइ के तहत शरीर के भीतरी हिस्सों की तसवीर लेने के लिए मैग्नेटिक तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है. स्वस्थ्य किडनी वाले लोगों में बेहतर तसवीर के लिए नसों के जरिये गैडाेलिनियम दिया जाता है.
– पॉजिट्रॉन इमिशन टोमोग्राफी : पॉजिट्रॉन इमिशन टोमोग्राफी यानी पेट स्कैन के तहत रेडियोएक्टिव सुगर का इस्तेमाल किया जाता है, जो संभावित कैंसर को दर्शाने में सक्षम होता है. स्वस्थ कोशिकाओं के मुकाबले कैंसर कोशिकाएं रेडियोएक्टिव सुगर को ज्यादा अवशोषित करती हैं.
– इंट्रावीनस पाइलोग्राम : इंट्रावीनस पाइलोग्राम के तहत एक एक्स-रे और एक डाइ शामिल होता है, जिसे शरीर के भीतर इंजेक्ट किया जाता है. हालांकि, इस टेस्ट को बेहद असामान्य दशा में ही इस्तेमाल में लाया जाता है.
– अल्ट्रासाउंड : यह भी एक अलग प्रकार का इमेजिंग टेस्ट है. शरीर में कैंसरकारी कोशिकाओं के आंकलन के लिए इसमें रेडिएशन की बजाय ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
Home होम Videos वीडियो
News Snaps NewsSnap
News Reels News Reels Your City आप का शहर