18.8 C
Ranchi
Sunday, February 9, 2025 | 10:17 am
18.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

झारखंड चुनाव में असुर ने भी ताल ठोंकी

Advertisement

नीरज सिन्हा झारखंड से, बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए मौजूदा राजनीति में कोई उम्मीदवार दस, बीस या पचास हज़ार ख़र्च कर चुनाव लड़ना चाहे, तो सामने वाला दो टूक कह सकता है कि आप कहीं नहीं टिकेंगे. लेकिन इन सब की परवाह किए बिना झारखंड के सुदूर जंगल-पहाड़ में रहने वाले आदिम जनजाति के […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

Undefined
झारखंड चुनाव में असुर ने भी ताल ठोंकी 4

मौजूदा राजनीति में कोई उम्मीदवार दस, बीस या पचास हज़ार ख़र्च कर चुनाव लड़ना चाहे, तो सामने वाला दो टूक कह सकता है कि आप कहीं नहीं टिकेंगे.

लेकिन इन सब की परवाह किए बिना झारखंड के सुदूर जंगल-पहाड़ में रहने वाले आदिम जनजाति के नौजवान विमल असुर बिंदास होकर चुनावी मैदान में उतरे हैं.

विमल का दावा है कि आदिम जनजाति से वे पहले युवक हैं, जो चुनाव लड़ रहे हैं. फ़िलहाल उनके पास सालों से जमा किए दस हज़ार रुपए हैं.

वह इसे चुनाव प्रचार में ख़र्च करेंगे. उन्हें उम्मीद है कि आदिम जनजाति समुदाय के लोग और उनके पिता से उन्हें कुछ मदद मिलेगी और फिर भी पैसे कम पड़े तो वह अपनी ज़मीन भी गिरवी रखने की सोचेंगे.

विमल कहते हैं कि वह चुनाव प्रचार करने के लिए पैदल ही जंगल-पहाड़ों में आदिवासियों के पास जाएंगे. कलेबा (दिन का खाना) होगा चूड़ा और गुड़. जिनके यहां शाम गुज़ारेंगे वहीं बियारी (रात का खाना) का इंतज़ाम कर लेंगे.

झारखंड चुनाव

Undefined
झारखंड चुनाव में असुर ने भी ताल ठोंकी 5

वह बताते हैं कि आदिम जनजातियों के बीच इसकी चर्चा होने लगी है कि विमल चुनाव लड़ने वाले हैं. सोमरा असुर कहते हैं, "विमल समाज का अगुवा बनेगा. हम सब ख़ुश हैं."

झारखंड में विधानसभा की 81 में से 28 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए सुरक्षित हैं. इन्हीं में शामिल है गुमला ज़िले का विशुनपुर विधानसभा क्षेत्र, जहां से विमल असुर चुनाव लड़ रहे हैं.

यहां 25 नवंबर को चुनाव होंगे. उनका गांव विशुनपुर इलाक़े के सुदूर पहाड़ पोलपोल पाट में है, जो ज़िला मुख्यालय से क़रीब सौ किलोमीटर दूर है.

विमल को झारखंड विकास मोर्चा ने अपना उम्मीदवार बनाया है. विशुनपुर में कुल 13 उम्मीदवार क़िस्मत आज़मा रहे हैं.

असुर जनजाति

झारखंड में आठ आदिम जनजातियां हैं. इनमें असुर परिवार लोहरदगा, गुमला और सिमडेगा के पहाड़ों-जंगलों में बसते हैं. असुरों के पुरखे लोहे गलाकर पंरपरागत औज़ार बनाने का काम करते रहे हैं. लेकिन अब लोग इस पेशे से विमुख हो रहे हैं.

जनजातीय शोध संस्थान रांची के विशेषज्ञ अखिलेश्वर सिंह बताते हैं कि 2001 की जनगणना के मुताबिक़ पूरे राज्य में असुरों की आबादी 10 हज़ार 347 थीं. जबकि आदिम जनजातियों में साक्षरता दर महज़ 15.5 फ़ीसदी है.

वे बताते हैं कि आदिम जनजातियों में असुर अति पिछड़ी श्रेणी में आते हैं, जिनकी अर्थव्यवस्था न्यूनतम स्तर पर है.

विमल कहते हैं कि दुनिया तेज़ी से आगे बढ़ रही है लेकिन उनके समुदाय के लोग अपने वजूद की हिफ़ाज़त के लिए संघर्ष ही कर रहे हैं. उनके अनुसार, "आदिम जनजाति विकास के साथ कदमताल नहीं कर सके हैं. यही वजह है कि हमारा वजूद संग्राहलयों में सिमट कर रह गया है. हम शोध के विषय भर बने हैं."

विकास में योगदान

विमल कहते हैं कि चुनाव नहीं जीतने पर वे नए सिरे से लोहे गलाने और औज़ार बनाने के काम की शुरुआत करेंगे और युवाओं को पुरखों के पेशे से जोड़ने की कोशिशों के साथ पुरानी पहचान को नई शक्ल देंगे.

विमल असुर ने मैट्रिक तक पढ़ाई की है. वो पिछले सात साल से आदिम जनजाति समुदाय के बीच समाज सेवा के कार्यों से जुड़े हैं.

इन्हीं कार्यों से जुड़े रहने की वजह से उनके मन में ख्याल आया कि अगर वे एक जनप्रतिनिधि के रूप में चुने जाते हैं, तो आदिम जनजातियों के विकास में बेहतर योगदान कर सकते हैं.

पार्टी की मदद

Undefined
झारखंड चुनाव में असुर ने भी ताल ठोंकी 6

पत्नी के साथ बिमल असुर.

विमल असुर ये जानकर हैरत में पड़ जाते हैं कि चुनाव लड़ने के लिए 24 लाख तक ख़र्च करने की अनुमति किसी उम्मीदवार को मिलती है, जबकि उन्हें इसका अंदाज़ा नहीं कि चुनाव में इससे कई गुना अधिक ख़र्च किए जाते हैं.

अभी तक विमल ने अपने लिए पोस्टर पर्चे नहीं छपवाए हैं. उनके पास एक ही पासपोर्ट साइज़ की फ़ोटो है. उन्हें पार्टी की तरफ़ से इन चीज़ों के मिलने का इंतज़ार है.

अलबत्ता उनके मोबाइल पर गांवों से आदिवासी युवकों का फ़ोन आता है, तो वह रोमांचित हो जाते हैं. वह कहते हैं, "मां-बाबा को भी अब तक पता नहीं है कि एक असुर का बेटा चुनाव लड़ने वाला है."

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें