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झारखंड: बारिश के बाद लोध फॉल जलप्रपात का नजारा

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झारखंड का प्रसिद्ध लोध फॉल (बूढ़ा घाघ) जलप्रपात इन दिनों पूरे शबाब पर है. बारिश की वजह से झरने की खूबसूरती देखते बन रही है. इन दिनों बारिश हो रही है. मानसूनी की बारिश के चलते जलप्रपात का जलस्तर एवं इसकी झरनों की संख्या बढ़ गई है, जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रही हैं, प्रकृति का यह दिलकश नजारा देखने पर्यटक लगातार यहां पहुंच रहे हैं. बारिश के बाद क्षेत्र के अन्य पहाड़ी झरना की भी खूबसूरती बढ़ गई है.

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झारखंड का प्रसिद्ध लोध फॉल (बूढ़ा घाघ) जलप्रपात इन दिनों पूरे शबाब पर है। बारिश की वजह से झरने की खूबसूरती देखते बन रही है. इन दिनों बारिश हो रही है. मानसूनी की बारिश के चलते जलप्रपात का जलस्तर एवं इसकी झरनों की संख्या बढ़ गई है, जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रही हैं, प्रकृति का यह दिलकश नजारा देखने पर्यटक लगातार यहां पहुंच रहे हैं. बारिश के बाद क्षेत्र के अन्य पहाड़ी झरना की भी खूबसूरती बढ़ गई है. लातेहार जिला में मौजूद भेड़िया अभयारण्य महुआडांड़ के जंगलो के बीच लोध जलप्रपात मौजूद है, ये झारखंड का सबसे उंचा झरना है, प्रकृति सौंदर्य को समेटे जंगलों के बीच से निकलकर चट्टानों से लगकर 143 मीटर की झरना जब नीचे गिरता है,तो झरने की खूबसूरती देखते बनती है. नवंबर से लेकर फरवरी माह तक यहां पर्यटको की भारी पहुंचती है, बंगाल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों से भी पर्यटक यहां आते हैं, खासकर बंगाल के सैलानियों के बीच मशहूर है. जलप्रपात में सुरक्षा को लेकर वन विभाग और पर्यटन विभाग दोनों के द्वारा व्यापक इंतजाम रखे गए है. इको विकास समिति टीम सुरक्षा की पूरी कमान संभालाता है, तैराक टीम मौजूद रहते है, जो किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रहते है. बताया गया की बरसात के दिनों में लोध फॉल के खुलने एवं बंद होने के समय में बदलाव किया गया है, सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक इंट्री कि जाती है, शाम 5 बजे पूरी तरह बंद कर दिया जाता है. रांची से इसकी दूरी लगभग 217 किमी, घाघरा- बनारी के रास्ते नेतरहाट होते हुए यहां पहुंच सकते है. लातेहार एवं पलामू से गारू होते हुए 117 किमी का सफर तय कर लोध जलप्रपात पहुंच सकते है, बेहतरीन सड़क है.

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