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गुमला : नवरत्नगढ़ की खुदाई में मिला प्राचीन किला, छिपा हो सकता है खजाना ?

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मुगल सम्राट से बचने के लिए राजा दुर्जनशाल ने जब छोटानागपुर के गुमला स्थित सिसई के नगर गांव में अपनी राजधानी नवरत्नगढ़ की स्थापना की थी. उस समय उन्होंने बाहरी आक्रमणकारियों से बचने के लिए जमीन के अंदर भी खुफिया भवन का निर्माण कराया था.

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गुमला से 30 किमी दूर सिसई प्रखंड के प्राचीन नवरत्नगढ़ की खुदाई से जमीन के नीचे खुफिया महल मिला है. अभी पांच फीट तक खुदाई की गयी है. जिसमें भवन की छत व दरवाजा मिला है. यह महल राजा दुर्जनशाल ने किस मकसद से बनवाया था.

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इसकी जांच पुरातत्व विभाग कर रहा है. आशंका व्यक्त की जा रही है कि मुगल सम्राट से बचने के लिए राजा दुर्जनशाल ने जब छोटानागपुर के गुमला स्थित सिसई के नगर गांव में अपनी राजधानी नवरत्नगढ़ की स्थापना की थी. उस समय उन्होंने बाहरी आक्रमणकारियों से बचने के लिए जमीन के अंदर भी खुफिया भवन का निर्माण कराया था. हालांकि पुरातत्व विभाग अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि राजा ने किस मकसद से जमीन के अंदर इस भवन का निर्माण कराया था.

आशंका व्यक्त की जा रही है कि सुरक्षा के लिए या फिर बेशकीमती हीरे-मोती रखने के लिए इस खुफिया भवन का निर्माण किया गया होगा. या तो फिर राजा व रानी के प्राचीन जगरनाथ मंदिर आने-जाने के लिए भी इस खुफिया भवन के अंदर से रास्ते का निर्माण किया गया होगा. बताया जा रहा है कि जमीन की खुदाई मिलने से भवन के अंदर एक खुफिया रास्ता भी मिल रहा है. अभी उसकी खुदाई जारी है.

राजदरबारी महल की खुदाई की जारी

समाजसेवी दामोदर सिंह ने बताया कि पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई किया जा रहा है. वर्तमान में मिट्टी के अंदर दबे राज दरबारी स्थल, रानी कुंआ की खुदाई हो रही है. साथ ही रानी तालाब की सफाई व बाउंड्री का कार्य किया जा रहा है. राजदरबारी महल की खुदाई की शुरूआती में ही महल के दो मंजिला होने की अनुमान लगाया जा रहा है. जिसमें एक तल्ले के ध्वस्त होने व दूसरे तल्ले के सही सलामत होने की आशंका खुदाई करने वालों ने व्यक्त की है. खुदाई के दौरान निकलने वाले ईंट को संग्रहित किया जा रहा है. इसके साथ ही सभी जीर्ण-शीर्ण महलों की मरम्मत किया जाना है. इसके लिए ईट, बालू व चूना का मिश्रण बनाया जा रहा है.

नवरत्नगढ़ राष्ट्रीय धरोहर घोषित है

जानकारी के अनुसार 1739 में राजा दुर्जनशाल द्वारा निर्मित नगर के इस राजमहलों के अवशेष को भारत सरकार द्वारा 27 सितंबर 2019 में राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया गया था. जिसके बाद से इसके सुंदरीकरण व विकास के लिये भारतीय पुरातत्व विभाग रांची द्वारा सुंदरीकरण के काम किया जा रहा है. देखने योग्य जगहों में नवरत्न गढ़, रानी लुकवाई, रानी महल, भुइकिला, जगरनाथ मंदिर, शिव मंदिर, कमला महल, जोगी मठ, भगवान पांज, धर्म द्वार, सिंह द्वार, टांगीनाथ स्थल, धोबी मठ, बौली मठ, गणेश प्रतिमा, शिवलिंग सहित दर्जनों महल के अवशेष है.

राजा दुर्जनशाल की राजधानी है

मुगल साम्राज्य से बचने के लिए राजा दुर्जनशाल ने इसे बनवाये थे. जिस समय नगर गांव में नवरत्नगढ़ की स्थापना हुई थी. उस समय नवरत्न गढ़ के चारों तरफ खाई था और यहां घुसने का एक मात्रा रास्ता हुआ करता था. लेकिन कलांतार में समय बदला. राजा का शासन खत्म हो गया. लंबे समय तक भवन बेकार रहा.

जिस वजह से कई भवन जमींदोज हो गये. कुछ भवन अभी भी शेष हैं. गहरी खाई समय के साथ खत्म हो गया और वह समतल जमीन का रूप ले लिया है. इसी में कुछ जगह को चिन्हित कर पुरातत्व विभाग खुदाई कर रहा है. यहां बता दें कि जब मुगल सम्राट ने राजा दुर्जनशाल को बंधक बना लिया था. तब हीरे की पारखी के कारण सम्राट ने राजा दुर्जनशाल को बंधक से मुक्त कर दिया था. जिसके बाद राजा ने छोटानागपुर को अपनी राजधानी बनायी थी.

50 कर्मी लगे हैं खुदाई में

सहायक पुरातत्वविद डॉ अजहर साबिर ने बताया कि नवरत्नगढ़ की खुदाई में करीब 50 कर्मी लगे हुए हैं. वहीं आठ सुरक्षाकर्मी 24 घंटे तैनात रहते हैं. पुरातत्व विभाग रांची के सहायक पुरातत्वविद डॉ अजहर साबिर, जी परिहार, टेक्नीशियन शुभम कुमार के अलावा वीडियोग्राफी करने वाली टीम है. खुदाई की वीडियोग्राफी हो रही है. पूरी खुदाई होने के बाद ही स्पष्ट होगा कि जमीन के अंदर का भवन क्या है.

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