16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

नंदिता दास ही नहीं मैंने भी कपिल शर्मा शो पूरा कभी नहीं देखा, जानें ऐसा क्यों बोली Zwigato फेम शाहना गोस्वामी

Advertisement

फ़िल्म ज्विगाटो में कपिल शर्मा के अपोजिट शाहना नजर आ रही है. फिल्म के बारे में एक्ट्रेस ने बताया कि, निर्देशिका नंदिता दास के निर्देशन की पहली फ़िल्म फिराक में काम करने का मौका मिला था. वो कमाल का अनुभव था, तो इस बार भी ना बोलने की गुंजाइश ही नहीं थी.

Audio Book

ऑडियो सुनें

कॉमेडियन एक्टर कपिल शर्मा की फ़िल्म ज्विगाटो कल सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली है. इस फ़िल्म में कपिल की अपोजिट अभिनेत्री शाहना गोस्वामी नजर आएंगी. वह इस फ़िल्म को दिल को छू लेने वाली कहानी बताती है और ये कहना भी नहीं भूलती कि उनके को-एक्टर कपिल शर्मा के फैन्स इस फ़िल्म को देखने के बाद यकीन नहीं कर पाएंगे कि कपिल ये भी कर सकता है. उर्मिला कोरी से हुईं बातचीत.

- Advertisement -

ज्विगाटो में आपके लिए सबसे अपीलिंग क्या था?

निर्देशिका नंदिता दास के निर्देशन की पहली फ़िल्म फिराक में काम करने का मौका मिला था. वो कमाल का अनुभव था,तो इस बार भी ना बोलने की गुंजाइश ही नहीं थी. नंदिता के साथ ये भी है कि कहानियां उनके दिल से निकलती है. उसमें एक विश्वसनियता, एक हकीकत होती है. जो हर जगह देखने को नहीं मिलती है. इस तरह की फ़िल्म में काम करने का एक अलग ही प्रिविलेज़ होता है. ये पहली बार है. जब नंदिता अलग स्टाइल में कहानी को बता रही है. इसकी डिमांड अलग थी, इसलिए कहानी को बहुत हैवी तरीके से नहीं बताया गया है. एक आम आदमी के परिवार के चार दिन को दिखाया गया है. उसे देखने के बाद सहानुभूति उमड़ कर आएगी. सिर्फ दर्द नहीं है,इसमें हंसी खेल भी शामिल है. बहुत सादगी से इसे दिखाया गया है. इस सादगी में बहुत गहराई है.

प्रतिमा के किरदार ने किस तरह की चुनौतियों से आपको वाकिफ करवाया?

एक एक्टर के तौर पर ये चैलेंज तो रहता ही है, अगर आप इस दुनिया से वाकिफ नहीं है. प्रतिमा जिस बैकग्राउंड से है. वह मुझसे बहुत हटकर है. वैसे मेरे दोस्तों में भी मेरा बैकग्राउंड काफी हटकर है. मेरे माता -पिता बहुत लिबरल रहे हैं. मुझे बहुत छूट मिली है. अपनी तरह से अपनी जिंदगी जीने का जो कि साधारण या आम तरह की नहीं थी. मैं बहुत लकी हूं कि मुझे इस तरह का बचपन मिला है. इस तरह की जिंदगी मिली है. ऐसे में डर था कि प्रतिमा के किरदार के लिए गलत सुर तो नहीं पकड़ लूंगी. हमें अनुभव नहीं है. अंदाजा जरूर लगा सकते हैं. नंदिता थी, तो और मदद हो गयी. फ़िल्म में हमारा परिवार झारखंड के धनबाद का है, तो एक एक्सेन्ट की बात थी. वो बिहारी से अलग है. जो लोग वहां से हैं. वो ये बात अच्छे से समझेंगे, तो एक हिचकिचाहट थी कि कहीं वो भाषा बोलते हुए मैं बनावटी ना लगूं. वैसे नंदिता ने हमारे लिए एक महिला डिक्शन कोच रखा था. उन्होंने हमारे सारे डायलॉग हमें रिकॉर्ड करके दिए थे कि हम कैसे बोलेंगे. मैंने उनके सामने सारे डायलॉग बोले भी थे ताकि वो मुझे जब बोलते हुए सुनती हैं, तो जो भी गलतियां हैं। उसे ठीक कर सकें.

फ़िल्म की शूटिंग कहां हुईं है?

नंदिता चाहती थी कि फ़िल्म की शूटिंग टियर 2 सिटी में हो. उन्होंने सोचा क्यों ना इसे उड़ीसा में फिल्माया जाए. लोगों को लगता है कि नंदिता बंगाली है, लेकिन वो आधी उड़िया है और आधी गुजराती हैं. मूल रूप से उड़ीसा से ही उनका परिवार है. उन्होंने सोचा टियर 2 ही दिखाना है, तो भुवनेश्वर क्यों नहीं, क्योंकि वहां पर कोई फ़िल्म अब तक शूट नहीं हुईं है. इतने सारे शहर हैं. इतने सारे कल्चर हैं. उड़िया भाषा हमने कभी सुनी नहीं है. फ़िल्म में दूसरे किरदारों को आप उड़िया भाषा में बात करते सुनेंगे. हर मेकर्स को भारत की नयी जगह को ऐसे ही एक्सलोर करते रहना चाहिए.

यह फ़िल्म लेबर क्लास पर है, क्या आपने कभी उनकी निजी जिंदगी को करीब से देखा है?

वे मेरी जिंदगी का करीबी हिस्सा रह चुके है, क्योंकि मैं बचपन में जहां मैं बड़ी हुईं हूं. उस कॉलोनी में जो लोग हमारे लिए काम करते थे. मेरी दोस्ती उनके बच्चों के साथ थी. वो लोग हमारी बिल्डिंग से थोड़ी ही दूरी पर रहते थे. पेड़ पर चढ़ना, फल तोड़कर लाना, पिट्टू का खेल खेलना, गर्मी में गन्ने के ठेले से गन्ने चुराकर लाना. होली के बाद उनके घर जाकर गुझिया खाना सब किया है. कहीं -कहीं वो चीज़ें मालूम थी. मैं पली -बढ़ी उसमें हूं. मेरे मां -बाप ने भी कम भेदभाव किया है. जो भी हमारे लिए काम करते हैं, उनके साथ मिलजुलकर जिस भी हद तक समानता हो सकती है. जब मैं बड़ी हो रही थी,दिल्ली में असमानता ज्यादा थी, मुझे बहुत घुटन होती थी. मुंबई में मैं खुलकर रहती हूं, क्योंकि यहां वो भेदभाव नहीं है. दिल्ली में भी अब चीज़ें बदली हैं. मैं हमेशा इस बात को मानती हूं कि इंसानों के साथ किसी भी तरह का भेदभाव गलत है.

फ़िल्म में आप हाउसवाइफ बनी हैं, निजी जिंदगी में आप घर के कामों में कितनी अच्छी हैं?

बहुत ही अच्छी हूं. मेरे मम्मी पापा ने मुझे घर के कामों में बहुत ही अच्छे तरह से प्रशिक्षण दिया है, क्योंकि वो दोनों ही घर के कामों में अच्छे हैं. वैसे मेरे घर में सबसे कम मैं ही खाना बनाती हूं. मेरे मम्मी, पापा और भाई सभी मुझसे ज्यादा अच्छा खाना बनाते हैं. मुझे झाड़ू पोछा भी बहुत अच्छे से आता है. मुझे सब काम घर के आते हैं, इसलिए मेरा लॉकडाउन अच्छा बीता है.

तो क्या आप खाना आर्डर करके नहीं मंगवाती हैं?

बहुत मंगवाती हूं क्योंकि खाना बनाने को लेकर मैं बहुत आलसी हूं. मैं लगभग हर दिन आर्डर करती हूं जिस वजह से डिलीवरी राइडर्स से मेरी बातचीत और उनके प्रति आभार हमेशा ही रहता है. वो गर्मी में ठंडी में बहुत कुछ झेलते हुए आते हैं और आपका सामान आपको देते हैं. बहुत ही सम्मान के साथ हमें उनके साथ पेश आना चाहिए.

कपिल को कॉमेडी में महारत हासिल है लेकिन क्या यह फ़िल्म सीरियस है, तो क्या आपने उन्हें कुछ गाइड भी किया?

मैं बोलूंगी कि उनका उल्टा अनुभव है. उन्होंने काफी साल थिएटर किया है. पढ़ाया भी है. सेट पर उन्होंने बहुत ही नेचुरल तरीके से एक्टिंग की. मैं पहले ही दिन समझ गयी कि इन्होने पहले भी किया है. वरना वह इतनी आसानी से नहीं कर पाते थे. हालाती तौर पर ऐसा हो गया कि वो कॉमेडी शो चल गया और वो कॉमेडी करने लगे. वहीं पर लोगों का ध्यान अटक गया. ऐसा नहीं है कि उनको एक्टिंग आती नहीं है. वो बहुत ही प्रेजेंट में रहते हैं, जो उनके आसपास चीज़ें हो रही हैं, वो बहुत उसका ध्यान देते हैं. वो कॉमेडी में वही इस्तेमाल करते हैं. एक्टिंग में भी उन्होंने उन अनुभवों का इस्तेमाल किया है. मैं तो कहूंगी कि उनसे काफी कुछ सीखने को मिला. ये हमलोग का वहम है कि वो एक चीज अच्छा करता है, तो दूसरी अच्छा नहीं करेगा. जैसे मुझे लोगों ने सीरियस रोल में देखा है, तो लोगों को लगेगा कि शहाना तो बॉलीवुड डांस नंबर नहीं कर पाएगी, लेकिन मैं क्लासिकल में प्रशिक्षित हूं. मैंने सालसा भी सीखा है. बॉलीवुड डांस मैं करते -करते बड़ी हुईं है, लेकिन मुझे कोई मौका नहीं देगा, सोचेंगे ये नहीं कर सकती है. एक स्टेरियो टाइप सोच होती है, जिसे आप बदल नहीं सकते हैं. कपिल बहुत अलग है, पहली मुलाक़ात में ही पता चल जाता है. उन्होंने जिंदगी के सभी रंग जिए हैं. उन सभी को उन्होंने बहुत अच्छे से याद रखा है. अपनी जिंदगी में, अपनी लिखाई में, अपने काम में वह उसका बहुत अच्छे से इस्तेमाल भी करते हैं.

आप दोनों ने एक -दूसरे की एक्टिंग को समझने के लिए साथ में कुछ वर्कशॉप्स भी किया है?

नहीं, बस हम नंदिता के घर एक बार स्क्रिप्ट रीडिंग पर मिले थे. शूट पर ही सबकुछ सहजता से हो गया. हमदोनों ही थोड़े स्पोंटेनियस किस्म के एक्टर हैं. वो काम कर गया. हम सीन के वक़्त भी ज्यादा रिहर्सल नहीं करते थे. मोटा -मोटा लाइन याद कर लिया, थोड़ा फ्लो आ गया. एक कैमरा मोमेंट के लिए हमने पोजीशन देख ली. उसके आगे जो हमें उस वक़्त आता था. हम वही करते थे.

आपने कभी उनका शो फ़ॉलो किया है?

नंदिता ने भी नहीं देखा था और मैंने भी कभी कपिल शर्मा का पूरा शो नहीं देखा है. सोशल मीडिया में मैंने टुकड़े -टुकड़े में देखा है, जब फिल्मों का प्रमोशन होता है. हां मैं इस बात से पूरी तरह से वाकिफ थी कि वह बहुत बड़े कॉमेडियन है. कपिल शर्मा का नाम हमारे देश में ना जानना नामुमकिन है. अब पहचान हो गयी है, तो अच्छा लगता है कि देश उन्हें इतना प्यार करता है. उनके चाहने वाले सोच भी नहीं सकते कि ये भी कपिल कर सकते हैं. आगे चलकर वो शायद ऐसे और सीरियस किरदार करें, लेकिन यह पहला था. जब उन्होंने अपनी छवि से बिल्कुल कुछ किया.

इस फ़िल्म का संदेश क्या है?

नंदिता का मकसद होता है आइना दिखाना. अब आपको वो कैसा लग रहा है. वो आप पर है. जो लोग हमारी जिंदगी से थोड़े गायब से हैं. हमारी नज़रों से, हमारे सोच विचारों से उनकी ज़िन्दगियां, उनकी कहानियां परदे पर लाना है. मुझे पता है कि आमतौर पर लोग इस तरह की फ़िल्म देखने नहीं आते हैं, लेकिन इसमें कपिल है. जो थिएटर तक लोगों को लाने बड़ी वजह है. पहले कुछ दिन लोग अगर फ़िल्म देख लें और उसकी चर्चा जरूर होगी और फिर और लोग आएंगे. मुझे फ़िल्म पर इतना भरोसा है कि फ़िल्म दिल को छू जाएगी.

आपके आनेवाले प्रोजेक्ट्स कौन से हैं?

विद्या बालन के साथ अनु मेनन वाली एक फ़िल्म है. मनोज बाजपेयी के साथ डिस्पैच है. एक एन्थोलॉजी फ़िल्म भी पूरी की है. इसी साल ये सब काम आएगा.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें