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पिता ने लड़कों से पिटाई से बचाने के लिए सुशील को कुश्ती सीखने भेजा था, कोच ने सुनाया बचपन का किस्सा

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सुशील कुमार के कोच द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता सतपाल सिंह क़िस्सा सुनाते थे कि कुछ बच्चे उन्हें बचपन में पीट देते थे, जिसके बाद उनके पिता ने उन्हें पहलवानी सीखने गुरु हनुमान के पास छोड़ दिया.

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  • 2008 में सुशील कुमार ने पहली बार बीजिंग ओलिंपिक में कांस्य पदक जीता और अपनी पहचान बनायी.

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  • 2012 में लंदन ओलिंपिक में रजत पदक जीत कर इतिहास रच दिया था. पहलवानों के बीच लोकप्रियता बढ़ गयी.

  • ओलिंपिक मेडल जीतने तक मर्यादित पहलवानों में होती थी गिनती.

भारत के दिग्गज पहलवान सुशील कुमार को सागर राणा मर्डर केस में दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया है. कोर्ट ने उन्हें छह दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है. सुशील कुमार भारत के सबसे सफल पहलवानों में से एक हैं. वह देश के पहले पहलवान और खिलाड़ी हैं, जिन्होंने ओलिंपिक में लगातार दो बार मेडल जीते हैं. 2008 बीजिंग ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल और 2012 लंदन ओलिंपिक में सिल्वर मेडल देश को दिलाने वाले सुशील का हत्यारोपी बनने तक का सफर काफी रोचक है. ओलिंपिक मेडल जीतने से पहले उनका व्यवहार हमेशा मर्यादित रहा, लेकिन जैसे ही पैसा और प्रतिष्ठा बढ़ी, तो उनका व्यवहार बदलता गया.

पिता ने पिटाई से बचाने के लिए कुश्ती सीखने के लिए भेजा था

कई विवादों में उनका नाम जुड़ा और पिछले एक दशक में वह विवादों के भी मेडलिस्ट बन गये हैं. सुशील कुमार के कोच द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता सतपाल सिंह क़िस्सा सुनाते थे कि कुछ बच्चे उन्हें बचपन में पीट देते थे, जिसके बाद उनके पिता ने उन्हें पहलवानी सीखने गुरु हनुमान के पास छोड़ दिया. कुछ ही दिनों बाद उन्हें पीटने वाले गली-मोहल्ले के उनसे हाथ मिलाने के लिए उनके आगे पीछे घूमने लगे. अखाड़ा घंटा घर के पास था, जहां से अम्बा सिनेमा ज्यादा दूर नहीं था, लेकिन सतपाल यह बताना भी नहीं भूलते थे कि गुरु हनुमान किसी को भी पास के सिनेमाघर में पकड़ लेते तो उसकी पिटाई जूतों से करते थे.

गुरु हनुमान के शिष्यों में करतार सिंह, सतपाल, जगमिंदर, सुदेश कुमार और ना जाने कितने पहलवान रहे जिन्होंने कामयाबी के साथ साथ सार्वजनिक जीवन में भी एक मिसाल पेश की और पहलवानों की उस छवि को बदला जिसके चलते कहा जाता था कि पहलवान प्रॉपर्टी के झगड़े सुलझाते हैं या नेताओं के लिए काम करते हैं.

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