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मकर संक्रांति का त्योहार क्यों मनाया जाता है?, जानें इस पर्व का इतिहास

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मकर संक्रांति के दिन तमिलनाडु में पोंगल के नाम उत्सव मनाया जाता हैं, जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं.

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Makar Sankranti 2024: मकर संक्रान्ति भारत के प्रमुख पर्वों में से एक है. मकर संक्रांति पूरे भारत में मनाया जाता है. हालांकि यह पर्व अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है. यूपी बिहार में मकर संक्रांति के पर्व को खिचड़ी के नाम से मनाया जाता है. पौष मास में जिस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं उस दिन खिचड़ी का पर्व मनाया जाता है, इस दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं. मकर संक्रांति से सभी प्रकार के मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते है और इस दिन से खरमास का समापन हो जाता है.

तमिलनाडु में पोंगल के नाम मनाया जाता है मकर संक्रांति का उत्सव

मकर संक्रांति के दिन तमिलनाडु में पोंगल के नाम उत्सव मनाया जाता हैं, जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं. बिहार के कुछ जिलों में यह पर्व ‘तिला संक्रांत’ नाम से भी प्रसिद्ध है. मकर संक्रान्ति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहते हैं. 14 जनवरी के बाद से सूर्य उत्तर दिशा की ओर अग्रसर हो जाते हैं. इसी कारण इस पर्व को ‘उतरायण’ भी कहते है.

नेपाल में मकर-संक्रान्ति

नेपाल के सभी प्रांतों में अलग-अलग नाम और रीति-रिवाजों में यह उत्साह धूमधाम से मनाया जाता है. मकर संक्रांति के दिन किसान अपनी अच्छी फसल के लिए भगवान को धन्यवाद देकर अपनी अनुकम्पा को सदैव लोगों पर बनाये रखने का आशीर्वाद मांगते हैं, इसलिए मकर संक्रांति के त्योहार को फसलों एवं किसानों के त्योहार के नाम से भी जाना जाता है. नेपाल में मकर संक्रांति को माघे-संक्रांति, सूर्योत्तरायण और थारू समुदाय में ‘माघी’ कहा जाता है. थारू समुदाय का यह सबसे प्रमुख त्योहार है.

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उत्तर प्रदेश और बिहार में मनाया जाता है खिचड़ी का पर्व

उत्तर प्रदेश में यह मुख्य रूप से ‘दान का पर्व’ है. प्रयागराज में गंगा, यमुना व सरस्वती के संगम पर प्रत्येक वर्ष एक माह तक माघ मेला लगता है, जिसे माघ मेले के नाम से जाना जाता है. 14 जनवरी से ही प्रयागराज में हर साल माघ मेले की शुरुआत होती है. 14 दिसम्बर से 14 जनवरी तक का समय खरमास के नाम से जाना जाता है, जो इस दिन से समाप्त हो जाता है. माघ मेले का पहला स्नान मकर संक्रान्ति से शुरू होकर शिवरात्रि के आख़िरी स्नान तक चलता है. उत्तर प्रदेश और बिहार में इस व्रत को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है. इस दिन खिचड़ी खाने एवं खिचड़ी दान देने का अत्यधिक महत्व होता है. इस दिन उड़द, चावल, तिल, चिवड़ा, गौ, स्वर्ण, ऊनी वस्त्र, कम्बल आदि दान करने का अपना महत्व है.

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मकर संक्रांति पर, स्नान दान का महत्व

मकर संक्रांति का उत्सव भगवान सूर्य की पूजा के लिए समर्पित है. भक्त इस दिन भगवान सूर्य की पूजा कर आशीर्वाद मांगते हैं, इस दिन से वसंत ऋतु की शुरुआत और नई फसलों की कटाई शुरू होती है. मकर संक्रांति पर भक्त यमुना, गोदावरी, सरयू और सिंधु नदी में पवित्र स्नान करते हैं और भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं, इस दिन यमुना स्नान और जरूरतमंद लोगों को भोजन, दालें, अनाज, गेहूं का आटा और ऊनी कपड़े दान करना शुभ माना जाता है.

मकर संक्रान्ति का ऐतिहासिक महत्व

मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं. चूंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है. मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं.

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