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Bengal Chunav 2021: भाजपा के लिए बंगाल में फायदेमंद कौन! कांग्रेस-वामदल गठबंधन या ओवैसी

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पश्चिम बंगाल में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख करीब आ रही है, चुनावी सरगर्मी बढ़ती जा रही है. नेताओं के दौरे हो रहे हैं. आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. सरकार चला रही पार्टी अपनी उपलब्धियों का बखान करने में जुटी है, तो विरोध में बैठे दल उनकी विफलताओं के बारे में लोगों को बता रहे हैं. इन सबके बीच राजनीतिक विश्लेषक इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी के लिए बंगाल में फायदेमंद कौन होगा.

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पश्चिम बंगाल में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख करीब आ रही है, चुनावी सरगर्मी बढ़ती जा रही है. नेताओं के दौरे हो रहे हैं. आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. सरकार चला रही पार्टी अपनी उपलब्धियों का बखान करने में जुटी है, तो विरोध में बैठे दल उनकी विफलताओं के बारे में लोगों को बता रहे हैं. इन सबके बीच राजनीतिक विश्लेषक इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी के लिए बंगाल में फायदेमंद कौन होगा.

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दरअसल, 2021 के बंगाल चुनाव में अभी से तीन ध्रुव बन चुके हैं. ममता बनर्जी की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस अपना किला बचाने में जी-जान से जुटी हुई है, तो केंद्र की सत्ता में बैठी भाजपा ने भी किसी भी सूरत में इस बार बंगाल को दखल करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है. 44 साल से सत्ता से बाहर रही कांग्रेस और 34 साल तक बंगाल पर राज करने वाले वामपंथी इस बार एकजुट होकर लड़ रहे हैं.

कुल मिलाकर बंगाल चुनाव 2021 में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है. इन तीन ध्रुव के बीच एक और फैक्टर आ गया है. ‘ओवैसी’ फैक्टर. राजनीति के जानकार यह मानकर चल रहे हैं कि बंगाल में इस बार मुख्य लड़ाई तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होगी. लेकिन, सवाल है कि कांग्रेस-वामपंथी गठबंधन और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (AIMIM) में से भाजपा के लिए फायदेमंद कौन होगा.

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या यूं कहें कि एआइएमआइएम और कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन में से कौन तृणमूल कांग्रेस के लिए फायदेमंद होगा और कौन भाजपा के लिए. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में 5 सीटें जीतने वाली ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम के हौसले बुलंद हैं. वामदलों ने भी बिहार में बढ़िया प्रदर्शन किया है. लेकिन, कांग्रेस की स्थिति खराब है. लोकसभा चुनाव हो या बिहार चुनाव, उसका प्रदर्शन बेहद खराब रहा है.

महागठबंधन के तहत वामदलों ने अच्छी-खासी सीटें जीतीं, लेकिन अकेले ओवैसी ने महज 5 सीट जीतकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और उसके सहयोगी दलों का खेल बिगाड़ दिया था. इसलिए सवाल उठ रहे हैं कि 2016 में एक साथ चुनाव लड़ने के बावजूद कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन सत्तारूढ़ दल को कड़ी टक्कर नहीं दे पाया. इस बार भी यदि उसका प्रदर्शन खराब हुआ और ओवैसी को ठीक-ठाक वोट मिल गये, तो बिहार की तरह बंगाल में भी भाजपा बाजी मार लेगी.

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Posted By : Mithilesh Jha

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