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928 जिला परिषद, 9730 पंचायत समिति व ग्राम पंचायत की 63229 सीटों के लिए 5.67 करोड़ लोग 8 जुलाई को करेंगे वोट

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पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव के लिए नामांकन 9 जून से शुरू हो गया. विपक्षी दलों का आरोप है कि नामांकन के लिए दिया गया समय बहुत कम है. 7 दिन में 70 हजार से अधिक सीटों के लिए नामांकन कैसे हो पायेगा. वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने विपक्ष के बयान का मजाक उड़ाया है.

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पश्चिम बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का ऐलान हो चुका है. 8 जुलाई 2023 को प्रदेश के 5.67 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. इतनी बड़ी आबादी 22 जिलों के 928 जिला परिषद, 9730 पंचायत समिति व ग्राम पंचायत की 63229 सीटों के लिए मतदान करेगी. मतगणना 11 जुलाई को होगी. बंगाल में हो रहे पंचायत चुनाव को वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर भी देखा जा रहा है. सूबे की मुखिया और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने माना कि मई में होने वाले चुनाव में देरी हुई है.

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7 दिन में 70,000 से अधिक सीटों के लिए होगा नामांकन

बंगाल के राज्य निर्वाचन आयुक्त राजीव सिन्हा ने अपनी नियुक्ति के अगले ही दिन पंचायत चुनावों का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि 8 जुलाई को एक दिन में ही सूबे में मतदान करा लिये जायेंगे. इसके लिए नामांकन 9 जून से शुरू हो गया, जो 15 जून तक चलेगा. विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि नामांकन के लिए दिया गया समय पर्याप्त नहीं है. 7 दिन में 70,000 से अधिक सीटों के लिए नामांकन कैसे हो पायेगा. वहीं, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने ऐसे बयानों का मजाक उड़ाया है.

5.67 करोड़ वोटर चुनेंगे अपना जनप्रतिनिधि

एक दिन पहले 8 जून को राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा ने कहा कि 8 जुलाई को होने वाले पंचायत चुनावों के लिए लोग 15 जून तक नामांकन दाखिल कर सकेंगे. 20 जून तक उम्मीदवार अपना नाम वापस ले सकेंगे. उन्होंने कहा कि राज्य के त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के दौरान पश्चिम बंगाल में 22 जिला परिषदों की 928 सीटों, 9,730 पंचायत समिति सीटों और 63,229 ग्राम पंचायत सीटों पर चुनाव होंगे. लगभग 5.67 करोड़ लोग चुनाव में मतदान करने के पात्र हैं.

राज्य पुलिस पर भरोसा होना चाहिए : राजीव सिन्हा

त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रणाली में ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद शामिल हैं. हालांकि, राज्य के चुनाव आयुक्त इस सवाल का सीधा जवाब देने से बचते रहे कि क्या चुनाव केंद्रीय बलों की निगरानी में होंगे, जैसा कि विपक्षी दलों ने मांग की थी. श्री सिन्हा ने कहा कि राज्य के पास निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त पुलिस बल हैं. हमें राज्य पुलिस पर पूरा भरोसा होना चाहिए.

शांतिपूर्ण होंगे पंचायत चुनाव : राजीव सिन्हा

राजीव सिन्हा से जब यह पूछा गया कि विपक्षी दलों को चिंता है कि वर्ष 2018 की तरह इस बार भी हिंसा हो सकती है, तो उन्होंने कहा कि इस बार चुनाव शांतिपूर्ण होंगे. एसईसी ने जोर देकर कहा, ‘मुझे संदेह क्यों होना चाहिए कि चुनाव शांतिपूर्ण होंगे या नहीं? हमें विश्वास है कि चुनाव शांतिपूर्ण और निष्पक्ष होंगे.’ सर्वदलीय बैठक के बगैर चुनावों की घोषणा से संबंधित सवाल के जवाब में श्री सिन्हा ने कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है.

2018 में टीएमसी ने जीती थी 90 फीसदी सीटें

बता दें कि बंगाल में वर्ष 2018 में ग्रामीण चुनावों में टीएमसी ने 90 प्रतिशत पंचायत सीटों और सभी 22 जिला परिषदों पर जीत हासिल की थी. इन चुनावों को व्यापक हिंसा और अनाचार के आरोप लगे थे. यहां तकि उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने से रोके जाने का भी आरोप सत्तारूढ़ दल पर लगा था.

केंद्रीय बलों की निगरानी में कहीं नहीं होता ग्रामीण चुनाव

सत्तारूढ़ टीएमसी ने केंद्रीय बलों को तैनात करने की विपक्ष की मांग को अनुचित बताया. पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘पंचायत चुनाव के लिए तृणमूल कांग्रेस ने कमर कस ली है. किसी भी राज्य में ग्रामीण चुनाव केंद्रीय बलों की निगरानी में नहीं होते. फिर बंगाल अपवाद क्यों होना चाहिए? नामांकन दाखिल करने के वास्ते समय की कमी की शिकायत करने के लिए विपक्ष का मजाक उड़ाते हुए, घोष ने कहा, ‘अगर उन्हें उम्मीदवार नहीं मिले, तो हम उन्हें एक उम्मीदवार देंगे.’

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पंचायत चुनाव की एकतरफा घोषणा ‘लोकतंत्र की हत्या’

विपक्षी भाजपा ने एसईसी द्वारा ‘लोकतंत्र की हत्या’ के रूप में एकतरफा घोषणा की आलोचना की और केवल 7 दिनों के भीतर 70,000 से अधिक सीटों के लिए नामांकन दाखिल करने की व्यवहार्यता पर सवाल उठाया. नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने ट्वीट किया, ‘पहली बार, पंचायत चुनावों की एकतरफा घोषणा बिना प्रखंड स्तर, जिला स्तर या राज्य स्तर पर एक भी सर्वदलीय बैठक बुलायी गयी है.’

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