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विद्युत चक्रवर्ती को नहीं मिली अग्रिम जमानत, विश्व भारती के बाकी 3 अधिकारियों के नस्लवाद मामले में अर्जी मंजूर

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प्रशांत विश्व भारती के अकादमिक और अनुसंधान प्रभाग के रजिस्ट्रार हैं. उनकी शिकायत के अनुसार, प्रशांत को ओडिशा के कोरापुट में केंद्रीय विश्वविद्यालय में परीक्षा नियंत्रक के पद के लिए नामांकित किया गया था.

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बोलपुर, मुकेश तिवारी : विश्व भारती के कुलपति विद्युत चक्रवर्ती को नस्लवाद विरोधी मामले में अग्रिम जमानत नहीं मिली. हालांकि विश्व भारती के बाकी तीन अधिकारी प्रशांत घोष, महुआ बनर्जी और तन्मय नाग की अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर कर ली गई है. कोर्ट सूत्रों के मुताबिक, विद्युत चक्रवर्ती शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान सिउड़ी जिला अदालत में उपस्थित नहीं हुए थे. कुलपति शारीरिक बीमारी का हवाला देकर कोर्ट से अनुपस्थित थे. इसलिए कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर नहीं की. बाकी तीन को सशर्त जमानत दे दी गई है. हालांकि कोर्ट के आदेश के मुताबिक इनमें से कोई भी राज्य से बाहर नहीं जा सकता.

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विश्व भारती के चार सदस्यों के खिलाफ नस्लवाद का मामला दर्ज

इस मामले में सरकारी वकील तपन गोस्वामी ने कहा, विश्व भारती के कुलपति को जमानत नहीं दी गई है. क्योंकि, बीमारी के कारण वह आज उपस्थित नहीं थे. इसलिए जज अगली सुनवाई में इस बारे में आदेश देंगे. बताया जाता है की इसी साल 5 जुलाई को प्रशांत मेश्राम नाम के शख्स ने कुलपति समेत विश्व भारती के चार सदस्यों के खिलाफ नस्लवाद का मामला दर्ज कराया था. प्रशांत विश्व भारती के अकादमिक और अनुसंधान प्रभाग के रजिस्ट्रार हैं. उनकी शिकायत के अनुसार, प्रशांत को ओडिशा के कोरापुट में केंद्रीय विश्वविद्यालय में परीक्षा नियंत्रक के पद के लिए नामांकित किया गया था.

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उच्च न्यायालय ने तीनों आरोपियों को छूट दे दी

उनकी पदोन्नति को रोकने के लिए तरह-तरह की साजिशें रची गईं. प्रशांत ने यहां तक ​​आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति से होने के कारण उनका अपमान किया गया. उन्होंने सबसे पहले राष्ट्रीय अनुसूची आयोग का दरवाजा खटखटाया. बाद में सिउड़ी कोर्ट, कलकत्ता हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गये. उच्च न्यायालय ने तीनों आरोपियों को छूट दे दी. लेकिन प्रशांत घोष को कोई राहत नहीं मिली थी. उस मामले की सुनवाई शुक्रवार को सिउड़ी कोर्ट में हुई. 

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