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Varalaxmi Vratham 2023: वरलक्ष्मी व्रत पूजा आज, जानिए पूजा विधि-शुभ मुहूर्त, कथा और पूरी जानकारी

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Varalakshmi Vrat 2023 Puja: सावन मास का आज आखिरी शुक्रवार है. इस दिन वरलक्ष्मी व्रत का विशेष महत्व है. वरलक्ष्मी अर्थात वर देने वाली लक्ष्मी. इस दिन मां लक्ष्मी की उपासना से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है.

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Varalaxmi Vratham 2023: सनातन धर्म में व्रत और त्योहार का विशेष महत्व होता है. प्रत्येक माह में कोई न कोई व्रत व त्योहार जरूर पड़ता है. इसी क्रम में श्रावण मास का आखिरी शुक्रवार बहुत खास माना जाता है. क्योंकि हर साल सावन का आखिरी शुक्रवार माता वर लक्ष्मी को समर्पित होता है. यह व्रत माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार, माना जाता है कि मां वरलक्ष्मी की उत्पत्ति क्षीर सागर से हुई थी. शास्त्रों में मां वरलक्ष्मी के रूप को बेहद आकर्षक बताया गया है. उनके रूप का वर्णन करते हुए कहा गया है कि मां वरलक्ष्मी निर्मल जल व दूध की तरह सफेद हैं. इसके साथ ही, सोलह श्रृंगार और आभूषणों से सुसज्जित हैं. मान्यता है कि मां वरलक्ष्मी का ये व्रत रखने से अष्टलक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन से दरिद्रता समाप्त होती है. इस साल वर लक्ष्मी का व्रत काफी खास है, क्योंकि इस बार एक विशेष योग का निर्माण हो रहा है.

वरलक्ष्मी व्रत पूजा आज

श्रावण मास के आखिरी शुक्रवार के दिन वरलक्ष्मी व्रत रखा जाता है. आज मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है. आज काफी शुभ योग में मां लक्ष्मी की पूजा की जाएगी. इस दिन महालक्ष्मी की पूजा करने से घर धन-धान्य से भरा रहता है. वरलक्ष्मी व्रत आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तरी तमिलनाडु और तेलंगाना राज्यों में पूरे उत्साह के साथ रखा जाता है. मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और घर धन-धान्य से भरा रहता है. आइए जानते हैं वरलक्ष्मी व्रत का पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इस व्रत पूजा से जुड़ी पूरी जानकारी…

वरलक्ष्मी व्रत-पूजा शुभ मुहूर्त

  • वरलक्ष्मी व्रत तिथि: 25 अगस्त 2023 दिन शुक्रवार

  • सिंह लग्न पूजा मुहूर्त (सुबह): 25 अगस्त की सुबह 05 बजकर 55 से 07 बजकर 42 मिनट तक।

  • वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त (दोपहर): दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से 02 बजकर 36 मिनट तक।

  • कुंभ लग्न पूजा मुहूर्त (शाम): शाम 06 बजकर 22 मिनट से शाम 07 बजकर 50 मिनट तक।

  • वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त (मध्य रात्रि): रात 10 बजकर 50 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 45 तक

वरलक्ष्मी व्रत 2023 पूजा विधि

  • वरलक्ष्मी व्रत के दिन स्नान कर साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें.

  • इसके बाद एक लकड़ी की चौकी या पाटा में लाल रंग का वस्त्र बिछाएं

  • भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें.

  • चौकी के दाएं ओर थोड़े से चावल का ढेर बनाएं और उसके ऊपर एक कलश की स्थापना करें.

  • कलश के चारों ओर चंदन लगाने के साथ कलावा बांध दें.

  • इसके बाद दीपक जलाएं और अब व्रत का संकल्प लें.

  • अब माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा आरंभ करें.

  • सबसे पहले जल अर्पित करें. फिर सिंदूर, हल्दी, कुमकुम लगाने के बाद फूल, माला , दूर्वा आदि चढ़ा दें.

  • इसके साथ ही नैवेद्य अर्पित करते हुए षोडशोपचार पूजन कर लें.

  • मां लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार अर्पित करें.

  • इसके साथ ही दोनों को भोग लगाएं. भोग लगाने के बाद जल अर्पित करें.

  • दीपक और धूप जला लें. इसके बाद गणेश चालीसा, लक्ष्मी चालीसा, गणेश-लक्ष्मी मंत्र का जाप करने के साथ वरलक्ष्मी कथा का पाठ कर लें.

  • पूजा के अंत में विधिवत आरती करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें.

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वरलक्ष्मी व्रत पूजा सामग्री (Varalakshmi Vrat Samagri)

मां वरलक्ष्मी की पूजा के लिए पूजा चौकी, रंगोली, लाल कपड़ा, वस्त्र, नारियल, कुमकुम, आम के पत्ते, पान के पत्ते, दही, फल, फूल, दूर्वा, दीप, मौली, दर्पण, कंघा, केले, कलश, लाल वस्त्र, चंदन, हल्दी, अक्षत, हल्दी, पंचामृत, कपूर दूध, खीर, कमल गट्‌टा वरलक्ष्मी व्रत पूजा सामग्री में शामिल कर लें.

मां लक्ष्मी के मंत्र (Maa Laxmi Mantra)

  • ऊँ श्रीं क्लीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।

  • ऊँ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:। ।

  • श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा।

  • ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:

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वरलक्ष्मी व्रत पूजा मंत्र (Varalakshmi Vrat Mantra)

या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी:

पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धि:।

श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा

तां त्वां नता: स्म परिपालय देवि विश्वम्॥

वरलक्ष्मी व्रत का महत्व

वरलक्ष्मी व्रत दक्षिण भारत के राज्यों (आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तरी तमिलनाडु और तेलंगाना) में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन माता लक्ष्मी के वर लक्ष्मी स्वरूप की पूजा विधि-विधान से की जाती है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से अष्टलक्ष्मी की पूजा के समान पुण्यदायी मिलता है. इसके अलावा, गरीबी दूर होती है और सौभाग्य, सुख-शांति, संतान, अपार धन की प्राप्ति होती है. यही नहीं ऐसा माना जाता है कि देवी का वरलक्ष्मी रूप वरदान देता है और अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करता है. इसलिए देवी के इस रूप को वरलक्ष्मी कहा जाता है.

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वरलक्ष्मी व्रत कथा

पौराणिक कथानुसार, मगध राज्य में कुंडी नामक एक नगर हुआ करता था. उस नगर में चारुमति के नाम की एक महिला रहती थी. चारुमति अपने परिवार के प्रति समर्पित थी, जो अपने सास, ससुर एवं पति की जिम्मेदारियों का निर्वहन अच्छे से करती थी. इसके अलावा वह माता लक्ष्मी की बड़ी भक्त थी. वे पूरे विधि-विधान से माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करती थी. एक दिन रात में सपने में आकर माता लक्ष्मी ने चारुमति को सावन मास की पूर्णिमा से पहले पड़ने वाले शुक्रवार को वरलक्ष्मी व्रत रखने की बात कही.

चारुमति ने शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी…

चारुमति ने शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी के द्वारा बताएं अनुसार नियमपूर्वक माता लक्ष्मी का व्रत किया. चारुमति की पूजा जैसे ही संपन्न हुई और वो कलश की परिक्रमा कर रही थी तो वैसे ही शरीर पर सोने के आभूषण सजने लगे थे और चारुमति पूरी तरह सोने के जेवरों से सज गई. इसके साथ ही, चारुमति का घर भी धन-धान्य से भर गया. इसके बाद चारुमति ने नगर में सभी को इस व्रत के बारे में बताया, जिसके बाद नगर की सभी महिलाओं ने वरलक्ष्मी की व्रत रखना शुरू किया और इस तरह सभी की आर्थिक स्थिति मजबूत हो गई और इस तरह व्रत का महत्व बढ़ने लगा. तब से आज तक इस व्रत को लोग पूरे विधि विधान से रखते हैं.

वरलक्ष्मी व्रत पर करें ये आसान ज्योतिष उपाय

वरलक्ष्मी व्रत के दिन कुछ आसान उपाय करना विशेष फलदायी साबित हो सकता है. आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में…

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मनोकामना पूरी करने के लिए

मां लक्ष्मी के स्वरूप वरलक्ष्मी को कमल का फूल अति प्रिय है. इसलिए इस दिन माता के चरणों में कमल का फूल जरूर अर्पित करें. यदि कमल का फूल न मिल पाए तो गुलाब या कोई सफेद फूल भी अर्पित कर सकते हैं. ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और जातक की हर मनोकामनाएं पूरी करती हैं.

दांपत्य जीवन में खुशहाली के लिए

दांपत्य जीवन में खुशहाली प्राप्त करने के लिए व घर में सुख-समृद्धि बनी रहने के लिए पति-पत्नी दोनों को वरलक्ष्मी का व्रत करना चाहिए. इसके साथ ही, कुछ ब्राह्मणों को घर बुलाकर भोजन करवाकर अपनी सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा देनी चाहिए.

आर्थिक जीवन मजबूत करने के लिए

माता लक्ष्मी को पीली व सफेद कौड़ियां काफी पसंद है इसलिए इस दिन मां के चरणों में 11 पीली या सफेद कौड़ियां अर्पित करें. ऐसा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. आप चाहे तो इन कौड़ियों को बाद में एक लाल रंग के कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी, अलमारी आदि में रख सकती हैं. इससे आपका आर्थिक जीवन संतुलन में रहते है.

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कर्ज मुक्ति के लिए

मां लक्ष्मी की विशेष कृपा पाने के लिए साथ ही, कर्ज से मुक्ति के लिए वरलक्ष्मी व्रत के दिन श्री सूक्त व कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें.

संतान प्राप्ति के लिए

माता लक्ष्मी को सफेद रंग के व्यंजन अति प्रिय है. इसलिए इस दिन माता लक्ष्मी को मखाने की खीर का भोग जरूर लगाएं. आप चाहे तो भोग में बताशा भी चढ़ा सकते हैं. ऐसा करने से सात्विक, अनुशासित और संस्कारी संतान की प्राप्ति होती है.

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