15.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 07:35 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

उत्पन्ना एकादशी कल, जानिये शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और जरूरी नियम

Advertisement

उत्पन्ना एकादशी का व्रत सबके लिए 30 नवंबर मंगलवार को होगा. इस एकादशी का व्रत रखने से व्रती के अभीष्ट कार्य सिद्ध होते हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

उत्पन्ना एकादशी का व्रत काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. उत्पन्ना एकादशी के दिन एकादशी माता का जन्म हुआ था, इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. मान्यता के अनुसार देवी एकादशी भगवान विष्णु की शक्ति का एक रूप है, इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत से मनुष्य के पूर्वजन्म और वर्तमान दोनों जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं.

- Advertisement -

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है. एकादशी तिथि महीने में दो होती है, पहला शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष में. एकादशी तिथि साल में 24 होती है. इन सभी एकादशी तिथियों में उत्पन्ना एकादशी का बेहद खास महत्व होता है.

उत्पन्ना एकादशी का महत्व

देवी एकादशी श्री हरि का ही शक्ति रूप हैं, इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. पुराणों के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने उत्पन्न होकर राक्षस मुर का वध किया था. इसलिए इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने से मनुष्यों के पिछले जन्म के पाप भी नष्ट हो जाते हैं. उत्पन्ना एकादशी आरोग्य, संतान प्राप्ति और मोक्ष के लिए किया जाने वाला व्रत है.

इस दिन होती है भगवान विष्णु की पूजा

हर माह पड़ने वाली एकादशी पर भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए व्रत और पूजा की जाती है. इन एकादशी को अलग-अलग नाम से जाना जाता है. मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहते हैं. इस साल उत्पन्ना एकादशी 30 नवंबर 2021 मंगलवार के दिन है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन माता एकादशी ने राक्षस मुर का वध किया था. अन्य एकादशी व्रत की तरह उत्पन्ना एकादशी व्रत के कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी बताया गया है. आइए बताते हैं उत्पन्ना एकादशी के व्रत, नियम, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में…

व्रत रखने के नियम

उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु के लिए व्रत रखकर उनकी पूजा की जाती है. यह व्रत दो प्रकार से रखा जाता है, निर्जला और फलाहारी या जलीय व्रत. सामान्यतः निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति को ही रखना चाहिए. अन्य या सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए. दिन की शुरुआत भगवान विष्णु को अर्घ्य देकर करें. अर्घ्य केवल हल्दी मिले हुए जल से ही दें. रोली या दूध का प्रयोग न करें. इस व्रत में दशमी को रात्रि में भोजन नहीं करना चाहिए. एकादशी को प्रातः काल श्री कृष्ण की पूजा की जाती है. इस व्रत में केवल फलों का ही भोग लगाया जाता है.

उत्पन्ना एकादशी व्रत मुहूर्त

उत्पन्ना एकादशी तिथि: 29 नवंबर,सोमवार रात्रि 11 बजकर 22 मिनट से शुरू होकर

उत्पन्ना एकादशी समापन: 30 दिसंबर मंगलवार को रात्रि 0 9 बजकर 59 मिनट तक है

पारण तिथि हरि वासर समाप्ति का समय: 01 प्रातः सुबह 07 बजकर 37 मिनट

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें