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4 घंटे से ज्यादा चलाते हैं स्मार्टफोन तो हो जाइए सावधान! बच्चे-बुजुर्गों के लिए जरूरी खबर

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स्क्रीन टाइम के कारण व्यक्ति को नींद नहीं आती है. जैसे ही कोई स्मार्टफोन की स्क्रीन पर देखता है, रोशनी मस्तिष्क को संकेत देती है कि बाहर अभी भी रोशनी है और इंसान को दिन भर जागते रहना है.

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अगर आप भी एक दिन में चार घंटा से ज्यादा अफने स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं, तो यह खबर आपके लिए ही है. दरअसल हाल ही में एक ऐसी स्टडी सामने आई है, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी. इस स्टडी में कहा गया है कि जो व्यक्ति (10-19 वर्ष की आयु वर्ग के बीच के युवा) प्रतिदिन चार घंटे से अधिक समय तक स्मार्टफोन में लगे रहते हैं, उन्हें हानिकारक मानसिक स्वास्थ्य खतरा अधिक हो सकता है. कोरिया स्थित हनयांग यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर ( Hanyang University Medical Cente ) की एक टीम ने युवाओं द्वारा स्मार्टफोन के उपयोग और उनके स्वास्थ्य (शारीरिक और मानसिक) के बीच संबंधों की समझ को गहरा करने के लिए 50,000 से अधिक युवाओं प्रतिभागियों के डेटा का विश्लेषण किया. शोध होने से पहले ही, यह दिखाया गया था कि बढ़ते बच्चों के बीच स्मार्टफोन का उपयोग हाल के वर्षों में बढ़ गया है, और कहा जाता है कि यह उपयोग प्रतिकूल स्वास्थ्य समस्याओं जैसे नींद की समस्या, मानसिक विकार और मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर ( MSD) के उच्च जोखिम से जुड़ा है.

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हनयांग यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर का डेटा

डेटा में प्रत्येक प्रतिभागी (50,000 में से) द्वारा अपने स्मार्टफोन पर खर्च किए जाने वाले दैनिक घंटों की अनुमानित संख्या और विभिन्न स्वास्थ्य उपाय शामिल हैं. सांख्यिकीय विश्लेषण के अनुसार नियोजित प्रवृत्ति स्कोर का मिलान अन्य कारकों को ध्यान में रखने में मदद के लिए किया जाता है जो स्वास्थ्य परिणामों से जुड़े हो सकते हैं, जैसे उम्र, लिंग और सामाजिक आर्थिक स्थिति. जो युवा हर दिन चार घंटे से अधिक समय तक स्मार्टफोन का उपयोग कर रहे हैं, उनमें तनाव, आत्महत्या के विचार और मादक द्रव्यों के सेवन की दर प्रति दिन चार घंटे से कम उपयोग करने वालों की तुलना में अधिक पाया गया है. लेकिन, यह बताना जरूरी है कि जो युवा प्रतिदिन एक या दो घंटे स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं, उन्हें उन लोगों की तुलना में कम समस्याओं का अनुभव होता है जो स्मार्टफोन का बिल्कुल भी उपयोग नहीं करते हैं.

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फोन के ज्यादातर उपयोग से हो सकता है ये समस्या

नींद की समस्या : स्क्रीन टाइम के कारण व्यक्ति को नींद नहीं आती है. जैसे ही कोई स्मार्टफोन की स्क्रीन पर देखता है, रोशनी मस्तिष्क को संकेत देती है कि बाहर अभी भी रोशनी है और इंसान को दिन भर जागते रहना है.

मेंटल डिसऑर्डर : इसमें मानसिक बीमारी शामिल है जिसमें चिंता विकार, अवसाद और सिजोफ्रेनिया (एक गंभीर मानसिक स्थिति जिसमें विचार, व्यवहार और भावना के माध्यम से भावनात्मक टूटना शामिल है, जो दोषपूर्ण धारणा का कारण बन सकता है, और वास्तविकता और व्यक्तिगत संबंधों से दूर हो सकता है). इसमें खान-पान संबंधी विकार और व्यसनी व्यवहार भी शामिल हैं.

मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर (एमएसडी) : यह मांसपेशियों, टेंडन, तंत्रिकाओं, उपास्थि, जोड़ों और रीढ़ की हड्डी की डिस्क का विकार है. यह तब सक्रिय होता है जब कोई उन्हें एक ही स्थिति में रखता है.

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आपको जानकारी के लिए बता दें कि अब के स्मार्टफोन काफी ज्यादा स्मार्ट हो गए है. इसमें बहुत सारे ऐसे फीचर्स दिए गए है, जिसका उपयोग करके आप अपने स्क्रीन टाइम को कंट्रोल कर सकते है. आपके फोन के सेटिंग में एक स्क्रीन टाइम का ऑप्शन दिया गया होगा, इसमें आप यह पता लगा सककते है कि आप अपने फोन का यूज कितने देरों तक करते हैं. दूसरा फीचर है बेडटाइम मोड. आप इस फीचर को ऑन करके सोने जा सकते हैं. अगर आप अपने फोन को अपने बच्चों को देते हैं, तो किड्स मोड ऑन करके ही दें. खुद से एक प्लानिंग बना लें कि आपको कितने देर तक फोन यूज करना है. क्योंकि आपका हेल्थ ही सबकुछ है. फोन का यूज जरूरी कामों के लिए ही करें.

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