24.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 07:40 pm
24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

नये संसद भवन पर बेमतलब सवाल

Advertisement

इस परियोजना के पूरे होने से केंद्र सरकार का खर्च बचेगा और उस धन का उपयोग विकास कार्यों के लिए किया जा सकेगा. साथ ही, कर्मचारियों को अपने विभिन्न विभागों में आने-जाने की असुविधा से भी बचाया जा सकेगा. उदाहरण के लिए, वाणिज्य मंत्रालय के कई विभागों के कार्यालय अन्य स्थानों में थे.

Audio Book

ऑडियो सुनें

तेरह दिसंबर को 22 वर्ष पूर्व हुए संसद पर आतंकी हमले की बरसी के दिन कुछ लोगों के उपद्रव के बाद विपक्षी दल फिर से नये संसद भवन पर सवाल उठा रहे हैं. कुछ माह पूर्व जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नये भवन का उद्घाटन किया गया था, तब भी विपक्ष ने इस भवन के साथ-साथ पूरी सेंट्रल विस्टा पुनर्निमाण परियोजना की यह कहकर आलोचना की थी कि भारत जैसे देश में क्या 13,450 करोड़ से लेकर 20,000 करोड़ रुपये तक खर्च करना औचित्यपूर्ण है. उनका कहना था कि क्या इस धन का उपयोग शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे जरूरी मदों पर खर्च नहीं किया जाना चाहिए. आलोचकों का यह भी कहना रहा है कि इस परियोजना में कई इमारतों को गिराना पड़ेगा और कई पेड़ों को काटना पड़ेगा. वे यह भी कहते हैं कि सरकार ने इस परियोजना को जल्दबाजी में लागू किया है. अब विपक्ष का यह तर्क भी आलोचना में शामिल हो गया है कि नयी संसद सुरक्षा की दृष्टि से भी सही नहीं है.

- Advertisement -

यहां सवाल यह उठता है कि सेंट्रल विस्टा योजना की क्या जरूरत थी. अंग्रेजी शासन के दौरान दिल्ली में ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लटियंस और हर्बट बेकर के डिजायन पर आधारित नयी दिल्ली की प्रशासनिक इमारतों का निर्माण 20वीं सदी में किया गया था, जिसे सेंट्रल विस्टा के नाम से भी जाना जाता है. इसमें राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, नॉर्थ और साउथ ब्लॉक जैसी अहम इमारतें शामिल हैं. ब्रिटिश सरकार का उद्देश्य नयी राजधानी का निर्माण था, जो उनकी साम्राज्यवादी शक्ति का एक प्रतीक बने. सेंट्रल विस्टा को एक भव्य नव-शास्त्रीय शैली में बनाया गया था, जिसमें बड़े-बड़े बाग, फव्वारों के साथ-साथ कई मूर्तियां स्थान-स्थान पर स्थापित की गयी थीं. इसकी एक प्रमुख विशेषता राजपथ (अब कर्त्तव्य पथ) रही, जो राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक जाता है. यह मार्ग गणतंत्र दिवस परेड समेत भारत के कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय आयोजनों के लिए उपयोग किया जाता रहा है. लंबे समय से सेंट्रल विस्टा एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल रहा है. यह भारत में ब्रिटिश शासन या यूं कहें कि साम्राज्यवाद के प्रतीक चिह्नों में एक है, लेकिन शायद इसकी भव्यता और वास्तुकला के मद्देनजर स्वतंत्र भारत में किसी भी सरकार ने किसी फेर-बदल के बारे में विचार नहीं किया. मोदी सरकार आने के बाद विचार शुरू हुआ कि राजधानी में समय के साथ संसदीय कार्यकलापों, मंत्रालयों और शासकीय विभागों की जरूरतों में बड़ा विस्तार हुआ है. ऐसे में सेंट्रल विस्टा में बड़े विस्तार की जरूरत थी.

इस परियोजना के अंतर्गत नया संसद भवन, साझा केंद्रीय सचिवालय, उपराष्ट्रपति एंक्लेव का निर्माण, राष्ट्रीय संग्रहालय का जीर्णोद्धार, विज्ञान भवन का नवीनीकरण और विस्तार आदि शामिल हैं. केंद्र सरकार ने यह भी निर्णय लिया कि किराये के भवनों में चलने वाले कार्यालयों को सेंट्रल विस्टा में बन रहे भवनों में स्थानांतरित कर दिया जायेगा. उल्लेखनीय है कि किराये के मद में वर्तमान में केंद्र सरकार को सालाना लगभग एक हजार करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं. ये कार्यालय शहर के अलग-अलग हिस्सों में फैले हुए हैं. एक तरफ सरकार का बहुमूल्य राजस्व इन किराये के भवनों पर खर्च होता रहा है, तो दूसरी तरफ सरकारी कर्मचारियों को एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय जाने में समय की बर्बादी के साथ कठिनाई भी होती है. वर्तमान में लोकसभा में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की तीन सीटों को मिला कर 545 सीटें और राज्य सभा में 245 सीटें हैं. वर्ष 2026 में निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन किया जाना है. ऐसे में संसद सदस्यों की संख्या बढ़ने के कारण ज्यादा स्थान की आवश्यकता होगी. इसके मद्देनजर नयी संसद में अधिक स्थान की व्यवस्था की गयी है. नये संसद भवन में लोकसभा कक्ष में 888 सीटों और राज्य सभा कक्ष में 384 सीटों का प्रावधान किया गया है. माना जा रहा है कि नया संसद भवन, जो भारतीय लोकतंत्र के एक प्रतीक के रूप में एक महत्वपूर्ण इमारत है, कम से कम एक से दो सदियों के लिए भारतीय संसद की आवश्यकताओं के अनुरूप बनायी गयी है.

सरकार के पास आलोचनाओं के उत्तर में ठोस तर्क हैं. सरकार का कहना है कि इस परियोजना में केवल संसद भवन, केंद्रीय सचिवालय और कई महत्वपूर्ण भवनों का नवीनीकरण और विस्तार ही नहीं हुआ है, बल्कि कई नये भवनों का निर्माण भी इसमें शामिल है. परियोजना के पूरे होने से केंद्र सरकार का खर्च बचेगा और उस धन का उपयोग विकास कार्यों के लिए किया जा सकेगा. साथ ही, कर्मचारियों को अपने विभिन्न विभागों में आने-जाने की असुविधा से भी बचाया जा सकेगा. उदाहरण के लिए, वाणिज्य मंत्रालय के कई विभागों के कार्यालय अन्य स्थानों में थे, अब वे सभी वाणिज्य भवन में स्थानांतरित हो गये हैं. नया संसद भवन कई आधुनिक सुविधाओं से लैस है, जो पुराने संसद भवन में नहीं थीं. कहा जा सकता है कि सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के चलते न केवल सरकारी कार्यालयों और संसदीय कार्यों में नयी सुविधाएं निर्मित होंगी, बल्कि इससे सरकारी कामकाज में कुशलता भी आयेगी. दिलचस्प बात तो यह है कि नये संसद भवन की इस परियोजना की योजना की सोच यूपीए के शासन काल में ही शुरू हो गयी थी, लेकिन उसको शुरू नहीं किया जा सका था. साल 2012 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को पत्र लिख कर अनुरोध किया था कि सांसदों की बढ़ती संख्या को समायोजित करने के लिए एक नयी इमारत का निर्माण किया जाए, पर यूपीए सरकार ने इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया.

उल्लेखनीय है कि पुराने सेंट्रल विस्टा की भी अधिकतर इमारतों को यथावत रख कर अथवा उनका नवीनीकरण करते हुए उनको भी उपयोग में लाया जा रहा है. अंग्रेजी साम्राज्यवाद के चिह्नों के स्थान पर आजादी के अमृतकाल में राज पथ के स्थान पर कर्तव्य पथ, पुराने संसद भवन के स्थान पर नया संसद भवन, इंडिया गेट पर स्थित खाली छतरी, जहां किसी जमाने में जॉर्ज पंचम की मूर्ति विराजमान थी, में देश के गौरव नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति की स्थापना, इंडिया गेट पर स्थित अमर जवान ज्योति, जिसमें अंग्रेजी शासन के पक्ष में लड़ने वाले सैनिकों के नाम खुदे थे, के स्थान पर अब राष्ट्रीय युद्ध संग्रहालय, जिसे स्वतंत्र भारत के सैनिकों को सम्मान देने और याद रखने के लिए बनाया गया है, जैसे परिवर्तन देशवासियों के मन में एक नया उत्साह और आत्मविश्वास भरते रहेंगे.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें