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हावड़ा में दो सीटों पर तृणमूल कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं संयुक्त मोर्चा के उम्मीदवार

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Bengal Chunav 2021: पिछले दो चुनावों (वर्ष 2011 व 2016) में अल्पसंख्यक मतदाताओं ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) के उम्मीदवार को विजयी बनाने में अहम भूमिका निभायी, लेकिन इस बार राजनीतिक समीकरण में काफी बदलाव हुआ है. तृणमूल कांग्रेस के कई दिग्गज भाजपा (BJP) का दामन थाम चुके हैं.

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हावड़ा (जे कुंदन) : बंगाल विधानसभा चुनाव में हावड़ा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली दो विधानसभा सीटों (दक्षिण हावड़ा व डोमजूर) पर संयुक्त मोर्चा से तृणमूल कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इन दोनों सीटों पर अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या 35 फीसदी से अधिक है.

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बताया जा रहा है कि पिछले दो चुनावों (वर्ष 2011 व 2016) में अल्पसंख्यक मतदाताओं ने तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार को विजयी बनाने में अहम भूमिका निभायी थी, लेकिन इस बार राजनीतिक समीकरण में काफी बदलाव हुआ है. तृणमूल कांग्रेस के कई दिग्गज नेता भाजपा का दामन थाम चुके हैं.

वहीं, वामदल-कांग्रेस-इंडियन सेक्युलर फ्रंट के गठबंधन से बने संयुक्त मोर्चा की वजह से सत्ता पक्ष की परेशानी बढ़ गयी है. हालांकि, तृणमूल कांग्रेस का दावा है कि अल्पसंख्यक मतदाता उनके ही उम्मीदवार को वोट देंगे. तीनों दलों के बीच हुए गठबंधन से अल्पसंख्यक मतदाताओं को कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि पिछले 10 वर्षों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अल्पसंख्यकों के लिए काफी काम किया है.

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इधर, जानकारों की मानें, तो इस गठबंधन का असर जरूर दिखेगा. सात से आठ प्रतिशत वोट स्विंग होने की उम्मीद है. ये वोट गठबंधन की झोली में गिर सकते हैं. अगर ऐसा होता है, तो तृणमूल कांग्रेस को नुकसान का सामना करना पड़ेगा और इसका लाभ भाजपा को मिल सकता है.

दक्षिण हावड़ा में 35 फीसदी अल्पसंख्यक मतदाता

दक्षिण हावड़ा विधानसभा क्षेत्र में 35 फीसदी अल्पसंख्यक मतदाता हैं. बताया जाता है कि पिछले दो चुनावों में ये वोटर तृणमूल कांग्रेस के लिए कारगर साबित हुए थे. दोनों बार इस सीट से ब्रजमोहन मजुमदार विजयी रहे. हालांकि, इस बार पार्टी ने लंबे समय से बीमार चल रहे ब्रजमोहन की जगह नंदिता चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. श्रीमती चौधरी दिवंगत सांसद अंबिका बनर्जी की छोटी बेटी हैं. इसलिए गठबंधन को उम्मीद है कि अल्पसंख्यक मतदाता तृणमूल को छोड़ गठबंधन की तरफ जा सकते हैं.

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डोमजूर में 40 फीसदी अल्पसंख्यक वोटर

डोमजूर विधानसभा क्षेत्र में करीब 40 फीसदी अल्पसंख्यक मतदाता हैं. इस बार इस सीट पर खुद पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी की नजर है. पूर्व तृणमूल विधायक व वन मंत्री राजीव बनर्जी के भाजपा में शामिल होने के बाद यहां सियासी माहौल अपने चरम पर है. इस सीट पर भी गठबंधन का उम्मीदवार तृणमूल कांग्रेस की परेशानी बढ़ा सकता है.

यहां की 16 ग्राम पंचायतों में तीन ग्राम पंचायत (बांकड़ा-1, बांकड़ा-2 व बांकड़ा-3) में अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या लगभग शत-प्रतिशत है. ये मतदाता इस बार किस पार्टी का रुख करेंगे, इसका खुलासा दो मई को होगा, लेकिन यहां के अल्पसंख्यक मतदाताओं के बीच सत्ता पक्ष के खिलाफ काफी नाराजगी है.

Posted By : Mithilesh Jha

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