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चतरा का खैवा बंदारू जलप्रपात सैलानियों को कर रहा आकर्षित, जानें क्या है इसकी विशेषता

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प्रकृति प्रेमी यहां फुदकते हुए हिरण, कोटरा समेत कई जानवरों को निहार सकते हैं. मोरों को नृत्य करते देखा जा सकता है. यहां कबूतरों की फड़फड़ाहट और पक्षियों की सुरीली आवाज लोगों को खूब भांति है.

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मो तसलीम, चतरा : चतरा जिले के लावालौंग प्रखंड की कटिया पंचायत में स्थित खैवा बंदारू जलप्रपात सैलानियों को आकर्षित कर रहा है. यहां नववर्ष के मौके पर बड़ी संख्या में सैलानी पहुंच कर पिकनिक मनाते हैं. साथ ही जलप्रपात का आनंद उठाते हैं. इसका मनमोहक दृश्य देखते ही बनता है. यहां पत्थरों में कई आकृतियां देखने को मिलती है. यदि यहां दह में एक पत्थर फेंक दिया जाता है, तो सुरीली प्रतिध्वनि सुनायी पड़ती है. कलकल बहता पानी सैलानियों को आकर्षित करता है. हर साल 15 दिसंबर के बाद सैलानियों का आना शुरू हो जाता है. नववर्ष के मौके पर यहां चतरा, सिमरिया, लावालौंग के अलावा लातेहार जिले से भी सैलानी आते हैं और पिकनिक मनाते हैं. यहां रहने के लिए यात्री शेड की व्यवस्था हैं. बिजली, पानी की सुविधा उपलब्ध है.

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क्या है विशेषता

झरनो से गिरता पानी लाेगों को सुकून देता है. प्रकृति प्रेमी यहां फुदकते हुए हिरण, कोटरा समेत कई जानवरों को निहार सकते हैं. मोरों को नृत्य करते देखा जा सकता है. यहां कबूतरों की फड़फड़ाहट और पक्षियों की सुरीली आवाज लोगों को खूब भांति है.

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ऐसे पहुंचे

चतरा-बगरा पथ पर 10 किमी दूरी तय कर बधार पहुंचा जा सकता है. बधार से पश्चिम दिशा में छह किमी दूरी तय कर यहां पहुंचा जा सकता है. बाइक व चार पहिया वाहन से पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा लावालौंग की ओर से भी जलप्रपात तक पहुंचने का रास्ता है.

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