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धनबाद : कुछ इस तरह हुआ तब्लीगी इज्तिमा का समापन, लोगों ने रो-रोकर मांगी दुआएं, जमात के दौरान एक की मौत

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धनबाद में आयोजित तब्लीगी इज्तिमा का कार्यक्रम बेहद खास रहा. इज्तिमा के समापन में ऐतिहासिक भीड़ शामिल हुई. दुआ-ए-खास में शामिल हर इंसान की आंखें छलक गई और लोगों ने रो-रो कर दुआएं मांगी. इज्तिमा के दौरान बिहार के मो समीरुद्दीन अंसारी की मौत भी हो गई. परिजनों ने कहा कि तबलीगी जमात के दौरान मौत सुखद है.

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गोविंदपुर (धनबाद) दिलीप दीपक : अपने गुनाहों की माफी, पूरे मुल्क में अमन-चैन और समाज की खुशहाली की दुआ के साथ आसनबनी में तब्लीगी जमात निजामुद्दीन दिल्ली की ओर से आयोजित तीन दिवसीय तब्लीगी इज्तिमा सोमवार को समाप्त हो गया. दुआ-ए-खास में शामिल हर इंसान की आंखें छलक गई और लोगों ने रो-रो कर दुआएं मांगी. इंसानियत की सुख शांति की दुआ में लाखों लोगों की ऐतिहासिक भीड़ शामिल हुई. इस अपार भीड़ की आयोजकों ने भी शायद ही कल्पना की होगी. सागर की तरह उमड़ी भीड़ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जितने लोग आयोजन स्थल पर मौजूद थे, उससे कई गुना अधिक लोगों ने आयोजन स्थल से दूर रास्ते में, वाहनों में, जो जहां थे वहीं खड़े होकर दुआ की. आयोजन स्थल के चारों ओर दूर-दूर तक का ऐसा ही दृश्य था. भीड़ का आलम यह था कि पैदल चलना भी कठिन था. 30 एकड़ के दायराे में कार्यक्रम स्थल और पूरे 3 किलोमीटर की परिधि में लोग जहां जिस हालत में थे, वहीं से दुआ कर रहे थे. समापन दिवस पर सोमवार सुबह 4.50 बजे फजर की नमाज अदा की गई. इसके बाद सुबह 5 बजे से 9.30 बजे तक बयानात हुए.

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पूरे कायनात में अमन-चैन के लिए दुआ

निजामुद्दीन दिल्ली मरकज के हजरत मौलाना अब्दुस सत्तार साहब, निजामुद्दीन मरकज के ही मौलाना युसूफ साहब, मौलाना इलियास, नवादा मरकज के मौलाना फरहान साहब और पटना मरकज के जिम्मेदार मौलाना कमरे नसीम ने तकरीर पेश की. उलेमाओं ने बयानात में पैगंबर हजरत मोहम्मद एवं कुरान के संदेश को अमल में लाने और उसे दुनिया में फैलने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि इस्लाम में भाईचारे को तवज्जो दी गई है. हमें प्रेम से रहना सिखाया गया है. दीन-दुखियों पर दया करना आलिम ने फरमाया है. बयान को जमात के लोगों ने गौर से सुना. करीब 4.30 घंटे की तकरीर के बाद मौलाना युसूफ साहब ने दुआ करवाई. जिसमें पूरे कायनात में अमन-चैन, भाईचारा और खुशहाली के लिए दुआ की गई.

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मस्जिद में किस तरह होना चाहिए दाखिल

युसूफ साहब ने मस्जिद में किस तरह दाखिल होना चाहिए, कैसे नमाज पढ़नी चाहिए आदि के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि जो लोग मस्जिद नहीं जाते हैं, नमाज नहीं पढ़ते हैं, उन्हें 40 दिन के लिए बुजुर्ग हजरात के साथ निकलना चाहिए. तभी पता चलेगा की इबादत कैसे की जाती है. करीब 40 मिनट की दुआ के अंत में गुनाहों की माफी मांगी गई. इस दौरान लोग इतने भावुक हो उठे कि उनकी आंखें भीग गईं. इसके साथ ही सुबह करीब 10 बजे तब्लीगी इज्तिमा का समापन हो गया. पिछले चार दिनों तक यहां मेला का दृश्य रहा. बिहार- झारखंड के कोने-कोने के अलावा उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के हजारों लोग इसमें शामिल हुए. कार्यक्रम में शामिल लोगों ने पांचों वक्त की नमाज पढ़ी. तकरीर सुनी व इबादत की. मेला में 1000 से अधिक दुकानें लगी थी और लोगों ने जाते वक्त जमकर खरीदारी भी की. आसनबनी गांव के कई बुजुर्गों ने कहा कि उन्होंने इस तरह की भीड़ कभी देखी नहीं थी.

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इज्तिमा समापन के साथ लोगों में जल्दी निकलने की हड़बड़ी

दुआ के साथ तीन दिवसीय इज्तिमा का समापन हुआ और इसके साथ लोग यहां से निकलने लगे. भीड़ ऐसी थी कि दिन 10:00 बजे से लोगों का निकलना शुरू हुआ, जो शाम 4:00 बजे तक जारी रहा. अपने सिस्टम के तहत रांची से आए ट्रैफिक कंट्रोल में लगे युवकों ने हुजूम को बारी-बारी से निकाला. सबसे पहले सुबह 10:00 बजे से 12:00 तक पैदल आए लोगों को जाने दिया गया. 12:00 बजे से 2:00 बजे तक मोटरसाइकिल वालों को रवाना किया गया. 2:00 बजे से 3:00 बजे तक चार पहिया वाहनों की रवानगी हुई और 3:00 बजे के बाद से एक-एक कर सभी बसों को छोड़ा गया. तिलबानी के रास्ते टुंडी रोड, रंगडीह के रास्ते गोविंदपुर ऊपर बाजार, जीटी रोड हीरापुर पुल के रास्ते भीतिया मोड़ जीटी रोड, फिर नगरकियारी होकर बरवाअड्डा एवं अन्य क्षेत्रों के वाहनों को छोड़ा गया. गोविंदपुर ऊपर बाजार में कुछ देर के लिए जाम रहा. फिर वॉलिंटियरों ने व्यवस्था को संभाल लिया. फिर वहां से निकलने की अपरा-तफरी मच गई. जो पिछले तीन दिनों से पांचों वक्त की नमाज पढ़ रहे थे, तकरीर सुन रहे थे, इबादत कर रहे थे, सबमें जल्दी निकलने और घर जाने की हड़बड़ी शुरू हो गई. व्यवस्था संभाल रहे सैकड़ों कार्यकर्ता यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए चौकस हो गए. परेशानियों के बावजूद तब्लीगी इज्तिमा में भाग लेकर लौट रहे बिहार के विभिन्न जिलों एवं झारखंड के सुदूर क्षेत्रों से आए लोगों के चेहरे पर सुकून था. क्षमता से अधिक भीड़ होने के कारण आयोजकों एवं लोगों को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ा.

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कार्यक्रम स्थल के दायरे में बंद था मोबाइल नेटवर्क

कार्यक्रम स्थल के कई किलोमीटर के दायरे में मोबाइल नेटवर्क ने काम करना बंद कर दिया था. यह स्थित चार दिनों तक बनी रही. लोग एक दूसरे से संपर्क नहीं कर पा रहे थे, बावजूद सभी में उत्साह रहा और सभी शांतिपूर्ण तरीके से इबादत में लगे रहे. इस सामूहिक इबादत में आसपास के लोगों की पूरी भागीदारी रही. गैर मुस्लिम समाज के लोगों ने भी हर संभव सहयोग किया. इस कार्यक्रम में अपना योगदान दिया. आसनबनी का तीन दिवसीय सफल तब्लीगी इज्तिमा लोगों को बहुत कुछ सीखा गया. सबसे बड़ी बात यह रही कि लाखों की भीड़ पूरी तरह संयमित और अनुशासित रही.

वालंटियर्स ने दूर की धनबाद जिला प्रशासन की चिंता

धनबाद जिला प्रशासन को पहले से इस कार्यक्रम को लेकर चिंता थी, परेशानी थी. गोविंदपुर पुलिस ने जिला से अतिरिक्त पुलिस अधिकारी एवं बल मंगाया था, परंतु इसकी विशेष उपयोगिता नहीं रही. कार्यक्रम का पूरा कमान वालंटियर ने संभाल रखा था. रांची एवं जमशेदपुर की टीम पूरे आयोजनं में सक्रिय रही. सारी व्यवस्था दोनों जिलों की टीम ने की थी. इतनी भीड़ को वालंटियर ने अच्छी तरह संभाल रखा था. वालंटियर इतने चुस्त दुरुस्त थे कि पुलिस को कहीं हस्तक्षेप करने का मौका ही नहीं मिला. भीड़ ऐसी कि कहीं पुलिस अधिकारी और दंडाधिकारी दिखे ही नहीं. सभी भीड़ में विलीन हो गए. इस कार्यक्रम के स्थानीय सूत्रधार आसनबनी के मुखिया गयासुद्दीन अंसारी थे. वह पिछले तीन माह से इस आयोजन की सफलता में लगे हुए थे और उनके साथ पूरे पंचायत की टीम लगी हुई थी. आसनबनी, भीतिया, तिलाबनी, गोरांगडीह, रंगडीह, खिलकनाली आदि गांवो के लोगों ने इसमें काफी सहयोग किया. आसनबनी के लोग दिन-रात डटे रहे. वालंटियर इतने चुस्त-दुरुस्त थे कि एक बार पुलिस अधिकारियों को भी कार्यक्रम स्थल पर जाने से रोक दिया था. बाद में पुलिस को जाने दिया गया.

कार्यक्रम की खासियत

हर धर्म और कौम के लोगों को इसमें जाने की छूट थी. पूरी पारदर्शिता के साथ कार्यक्रम हुआ. कोई रोक-टोक नहीं था. कोई गोपनीय कार्यक्रम नहीं हुए. कार्यक्रम खुला था और खासियत यह भी रही की इस दौरान पूरे क्षेत्र में कहीं भी किसी भी तरह की कुर्बानी नहीं दी गई और न किसी मजहब के खिलाफ किसी ने जुबान निकाली. कार्यक्रम के दौरान राजनीति की बातें नहीं हुई और न ही मंच पर किसी राजनीतिक दल के नेताओं को स्थान मिला. इस कार्यक्रम को राजनीति से पूरी तरह अलग रखा गया. यही कारण है कि झारखंड के किसी मंत्री का कार्यक्रम में आगमन नहीं हुआ.

इज्तिमा के दौरान बिहार के मो समीरुद्दीन अंसारी की मौत

आसनबनी में आयोजित तब्लीगी इज्तिमा के दौरान सोमवार तड़के बिहार के अररिया जिले के रमई गांव निवासी मो समीरुद्दीन अंसारी, उम्र करीब 75 वर्ष की मौत हृदयाघात से हो गई .वह तब्लीगी जमात के सदस्य थे. उन्होंने संगठन में चार माह का समय दिया था और चार महीना पहले घर से निकले थे. आयोजन समिति के सदस्यों ने उनके निधन की जानकारी उनके परिवार वालों को दी. इसके बाद परिवार वालों ने उनकी मिट्टी मंजिल आसनबनी में ही करने की अपील आयोजकों से की. परिवार वालों ने कहा कि तबलीगी जमात के दौरान उनकी मौत सुखद है. उन्हें जन्नत मिलेगी और उनके जनाजे में लाखों लोग शरीक होंगे. इसके बाद मुखिया ग्यासुद्दीन अंसारी, सदर गुलाम मुस्तफा, शौकत अंसारी, अब्दुल सत्तार अंसारी आदि ने उनके जनाजा की व्यवस्था की और कार्यक्रम स्थल से थोड़ी दूर पर स्थित कब्रिस्तान में उनकी मिट्टी मंजिल कर दी गई. जनाजे में लाखों लोग शामिल हुए.

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