13.1 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 04:32 am
13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

मेदिनीपुर के कद्दावर नेता शुभेंदु अधिकारी को बड़े नेताओं को हराने की आदत-सी हो गयी है…

Advertisement

Suvendu Adhikari, Mamata Banerjee, Bengal Election Results 2021: पश्चिम बंगाल की सबसे हाई-प्रोफाइल सीट नंदीग्राम में हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी ने प्रदेश की सबसे ताकतवर नेता ममता बनर्जी को विधानसभा चुनाव 2021 में पराजित कर दिया है. शुभेंदु ने तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो को 2036 वोट से हराया है. इसके पहले शुभेंदु अधिकारी वाम मोर्चा के बड़े नेता लक्ष्मण सेठ को भी पराजित कर चुके हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की सबसे हाई-प्रोफाइल सीट नंदीग्राम में हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी ने प्रदेश की सबसे ताकतवर नेता ममता बनर्जी को विधानसभा चुनाव 2021 में पराजित कर दिया है. शुभेंदु ने तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो को 2036 वोट से हराया है. इसके पहले शुभेंदु अधिकारी वाम मोर्चा के बड़े नेता लक्ष्मण सेठ को भी पराजित कर चुके हैं.

- Advertisement -

छात्र परिषद से राजनीति की शुरुआत करने वाले शुभेंदु अधिकारी के पिता मंझे हुए राजनेता हैं. लेकिन, उन्होंने अपने पिता के नाम के सहारे आगे बढ़ने की बजाय अपनी अलग पहचान बनायी. छात्र संघ से लेकर प्रदेश की राजनीति तक में अपने संगठन कौशल के दम पर अलग स्थान बनाया है. ममता बनर्जी जिस नंदीग्राम आंदोलन के सहारे बंगाल की सत्ता तक पहुंची, उसका कुशल रणनीतिकार शुभेंदु अधिकारी को ही माना जाता है.

शुभेंदु अधिकारी ने नंदीग्राम आंदोलन की रूपरेखा तैयार की. लंबे अरसे तक तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी की सरकार में रहने के बाद अभिषेक बनर्जी को पार्टी में अहम स्थान देने के लिए उनकी उपेक्षा की जाने लगी, तो शुभेंदु ने भी पार्टी से किनारा करने का मन बना लिया. इसकी भनक लगते ही तृणमूल ने अपने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को उन्हें मनाने के लिए भेजा, लेकिन पानी सिर के ऊपर से गुजर चुका था.

Also Read: दुनिया की प्रभावशाली हस्ती और देश की सबसे ‘ईमानदार’ राजनेता ममता बनर्जी के बारे में कितना जानते हैं आप?

शुभेंदु नहीं माने. आखिरकार वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये और ममता बनर्जी की सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प ले लिया. ममता बनर्जी ने जब नंदीग्राम से अधिकारी परिवार को चैलेंज किया और वहीं से चुनाव लड़ने की घोषणा की, तो शुभेंदु अधिकारी ने एलान कर दिया कि तृणमूल सुप्रीमो को वह कम से कम आधा लाख (50 हजार) वोटों से हरायेंगी. भाजपा चाहे किसी भी उम्मीदवार को यहां खड़ा करे.

दूसरी तरफ, तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया ममता बनर्जी नंदीग्राम में एक लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीतेंगी. नंदीग्राम बंगाल चुनाव 2021 का सबसे बड़ा अखाड़ा बन चुका था. भाजपा ने ममता के खिलाफ शुभेंदु को ही उतार दिया. तृणमूल के बड़े-बड़े दावों के बीच शुभेंदु अधिकारी ने आखिरकार बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी को पराजित करके ही दम लिया.

Also Read: Bengal Vidhan Sabha Chunav Results 2021 LIVE Updates: काउंटिंग के दिन कोलकाता में भाजपा उम्मीदवार के घर में लगा दी आग

ऐसा लगता है कि शुभेंदु अधिकारी को उन्हें बड़े-बड़े नेताओं को चुनाव में हराना मानो उनकी आदत-सी है. ममता बनर्जी से पहले शुभेंदु ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के कद्दावर और दबंग नेता लक्ष्मण सेठ को पराजित किया था. उस समय कोई भी लक्ष्मण सेठ के खिलाफ चुनाव लड़ने के बारे में सोचता तक नहीं था. तब शुभेंदु ने न केवल लड़ा, बल्कि लक्ष्मण सेठ को पराजित भी किया.

कांथी पीके कॉलेज से स्नातक शुभेंदु अधिकारी ने छात्र जीवन में ही राजनीति में कदम रखा और वर्ष 1989 में छात्र परिषद के प्रतिनिधि चुने गये. इसके बाद वह 36 साल की उम्र में पहली बार वर्ष 2006 में कांथी दक्षिण सीट से विधायक निर्वाचित हुए. कांथी नगरपालिका के चेयरमैन भी शुभेंदु अधिकारी इसी साल बन गये.

Also Read: Suvendu Adhikari: छात्र राजनीति से निकलकर पश्चिम बंगाल की सियासत में छा गये शुभेंदु अधिकारी

सक्रिय राजनीति में आने के बाद शुभेंदु ने वर्ष 2004 में पहली बार तमलूक लोकसभा सीट पर लक्ष्मण सेठ को चुनौती दी, जिनका उस समय मेदिनीपुर में सिक्का चलता था. जंगलमहल में उनका खौफ था. लेकिन, लक्ष्मण सेठ को पराजित करके शुभेंदु लोकसभा पहुंचे. फिर वर्ष 2009 और 2014 में भी संसदीय चुनाव लड़े. वर्ष 2016 में उन्होंने नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. ममता बनर्जी की सरकार में मंत्री बने.

ममता के बाद दूसरे सबसे पावरफुल मंत्री थे शुभेंदु

ममता बनर्जी की कैबिनेट में परिवहन, जल संसाधन एवं विकास विभाग तथा सिंचाई एवं जलमार्ग विभाग के मंत्री रहे. शुभेंदु अधिकारी को ममता बनर्जी के बाद तृणमूल कांग्रेस में नंबर दो का नेता माना जाता था. लेकिन, जब अभिषेक बनर्जी का उदय होने लगा, तो पार्टी के अन्य नेताओं को कथित तौर पर दरकिनार किया जाने लगा और इसी का शिकार शुभेंदु भी हुए. इसके बाद उन्होंने ममता बनर्जी की पार्टी और उनकी सरकार दोनों को अलविदा कह दिया.

शुभेंदु के गढ़ में जाकर ममता ने उन्हें चुनौती दी. उनको और उनके पिता एवं पूरे परिवार को गद्दार तक कह दिया. इस बात की भी टीस शुभेंदु के मन में थी और उन्होंने उसका हिसाब आज चुकता कर दिया. यहां बताना प्रासंगिक होगा कि पूर्वी मेदिनीपुर के अलावा पश्चिमी मेदिनीपुर, बांकुड़ा और पुरुलिया जैसे जिलों में अधिकारी परिवार का प्रभाव है. शुभेंदु के रणनीतिक कौशल को देखते हुए ममता ने उन्हें जंगलमहल, में तृणमूल के विस्तार का काम सौंपा था.

Also Read: फिर ममता बनर्जी की डबल सेंचुरी, भाजपा ने जीतीं 85 सीटें, यहां देखें 292 सीटों की सही जानकारी

Posted By : Mithilesh Jha

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें