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सुप्रीम कोर्ट ने इडी से अभिषेक, उनकी पत्नी के खिलाफ लुकआउट नोटिस पर मांगी रिपोर्ट

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शीर्ष अदालत ने पूर्व में इडी को कथित कोयला घोटाले के संबंध में कम से कम 24 घंटे पहले नोटिस देने के बाद अपने कोलकाता कार्यालय में दंपती से पूछताछ करने की अनुमति दी थी.

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कोलकाता/नयी दिल्ली, अमर शक्ति : सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (इडी) को यह बताने का निर्देश दिया कि क्या पश्चिम बंगाल में कथित कोयला घोटाले से जुड़े धनशोधन मामलों में तृणमूल कांग्रेस सांसद अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजिरा बनर्जी के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया गया है. न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने इडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से इस बारे में जानकारी तब मांगी, जब वह दंपती की विदेश यात्रा की अेनुमति से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

किस आधार पर  लुकआउट नोटिस जारी किया गया

पीठ ने कहा, “ जांच लंबित है. जरूरत होने पर आप उन्हें बुला सकते हैं. आपने किस आधार पर उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है. विदेश यात्रा भी एक अधिकार है, जब तक कि कोई कारण न हो कि आरोपी भाग जायेगा. हम केवल यह जानना चाहते हैं कि क्या याचिकाकर्ताओं के लिए लुकआउट नोटिस जारी किया गया है. वे विदेश में चिकित्सा उपचार के लिए जाना चाहते हैं, उन्हें विदेश यात्रा की अनुमति क्यों नहीं दी जानी चाहिए?” अभिषेक और उनकी पत्नी की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि तृणमूल सांसद को चिकित्सा कारणों से 26 जुलाई को विदेश जाना है. बार-बार सूचित करने के बावजूद एजेंसी ने कोई जवाब नहीं दिया, जिस कारण उन्हें शीर्ष अदालत का रुख करना पड़ा. सिब्बल ने कहा कि अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी ने पूर्व में विदेश यात्रा की थी और उनके खिलाफ जांच में कोई बाधा नहीं आयी.

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24 घंटे पहले नोटिस देने के बाद पूछताछ करने की दी थी अनुमति

शीर्ष अदालत ने पूर्व में इडी को कथित कोयला घोटाले के संबंध में कम से कम 24 घंटे पहले नोटिस देने के बाद अपने कोलकाता कार्यालय में दंपती से पूछताछ करने की अनुमति दी थी. रुजिरा को इडी के लुकआउट नोटिस का हवाला देते हुए पांच जून को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जाने वाली उड़ान में चढ़ने से कथित तौर पर रोक दिया गया था, जिसमें उन्हें एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा गया था. इडी ने नवंबर 2020 में सीबीआइ द्वारा दर्ज की गयी प्राथमिकी के आधार पर धनशोधन निवारण अधिनियम, 2002 के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया था.

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अभिषेक ने सभी आरोपों किया इंकार

प्राथमिकी में राज्य के आसनसोल और इसके आसपास कुनुस्तोरिया और काजोरा क्षेत्रों में ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की खदानों से संबंधित करोड़ों रुपये के कोयला चोरी घोटाले का आरोप लगाया गया था. स्थानीय कोयला तस्करी गिरोह के सरगना अनूप माझी उर्फ लाला पर इस मामले में मुख्य संदिग्ध होने का आरोप है. इडी ने दावा किया था कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी (35) इस अवैध व्यापार से प्राप्त धन के लाभार्थी थे. अभिषेक ने सभी आरोपों से इंकार किया है.

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हाइकोर्ट ने स्वीकार की अभिषेक के खिलाफ भाजपा की याचिका

कलकत्ता हाइकोर्ट ने भाजपा की उस याचिका को स्वीकार कर लिया. जिसमें तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पांच अगस्त को राज्यभर में भाजपा नेताओं के ‘घर का घेराव करने के आह्वान पर अदालत के हस्तक्षेप की मांग की गयी थी. हालांकि, मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने मामले की फास्ट ट्रैक सुनवाई की याचिका को खारिज कर दिया. याचिका दायर करते हुए भाजपा के वकील सूर्यनील दास ने तर्क दिया कि ऐसे राजनीतिक कार्यक्रम देश के नागरिकों के मूल अधिकारों के खिलाफ हैं और इसलिए अदालत के हस्तक्षेप की आवश्यकता है, ताकि ऐसे कार्यक्रम आयोजित न किये जायें.

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क्या है मामला

शुक्रवार को शहीद दिवस सभा के मंच से अभिषेक बनर्जी ने तृणमूल कार्यकर्ताओं से राज्य के भाजपा नेताओं के घर का घेराव करने का आह्वान किया था. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस आंदोलन का समर्थन करते हुए यह सुझाव दिया था कि यह प्रदर्शन भाजपा नेताओं के आवास से 100 मीटर की दूरी पर किया जाना चाहिए. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने पहले ही इस मामले- में ममता और अभिषेक के खिलाफ कोलकाता के एक पुलिस थाने में एफआइआर दर्ज करायी है. खंडपीठ ने याचिका स्वीकार कर ली, लेकिन इस मामले में फास्ट ट्रैक सुनवाई की याचिका खारिज कर दी साथ ही खंडपीठ ने कहा कि इस कार्यक्रम से जो नेता व कार्यकता प्रभावित हो सकते हैं, उनको भी पक्षकार बनाया जाना चाहिए.

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