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गन्ने की खेती से कैसे बदल गयी लोहरदगा के किसानों की जिंदगी, आज हो रही है लाखों की आमदनी

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जिस वक्त जूस के मांग चरम पर रहती है एवं जिसे लेकर सफेद गन्ने की भी मांग रहती है. जिससे किसानों को उचित मूल्य मिल पायेगी. प्रखंड के आरेया, किस्को,परहेपाठ के किसानों ने लाल गन्ने की खेती की थी.

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संदीप साहु, किस्को: किस्को के किसानों ने इस वर्ष भारी मात्रा में गन्ने का उत्पादन कर बेहतर आमदनी की है. क्षेत्र के दर्जनों किसानों ने इस वर्ष गन्ने की फसल लगायी गयी थी. जहां कुछ क्षेत्रों में लाल गन्ने की खेती किसानों द्वारा की गयी थी. जिसकी बिक्री किसान कर चुके हैं. बीज के लिए गन्ने को छोड़ किसान लाल गन्ने की बिक्री कर चुके हैं. वहीं सफेद गन्ने की बिक्री की तैयारी में किसान जुटे हुए हैं. जिसकी बिक्री मार्च अप्रैल में की जायेगी. किसानों का मानना है कि सफेद गन्ने की बिक्री के लिए उपयुक्त समय गर्मी का दिन है.

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जिस वक्त जूस के मांग चरम पर रहती है एवं जिसे लेकर सफेद गन्ने की भी मांग रहती है. जिससे किसानों को उचित मूल्य मिल पायेगी. प्रखंड के आरेया, किस्को,परहेपाठ के किसानों ने लाल गन्ने की खेती की थी. वहीं हेसापीढ़ी, बेठहठ के किसान इस वर्ष धान की फसल छोड़ सफेद गन्ने में किस्मत आजमा रहे हैं. वहीं अगले वर्ष भारी मात्रा में गन्ने की खेती करने की तैयारी में है. किसानों का मानना है कि सफेद गन्ने की मांग बाजार में अधिक है. किसानों को गन्ने की फसल को बेचने में कोई परेशानी नहीं होती,जबकी फसल की खराब होने की शिकायत नही होती,व्यापारी घर आकर गन्ने की खरीदारी कर उचित मूल्य पर ले जाते हैं. बचे खुचे गन्ना स्थानीय बाजारो में बिक जाते हैं. गन्ने की बिक्री के लिए ज्यादा भागदौड़ करना नहीं पड़ता. जबकि दूसरे फसलों का सही बाजार नही मिलता एवं उचित मूल्य भी नहीं मिलता.

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जबकि एक गन्ना 10 से 12 रुपए की दर से व्यापारियों द्वारा खरीद कर ली जाती है. वहीं गन्ने का बाजार मूल्य 15 से 20 रुपया प्रति गन्ना होती है. धीरज कुमार, विजय कुमार, सज्जाद अंसारी, बंसी उरांव, इरशाद अंसारी, बबलू अंसारी, रमजान अंसारीएवं अन्य किसानों द्वारा बेठहठ पंचायत के 15 एकड़ से अधिक खेतों पर सफेद गन्ने की खेती की गयी हैं. वही परहेपाठ आरेया के दर्जनों किसानों द्वारा गन्ने की फसल लगायी गयी थी. जिसकी बिक्री कर ली गई है. किसानों का कहना है कि गन्ने की फसल में बेहतर आमदनी के साथ साथ बाजार की समस्या नहीं होती. गोरखपुर, बिहार,पश्चिम बंगाल एवं दूसरे राज्यों के व्यापारी घर आकर फसल की खरीदारी का ले जाते हैं जिस कारण गन्ने की खेती की ओर किसानों का झुकाव दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है.

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