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Vinesh Phogat Wrestler Protest: विधान चंद्र मिश्र, कुछ वर्ष पहले अमेरिकी जिमनास्टिक टीम के पूर्व चिकित्सक डॉ लैरी नासर के खिलाफ अमेरिकी कोर्ट ने 175 साल की सजा सुनाई थी. डॉ नासर के खिलाफ 160 महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण का आरोप साबित हुआ था. उन्होंने दो दशकों के दौरान इस घटना को अंजाम दिया था, लेकिन सबसे पहले 2016 में रसैल डेनहालेंडर ने इसका खुलासा किया था. फिर ओलिंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुकीं जिमनास्ट सिमोन बाइल्स, गैबी डगलस, ऐली रेसमन और मैककायला मारोनी समेत कई महिला एथलीटों ने नासर पर आरोप लगाये थे. यह सिर्फ एक देश की बात नहीं हैं.
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भारत में भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं, लेकिन यहां पर भी सभी महिलाएं ओलिंपियन पहलवान विनेश फोगाट जैसे आगे आकर शिकायत नहीं कर पाती हैं, जैसे की उन्होंने बुधवार को किया था. विनेश के आरोप के अनुसार वर्षों से कुश्ती महासंघ के अधिकारी महिला पहलवानों का शोषण कर रहे हैं. विनेश से पहले कोई भी महिला पहलवान अपने महासंघ के अध्यक्ष के खिलाफ सामने नहीं आयी हैं. परिजन को भी पता रहता है, लेकिन खिलाड़ियों के करियर खत्म होने के डर से शायद नहीं बोल पाते हैं. एक दशक में करीब 50 महिला खिलाड़ी ही साइ के पास पहुंच यौन उत्पीड़न का खुलासा किया है.
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कई मामलों में तो खेल संघ भी अपने खिलाड़ी का सपोर्ट नहीं करते हैं. पिछले वर्ष भारतीय खेल प्राधिकरण ने मुख्य साइकिलिंग कोच आरके शर्मा को बर्खास्त कर दिया था. वजह यह थी कि एक महिला साइकलिस्ट ने उन पर गंभीर आरोप लगाये थे. आरोप था कि स्लोवेनिया के प्रशिक्षण दौरे के दौरान शर्मा ने गलत व्यवहार किया हैं. कोच ने उन्हें होटल के एक ही कमरे में अपने साथ रहने के लिए मजबूर किया. कोच ने यह बहाना बनाया कि कमरे की व्यवस्था दो लोगों के एक साथ रहने के हिसाब से की गयी है. जांच समिति की प्रारंभिक रिपोर्ट में महिला साइकिल चालक के आरोपों को सही पाया गया. महिला खिलाड़ी ने सेलिंग फेडरेशन के सामने कई बार इस मुद्दे को उठाये थे और कोई कार्रवाई न होने के बाद भारतीय खेल प्राधिकरण का रुख किया था.
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खिलाड़ियों को करियर खत्म होने का डर
खेल के क्षेत्र में कोच और एथलीट के संबंध के बीच पद का जो फासला होता है. एथलीटों के लिए आगे आना और शिकायत करना मुश्किल होता है. एथलीटों के पास करियर खत्म होने का डर लगता है, क्योंकि चयन का अधिकार कोच व अधिकारियों के हाथ में ही होते हैं.
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संघों के पास महिला कोच और अधिकारी कम
भारत में 50 से अधिक राष्ट्रीय खेल संघ हैं. अधिकतर में बड़े पदों पर पुरुष अधिकारी हैं. महिला कोचों की संख्या कम हैं. महिला खिलाड़ियों के उत्पीड़न का शिकार होने पर संघों के पुरुष अधिकारी मामले को दबा देते हैं.
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शिकायत के लिए हेल्पलाइन नंबर नहीं, बदनामी का डर
प्रसिद्ध भारतीय एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज ने यूनिफॉर्म नेशनल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट कोड बनाने के लिए 2017 में सिफारिश की थीं. सरकार महिला एथलीटों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी करने का सुझाव दिया था. अब तक कोई हेल्पलाइन नंबर नहीं हैं. खिलाड़ियों ंको संघ व साइ के पास शिकायत करनी पड़ती है. पहुंच रखनेवाले आरोपी मामले दबा देते हैं.
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पहले भी लग चुके हैं उत्पीड़न के बड़े आरोप
2015 कर्णम मल्लेश्वरी ने कोच पर आरोप लगाया कि महिला खिलाड़ियों को टीम में जगह दिलाने के नाम पर वे यौन शोषण कर रहे हैं.
2010 में महिला हॉकी टीम की खिलाड़ियों ने कोच पर यौन प्रताड़ना का आरोप लगाया था. कोच को इस्तीफा देना पड़ा था.
2011 में तमिलनाडु बॉक्सिंग एसोसिएशन के सेक्रेटरी पर एक महिला खिलाड़ी ने सेक्शुअल हैरेसमेंट का आरोप लगाया था.
2014 में एशियन गेम्स के दौरान एक महिला जिमनास्ट नेशनल कैंप अटेंड करने गयी थी, जहां उसके साथ सेक्शुअल हैरेसमेंट हुआ था.
2015 में केरल के साइ केंद्र में उत्पीड़न से परेशान चार महिलाओं ने आत्महत्या की कोशिश की थी, जिनमें एक की मौत हो गयी थी.