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मॉनसून के आने पर भी बारिश नहीं, जलस्रोतों के सूखने से धनबाद के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल के लिए मचा हाहाकार

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गरीबों की हालत और बिगड़ती जा रही है, जिन्हें पानी का जार खरीद कर पीना पड़ रहा है. नहाने-धोने व पशुधन को पानी पिलाने में परेशानी खड़ी हो रही है. लिहाजा जोड़िया या नदी किनारे चुआ-डांड़ी खोद कर लोग अपनी प्यास बुझा रहे हैं. पानी देने में सरकारी व्यवस्था पूरी तरह फेल है.

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Dhanbad News: मॉनसून के आगमन के बाद भी बारिश नहीं हो रही है. गर्मी परेशान कर रही है. खेत सूखे पड़े हैं. जलस्रोत सूखे पड़े हैं. जबकि आषाढ़ महीना आधा बीत चुका है. ग्रामीण क्षेत्रों में स्पष्ट आदेश के बाद भी 15वें वित्त आयोग की राशि से चापाकलों की मरम्मत नहीं हो पायी है. लिहाजा पंचायत क्षेत्रों में भयंकर जलसंकट गहरा गया है. गांवों में टैंकर से पानी देने की कोई व्यवस्था नहीं है. इसमें उन गरीबों की हालत और बिगड़ती जा रही है, जिन्हें पानी का जार खरीद कर पीना पड़ रहा है. नहाने-धोने व पशुधन को पानी पिलाने में परेशानी खड़ी हो रही है. लिहाजा जोड़िया या नदी किनारे चुआ-डांड़ी खोद कर लोग अपनी प्यास बुझा रहे हैं. पानी देने में सरकारी व्यवस्था पूरी तरह फेल है. इधर, अभी तक बारिश शुरू नहीं हो पाने से खरीफ की खेती करने वाले किसान परेशान हैं. अब तक धनरोपनी शुरू हो जाती, लेकिन धान के बीज की बोआई भी शुरू नहीं हो पायी है. तालाब-नदी, जोड़िया-पोखर सभी सूख गये हैं.

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पेयजल व स्वच्छता विभाग की सूची के अनुसार बाघमारा की सभी 61 पंचायतों में 945 चापाकल खराब पड़े हैं. मामले में बीडीओ ने स्थिति को देखते हुए 15वें वित्त आयोग से चापाकलों को मरम्मत का निर्देश जरूर दे दिया है, लेकिन इसे भी गर्मी में आई वाश ही कहा जा रहा है.

मेगा जलापूर्ति योजना का हाल

बाघमारा प्रखंड में मेगा जलापूर्ति योजना फेज एक एवं फेज 2 में काम चल रहा है. फेज एक तो पिछले साल ही पूर्ण होना था, लेकिन योजना में विलंब पर विलंब होता जा रहा है. तीन माह पहले बाघमारा की तारगा पंचायत से मेगा जलापूर्ति योजना फेज दो शुरू की गयी है. जब फेज एक की 92 करोड़ रुपये की योजना तीन साल में पूर्ण नहीं हो पायी तो उम्मीद कर सकते हैं कि फेज दो की योजना कितने दिनों में पूर्ण होगी. उसकी लागत 177 करोड़ रुपये की है.

तेलमच्चो ग्रामीण जलापूर्ति योजना फेल

तीन पंचायतों तेलमच्चो, लोहपट्टी एवं कांड्रा को तेलमच्चो की दामोदर नदी से की जाने वाली जलापूर्ति की योजना फेल हो गयी है. इंटेकवेल से दामोदर का पानी काफी दूर हो गया है. नतीजा यह है कि तीनों पंचायतों की बड़ी आबादी पेयजल से वंचित हो गयी है. विभाग को जनसरोकार से कोई मतलब नहीं रह गया है.

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हर-घर नल योजना के तहत बाघमारा प्रखंड में दो मेगा जलापूर्ति योजनाओं का काम चल रहा है. इसके पूरा होते ही जल्द घरों में पानी मिलने लगेगा.

-सोमर मांझी, सहायक अभियंता पेयजल स्वच्छता विभाग, धनबाद

भुइयां पहाड़पुर में 60 लाख की लागत से बना जलमीनार सात साल बाद भी नहीं हुआ चालू

राजगंज. पेयजल व स्वच्छता विभाग की ओर से करीब 60 लाख की लागत से वर्ष 2015-16 में बाघमारा प्रखंड की नगरीकला उत्तर पंचायत के भुईयां पहाड़पुर में निर्मित 10 हजार गैलन क्षमता के जलमीनार से सात साल बाद भी जलापूर्ति चालू नहीं हो पायी है. एजेंसी द्वारा पाइप लाइन बिछाने का काम भी आधा अधूरा छोड़ दिया गया है. वर्षों से बेकार पड़ी इस योजना के चालू नहीं होने के कारण जलमीनार दरकने लगा है. सीढ़ी टूट रही है. जगह-जगह प्लास्टर झड़ने से रॉड दिख रहा है. इस जलमीनार से पहाड़पुर, सोनदाहा, दलदली, बांसमुड़ी, धारजोरी, पातामहुल, गोविंदाडीह, नायकडीह, बौआ, सोरीटांड़ व नगरीकला उत्तर सहित 10-12 गांवों में पाइप बिछा कर घर-घर जलापूर्ति करने की योजना थी, लेकिन अब तक गांवों में पानी नहीं पहुंचा.

बड़ा अंबोना व पिराडीह के लोग डांड़ी चुआ पर निर्भर

केलियासोल प्रखंड के अंतर्गत बड़ा आंबोना पंचायत के आदिवासी टोला एवं पिंड्राहाट पंचायत के आदिवासी टोला में हर घर नल जल योजना पूर्ण रूप से फेल हो गयी है. इस भीषण गर्मी में लोग डांड़ी-चुआं पर निर्भर हैं. बड़ा अंबोना पंचायत की आबादी करीब 15 हजार है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा पांच सोलर जल मीनार यहां लगाये गये हैं. उसमें तीन बंद पड़े हैं. मोधारडीह आदिवासी टोला के लोग आज भी गांव से बाहर खेत में बनाये गये डांड़ी चुआ का पानी पीते हैं. उसके बाद तीन महीने से पानी बंद है. गांव के बाहर खेतों में बनाये गये चुआ पर सभी पानी भर कर ले आते हैं. वहीं पिंड्राहाट पंचायत के पिराडीह आदिवासी टोला में हर घर नल-जल योजना के तहत विभाग की ओर से सिर्फ टंकी से टोला में 25 घरों में पाइप लाइन जोड़ी गयी है. लेकिन न ही टंकी में मोटर लगा और न ही सभी के घरों में स्टैंड बनाया गया है.

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डेढ़ माह में पांच बार जला सबमर्सेबल पंप, अधिकारी बोले-भ्रष्टाचार हावी

बीसीसीएल गोविंदपुर क्षेत्र का हाल खस्ता है. धर्माबांध एक नंबर चानक के सबमर्सेबल पंप जलने को लेकर सवाल उठ रहे हैं. शुक्रवार को फिर से यह पंप जल गया. पिछले डेढ़ माह में पांच बार यह पंप जला है. 16 जून को ही यह पंप मरम्मत कर लगाया गया था. महज चंद दिनों में यह खराब हो गया. पांच बार में महज एक हफ्ते से लेकर 10 दिन में पंप खराब हुआ है. लेकिन इसकी मरम्मत में करीब 6 लाख से अधिक की राशि खर्च की गयी है. इस संबंध में कोल माइंस ऑफिसर्स एसोसिएशन के गोविंदपुर क्षेत्र के सचिव केएस द्विवेदी ने कहा कि भ्रष्टाचार पूरी तरह से हावी है. संबंधित विभाग व संवेदक की कार्यशैली के कारण आज पूरा जनमानस पानी के लिए त्राहिमाम कर रहा है. पांच बार पंप जल गया. बिल कैसे उठा लिया गया. यह जांच का विषय है.

20 हजार की आबादी प्रभावित

इस भीषण गर्मी में एक सबमर्सेबल पंप पांच बार खराब हो गया. 23 जून को एक बार फिर धर्माबांध एक नंबर चानक का सबमर्सेबल पंप जल गया. इससे धर्माबांध बस्ती, बाडुघुटु, तेतुलिया, आम बागान, बीसीसीएल ऑफिसर कॉलोनी, काली नगर, हनुमान नगर, बिलबेरा, सोनारडीह, प्रेम नगर आदि जगहों के करीब 20 हज़ार की आबादी प्रभावित है. लोगों ने भी कहा कि पांच बार डेढ़ माह में मोटर खराब होना यह दर्शाता है कि भ्रष्टाचार कहां तक फैला है.

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