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कुलपतियों की नियुक्ति मामले में ममता सरकार को झटका, राज्यपाल के फैसले पर हाइकोर्ट की मुहर

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पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने राज्य के 11 विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति की थी. राज्य सरकार ने आरोप लगाया था कि उनकी सहमति और सरकार की अनुशंसा के बगैर कुलपतियों की नियुक्ति की गई है.

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पश्चिम बंगाल के 11 विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की ओर से कुलपतियों की नियुक्ति के खिलाफ लगाई गई याचिका में राज्य सरकार को झटका लगा है. कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम व न्यायाधीश अजय कुमार गुप्ता ने राज्यपाल के फैसले को सही करार देते हुए कुलपतियों की नियुक्ति को वैध करार दिया है.

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राज्यपाल के द्वारा की गई थी कुलपतियों की नियुक्ति

गौरतलब है कि राज्यपाल ने राज्य के 11 विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति की थी, जिसके खिलाफ हाइकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. यहां तक कि राज्य सरकार ने राज्यपाल द्वारा नियुक्त कुलपतियों का वेतन भी बंद कर दिया गया था और स्पष्ट कर दिया था गया था कि राज्य सरकार ने विधानसभा में विधेयक पेश कर यह फैसला लिया है कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति राज्यपाल नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री होंगी. इसलिए राज्यपाल का इस बारे में फैसला वैध नहीं है.

 खंडपीठ का फैसला कुलपतियों को नियमानुसार मिलेगा वेतन

हालांकि बुधवार को इस मामले में मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम व न्यायाधीश अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार के विधेयक को राजभवन की सहमति नहीं मिली है. इसलिए नियमानुसार अभी भी राज्यपाल राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं और कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार उन्हीं के पास है. इसलिए राज्य सरकार का फैसला मान्य नहीं होगा. खंडपीठ ने स्पष्ट कर दिया कि जो कुलपति राज्यपाल द्वारा नियुक्ति के बाद से कार्यभार संभाल कर ड्यूटी कर रहे हैं उन्हें नियमानुसार वेतन भी देना होगा.

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राज्य सरकार का आरोप : नियुक्ति मामले में नहीं ली गई थी अनुमति

उल्लेखनीय है कि पिछले महीने राज्यपाल ने राज्य के 11 विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति की थी. राज्य सरकार ने आरोप लगाया था कि उनकी सहमति और सरकार की अनुशंसा के बगैर कुलपतियों की नियुक्ति की गई है. इसके बाद से शिक्षा विभाग ने अधिसूचना जारी कर इन कुलपतियों का वेतन बंद करने की घोषणा की थी.

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