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बंगाल में TMC की मदद करने और BJP को हराने के लिए 100 से ज्यादा उम्मीदवार उतारेगी शिव सेना

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West Bengal Election 2021: तृणमूल कांग्रेस (TMC) की मदद करने और भारतीय जनता पार्टी (BJP) को हराने के लिए महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ पार्टी शिव सेना (Shiv Sena) ने बंगाल विधासनभा चुनाव 2021 में 100 उम्मीदवार खड़े करने की घोषणा की है.

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कोलकाता (नवीन कुमार राय) : तृणमूल कांग्रेस की मदद करने और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने के लिए महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ पार्टी शिव सेना ने बंगाल विधासनभा चुनाव 2021 में 100 उम्मीदवार खड़े करने की घोषणा की है.

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राज्य में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख करीब आ रही है, राजनीतिक तोड़-जोड़ का खेल तेज हो रहा है. भाजपा के खिलाफ लगातार विरोधी तेवर अपना रही शिव सेना ने बंगाल की 294 सीटों में से 100 से अधिक सीटों पर अपना उम्मीदवार खड़ा करने का एलान किया है.

शिव सेना के प्रवक्ता अशोक सरकार ने प्रभात खबर को बताया कि उन्हें कई दलों ने गठबंधन का प्रस्ताव दिया है. लेकिन, फिलहाल पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ने के मूड में है. इसके लिए अभी से शिव सेना जिलावार संगठन खड़ा कर चुकी है.

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उन्होंने कहा कि कुछ जिले बाकी हैं, जहां जल्द ही कमेटी का गठन कर लिया जायेगा. एक फरवरी को कोलकाता से शिव सेना के प्रदेश अध्यक्ष शांति दत्ता व प्रदेश उपाध्यक्ष मुंबई जा रहे हैं. वहां पर दो फरवरी को शिव सेना के सांसद संजय राउत के साथ बैठक कर आगे की रणनीति बनायेंगे.

चूंकि इस बार शिव सेना संजय राउत की देखरेख में चुनाव लड़ेगी, अभी से इसकी तैयारी की जा रही है. पार्टी के प्रचार के लिए मुंबई से शिवसेना की एक टीम भी बंगाल आयेगी.

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उल्लेखनीय है कि पहले भाजपा के सांगठनिक नेता के रूप में अपनी सेवा देने वाले अशोक सरकार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के साथ मतभेद के कारण काफी दिनों तक भाजपा के सक्रिय राजनीति में नहीं थे. अर्से बाद उन्होंने शिव सेना का दामन थाम लिया.

शिव सेना ने खड़गपुर में दिया था भाजपा के खिलाफ प्रत्याशी

शिव सेना का झंडा थामने के बाद ही अशोक सरकार ने सबसे पहले दिलीप घोष के गढ़ में सेंध लगायी. दिलीप घोष के खड़गपुर विधानसभा सीट से इस्तीफे के बाद जब वहां उपचुनाव हुआ, तो शिव सेना ने भी अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया. अशोक सरकार का दावा है कि शिव सेना उम्मीदवारों ने हिंदू वोट काटे और भाजपा वहां हार गयी.

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तृणमूल और भाजपा दोनों 200 सीटें जीतने का दावा कर रही है. ऐसे में शिव सेना और ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम वोटों का समीकरण बिगाड़ने के लिए मैदान में आ गयी हैं. देखना है कि शिव सेना हिंदू वोट में और एआईएमआईएम मुस्लिम वोट में कितना सेंध लगा पाती हैं.

एआईएमआईएम और शिव सेना से किसको फायदा, किसको नुकसान

एआईएमआईएम के मैदान में आने से तृणमूल को नुकसान होगा, तो शिव सेना निश्चित रूप से भाजपा को ज्यादा नुकसान पहुंचायेगी. शिव सेना को लगता है कि उसकी कट्टर हिंदूवादी सोच के चलते उसे हिंदू मतदाताओं का समर्थन मिलेगा. इसका लाभ तृणमूल कांग्रेस को मिलेगा और भाजपा की मुश्किलें बढ़ेंगी.

Posted By : Mithilesh Jha

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