14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

झारखंड में माता का ऐसा मंदिर : मां के आसन से फूल गिरे, तो समझो पूरी हुई मनोकामना

Advertisement

झारखंड के लातेहार जिले में मां उग्रतारा का प्राचीन मंदिर है. चंदवा के नगर गांव में एक हजार साल पुराना मां उग्रतारा का सिद्धपीठ है. नवरात्र के दौरान यहां 16 दिनों तक विशेष पूजा होती है, जिसमें हर समाज की भागीदारी होती है. मंदिर में स्थापित मां के आसन से फूल गिरने पर मनोकामना जरूर पूरी होती है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

चंदवा (लातेहार), सुमित कुमार : लातेहार जिले के चंदवा प्रखंड के नगर गांव में सिद्धपीठ के रूप में ‘मां उग्रतारा’ का करीब एक हजार वर्ष प्राचीन मंदिर स्थित है. लातेहार जिले के अलावा पूरे झारखंड और देश के हर कोने से श्रद्धालु इस सिद्धपीठ में पूजा करने आते हैं. लोककथा के अनुसार, टोरी परगना के अंतिम राजा दिग्विजय नाथ शाही के पूर्वज आखेट के क्रम में लातेहार के मनकरी नामक स्थान पर गये थे. यहां रात को विश्राम के दौरान स्वप्न में देवी ने राजा को आदेश दिया, ‘सुबह स्नान करने तालाब में जाओ. वहां तुम्हें मैं मिलूंगी.’ राजा को वहां अंगुष्ठ प्रमाण (अंगूठे के समान प्रतिमा) मिली. उसे लाकर राजा ने नगर गांव स्थित अपने राज्य के गढ़ के बीचो-बीच स्थापित कर दिया. तब से ही यह मंदिर यहां स्थापित है. देव मारकंडेय (बिहार) वर्तमान रोहतास निवासी पंचानन मिश्र अपने परिवार के साथ यहां भिक्षाटन के क्रम में नगर पहुंचे थे. यहां राजा ने पूजा की जवाबदेही व अलौदिया गांव की जमींदारी पंचानन मिश्र को दी. 1804 में दिग्विजय नाथ शाही (अंतिम राजा) का नावल्द निधन हो गया. तब से आज तक पंचानन मिश्र के वंशज ही मंदिर की व्यवस्था व पूजा का भार निभाते आ रहे हैं.

- Advertisement -

मां के आसन पर 11 फूल चढ़ाते हैं श्रद्धालु

यहां की पूजन पद्धति अद्भुत है. वर्तमान सेवायत सह मुत्जिमकार गोविंद बल्लभ मिश्र बताते हैं कि मां उग्रतारा श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ति करती हैं. इसके लिए श्रद्धालु पुजारी की मदद से मां के आसन पर 11 फूल चढ़ाते हैं. यह फूल गिरने पर उनकी मनोकामना पूरी होती है. नगर मंदिर में 16 दिनों की शारदीय पूजा होती है. उन्होंने बताया कि इस मंदिर में समाज के सभी वर्गों को जोड़ने की व्यवस्था की गयी है. नवरात्र के दौरान नूतन मंडप में नवरात्र पूजन किया जाता है. नूतन मंडप के निर्माण के लिए बांस लाने का काम अलौदिया के सरहाली गांव के गंझू व परहिया जाति के लोग ही करते हैं. खैर लाने का काम हरैया गांव के तैलिक-साहू जाति के लोग करते हैं. वहीं, मंडप को छारने का काम अलौदिया गांव के उरांव जाति के लोग करते हैं. मंदिर की रंगाई-पुताई नगर के गंझू जाति के लोग करते हैं. इतना ही नहीं दशहरा में 16 दिनों तक जो आचार्य तीखुर का भोग ग्रहण करते हैं, उसके लिए पूरे अलौदिया गांव से दूध एकत्रित कर प्रतिदिन नगर मंदिर ले जाया जाता है.

पोथी के आधार पर की जाती है पूजा

सेवायत सह मुत्जिमकार श्री मिश्र ने बताया कि टुढ़ामू स्थित मिश्र परिवार के घर में देवी के कृपा से एक अद्भुत पुस्तक है. इसके आधार पर ही ऐतिहासिक नगर मंदिर में दशहरा पूजा संपन्न होती है. उन्होंने बताया कि इस पुस्तक में कई पुराणों का सार है. इसे मिश्र परिवार द्वारा ही लिखा गया है. यह कैथी लिपि में लिखी गयी है. इस पोथी को सालों भर मिश्र परिवार के घर में देवी तुल्य रखा जाता है. साल में 16 दिनी नवरात्र के दौरान ही इसे निकाला जाता है. मंदिर में इसी पुस्तक के माध्यम से विशेष पूजा संपन्न होती है.

Also Read: नवरात्र में पूजा सामग्री की कीमतों में 10 फीसदी बढ़ोतरी, देवघर में दो करोड़ के कारोबार का अनुमान, जानें नए रेट

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें