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Sarhul Festival 2023: आज मनाया जा रहा है सरहुल, विभिन्न जनजातियों के बीच प्रसिद्ध है ये पर्व

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Sarhul Festival 2023 importance and sigificance: आज 24 मार्च 2023 को सरहुल का त्योहार मनाया जा रहा है. सरहुल आदिवासियों द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है जो कि वसंत में मनाया जाता है. पतझड़ के बाद पेड़ पौधे खुद को नए पत्तों और फूलों से सजा लेते है.

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Sarhul Festival 2023: सरहुल पर्व आज 24 मार्च को मनाया जा रहा है. सरहुल त्योहार प्रकृति को समर्पित है. इस त्योहार के दौरान प्रकृति की पूजा की जाती है. सरहुल आदिवासियों द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है जो कि वसंत में मनाया जाता है. पतझड़ के बाद पेड़ पौधे खुद को नए पत्तों और फूलो से सजा लेते है, आम मंजरने लगता है सरई और महुआ के फूलों से वातावरण सुगन्धित हो जाता है.

‘सर’ और ‘हुल’ से मिलकर बना है सरहुल

सरहुल दो शब्दों से बना हुआ है ‘सर’ और ‘हुल’. सर का मतलब सरई या सखुआ फूल होता है. वहीं, हुल का मतलब क्रांति होता है. इस तरह सखुआ फूलों की क्रांति को सरहुल कहा गया है. सरहुल में साल और सखुआ वृक्ष की विशेष तौर पर पूजा की जाती है.

विभिन्न जनजातियों के बीच प्रसिद्ध है सरहुल पर्व

उरांव सरना समाज में इस त्‍योहार को ‘खद्दी’ या ‘खेखेल बेंजा’ के नाम से भी जाना जाता है. उरांव सरना समाज में किसी भी सरहुल की तिथि पूरे गांव को हकवा लगाकर बताई जाती है. जैसा कि पहले ही बताया गया है कि सरहुल को त्योहार इस समाज में एक ही दिन नहीं मनाया जाता. विभिन्न गांवों में इसे अलग-अलग दिन मनाने की प्रथा है.

कैसे मनाया जाता है सरहुल

सरहुल की तैयारी एक सप्ताह पहले ही शुरू हो जाती है, पर्व के एक दिन से लेकर पूजा होने तक पहान उपवास करता है. पर्व के प्रात: मुर्गा बांगने के पहले ही पूजार दो नये घड़ों में ‘डाड़ी’ का जल भर कर चुपचाप सबकी नजरों से बचाकर गांव की रक्षक आत्मा, सरना मां के चरणों में अर्पित करता है. आदिवासी इस दिन साल के वृक्ष की पूजा करते हैं.

इससे पहले सरना स्थल की साफ सफाई की जाती है. उस दिन सुबह के वक्त गांव के लोग चूजा पकड़ने जाते हैं जिसे पूजा में इस्तेमाल किया जाता है. उस पर पहान पुजार अन्न के दाने को फेंकते हैं और मां सरना से गांव की खुशहाली के लिए दुआ मांगी जाती है.

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