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कोविड में हमने ही सबका मनोरंजन किया : ऋचा चड्ढा

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यह फिल्म पहले दिसंबर में रिलीज होने वाली थी. मैं तो चंडीगढ़ मम्मी से मिलने जा रही थी. वहीं, जो दूसरे कलाकार फिल्म से जुड़े हैं, उनमें से कोई एम्सर्डम जा रहा था, तो कोई दूसरी फिल्मों के लिए कुछ कर रहा था. मगर, एक फोन और ई-मेल गया कि भाई सबकुछ कैंसिल करो और फिल्म के प्रमोशन में शामिल हो जाओ.

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बॉलीवुड की पॉपुलर फ्रेंचाइजी ‘फुकरे 3’ सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. एक बार फिर फिल्म की पॉपुलर किरदार भोली पंजाबन में अभिनेत्री ऋचा चड्ढा नजर आ रही हैं. ऋचा बताती हैं कि फुकरे को हमेशा प्यार मिलता आया है. सभी को फुकरे के किरदार पसंद हैं. बच्चे भी इस फिल्म के हर किरदार को खासा पसंद करते हैं, तो एक खुशी होती है कि आप एक ऐसी फिल्म का हिस्सा हैं, जिसे पूरा परिवार पसंद करता है. इस फिल्म, करियर और निजी जिंदगी पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

‘फुकरे 3’ पहले दिसंबर में रिलीज होने वाली थी. अचानक से फिल्म की रिलीज डेट्स प्रीपोंड हो गयी. कोई खास वजह?

इसको फिल्म पर भरोसा करना कहते हैं. यह फिल्म पहले दिसंबर में रिलीज होने वाली थी. मैं तो चंडीगढ़ मम्मी से मिलने जा रही थी. वहीं, जो दूसरे कलाकार फिल्म से जुड़े हैं, उनमें से कोई एम्सर्डम जा रहा था, तो कोई दूसरी फिल्मों के लिए कुछ कर रहा था. मगर, एक फोन और ई-मेल गया कि भाई सबकुछ कैंसिल करो और फिल्म के प्रमोशन में शामिल हो जाओ.

भोली पंजाबन एक बहुत ही लोकप्रिय किरदार है. आप दो बार इसे निभा चुकी हैं. ऐसे में तीसरी बार किरदार में जाना आसान था?

तुरंत तो नहीं होता है कि आप एक सेकेंड में किरदार में चले जाएं. निजी जिंदगी में ऐसे कौन रहता है. हर तरह के गंदे काम में वो शामिल है. हद से ज्यादा इल्लीगल औरत है. इस बार कहानी में उसने सोचा कि छोटी चोरी बहुत हो गयी.अब लंबा हाथ मारा जाये, इसलिए वह नेता बनने के लिए चुनाव में खड़ी है. कहीं ना कहीं फुकरों का भी जमीर जग जाता है कि भोली पंजाबन अगर नेता बन गयी, तो फिर क्या होगा. वो भी जल संसाधन मंत्रालय. वैसे भी दिल्ली पानी की किल्लत से जूझ रही है. इसी के इर्द-गिर्द कहानी बुनी गयी है.

‘फुकरे ’ एक ब्रांड बन चुकी है. इसका श्रेय आप किसको देंगी ?

इस फिल्म के निर्माता रितेश सिधवानी और फरहान अख्तर को श्रेय देना चाहूंगी. रितेश और फरहान दोनों ने बहुत बड़े दिल से हमें सपोर्ट किया है. नये लोगों के साथ कोई इतना चांस नहीं लेता है. आपको याद हो, तो पहले पार्ट के प्रमोशन में फरहान हर जगह हमारे साथ थे. वो उस वक्त जानते थे कि फिल्म को उनकी जरूरत है. मैं बताना चाहूंगी कि दोनों प्रोड्यूसर्स के परिवार वाले भी हमें बहुत प्यार और आशीर्वाद देते हैं. एक्सेल का वर्क कल्चर भी बहुत अच्छा है. इनके ऑफिस में कितनी सारी लड़कियां काम करती हैं. बाकी ऑफिस में 70 प्रतिशत पुरुष और 30 प्रतिशत लड़कियां हैं. यहां लड़कियों का आंकड़ा 40 प्रतिशत से ज्यादा है. मेरा ख्वाब है कि आज से बीस साल बाद मैं भी ऐसे एक प्रोडक्शन हाउस तक पहुंच पाऊं. अच्छा प्रोडक्शन हाउस हर फिल्म की बहुत बड़ी जरूरत है. एक फिल्म ‘गोल्डफिश’ वो ‘मसान’ की कैटेगरी की फिल्म है, लेकिन फिल्म का प्रमोशन वैसा हुआ ही नहीं और वह खूबसूरत फिल्म नोटिस भी नहीं हो पायी.

‘फुकरे 3’ में अली फजल नहीं हैं. उनको कितना मिस किया?

अली को हमने बहुत मिस किया. हम 2021 के मार्च में शूटिंग पर जाने वाले थे. किसी ने बोल दिया कि कोविड वापस आने वाला है. सेकेंड वेव से कुछ दिन पहले शूटिंग बंद हो गयी. उसके बाद देश का क्या हाल हुआ, सबको पता है. उसी दौरान उनको बाहर की फिल्म मिल गयी और उनको साइन कर लिया गया, तो वो चाहकर भी फिल्म से जुड़ नहीं पाये. बेचारे ये भी पूछते रहते थे कि लंच में मोमोज आया था या फिर नान. (हंसते हुए) प्रमोशन के दौरान भी कहा कि यार मुझे कोई स्टोरी में टैग क्यों नहीं कर रहा है. मैं बोलती- क्यों तुमको टैग करेंगे, तुमने खुद चुना है. तुमने हॉलीवुड चुन लिया. हिंदुस्तानियों को भूल गये, हम क्यों तुम्हें टैग करें.

अली की अब तक की जर्नी बहुत खास रही है. हिंदी सिनेमा ही नहीं, बल्कि हॉलीवुड में भी उन्होंने अपनी एक खास पहचान बनायी है. उनकी ये उपलब्धि आपको कितना खुशी देती है?

बहुत प्राउड होता है और कहीं ना कहीं ये बात चुभती भी है कि अगर कोई इनसाइडर का ये अचीवमेंट होता, तो लोग चीख-चीख के बोलते, लेकिन अली को वो सम्मान नहीं मिलता है, जिसके वे हकदार हैं. आप उनका रेंज देखो, वो मिर्जापुर में गुड्डू पंडित बनते हैं और हॉलीवुड में अब्दुल भी. अभी उनकी फिल्म ‘डेथ इन नाइट’ में उन्होंने आर्मेनियन एक्सेंट पकड़ा था. इन सबमें मेहनत लगती है. कई बार यकीन नहीं होता है कि ये आदमी मेरे साथ रहता है. खाना बनता है. घर की साफ-सफाई भी करता है. घर पर वह बहुत रिलैक्स रहता है. एक्टर के तौर पर हमने एक-दूसरे की जर्नी में बहुत योगदान दिया है और हमें एक-दूसरे से प्यार था.

क्या प्रतिस्पर्धा भी आती है ?

(हंसते हुए ) हां, हम दोनों एक-दूसरे को कुछ न कुछ बोलते रहते हैं. वो बोलते हैं कि तुमने हॉलीवुड एक्ट्रेस जूडी डेंच के साथ काम किया है क्या. मैं बदले में बोलती हूं कि तुम कांस अपनी फिल्म के लिए गये हो क्या, तो चुपचाप बैठ जाओ.

आप भी एक हॉलीवुड फिल्म कर रही हैं?

हां, कर रही हूं, लेकिन उस लेवल की नहीं कर रही हूं, जैसा अली करते हैं. अली बड़े-बड़े स्टूडियोज की फिल्म करते हैं. मेरा बाहर कोई एजेंट नहीं है. मुझे बस वो फिल्म ‘आइना’ मिल गयी. ये एक रिफ्यूजी लड़की की कहानी है. उसमें हॉलीवुड के एक बहुत बड़े एक्टर हैं. उसका एक शेड्यूल हो गया है. दूसरे का इंतजार है.

मौजूदा दौर में फिर बॉलीवुड फिल्में बॉक्स-ऑफिस पर सफलता का इतिहास रच रही हैं?

बहुत खुश हूं. बहुत बकवास हुई थी कि बॉलीवुड खत्म हो गया. ये वो. यहां के लोग ड्रग्स लेते हैं. अरे! कुछ लोगों की वजह से आप पूरी इंडस्ट्री को नेगेटिव नहीं बोल सकते हैं. हमारी स्किन देखो, बाल देखो, हम ड्रग्स लेते, तो क्या ऐसे दिखते. कोविड में हमने ही सभी का मनोरंजन किया था. हमारी ही फिल्में और प्रोग्राम टीवी पर देखकर आपने खुद को खुश रखा. आर्टिस्ट की कदर होनी चाहिए.

मौजूदा दौर में लार्जर देन लाइफ फिल्में चल रही हैं. क्या रियलिस्टिक सिनेमा का दौर अब थिएटर में नहीं आ पायेगा?

हां, छोटी फिल्मों की राह मुश्किल दिख रही है. छोटी फिल्मों को तीन करोड़ बनाने में लगता है और थिएटर में उनको रिलीज करने का खर्च 5 करोड़ है. ऐसे में कौन पैसे लगायेगा. ओटीटी के आने से उम्मीद बढ़ी थी. उन फिल्मों के लिए अच्छा समय चल भी रहा था, लेकिन अब ओटीटी वाले भी यही बोलते हैं कि अच्छी कास्ट लाओ. फिल्म थिएटर में रिलीज करवा के ले आओ. फिर हम वही पहुंच गये हैं. उम्मीद है कि आने वाले समय में हालात बदलें और छोटी और अच्छी फिल्में फिर से थिएटर में रिलीज हों.

आप निर्मात्री भी बन गयी हैं. उस फ्रंट पर क्या चल रहा है?

एक डॉक्यूमेंट्री शूट की है. एक फिल्म भी. एक बड़े फिल्म फेस्टिवल के लिए उसको चुन लिया गया है. अच्छी-अच्छी कहानियां ला सकें, यही ख्वाहिश है. नये लोगों को मौका दे सकें. हम सब आउटसाइडर्स को मौका दे रहे हैं.

‘हीरा मंडी ’का भी सबको बेसब्री से इंतजार है. आप क्या कहेंगी ?

‘हीरा मंडी ’में ‘वासेपुर’से ज्यादा इम्पैक्ट होगा. मैं इससे ज्यादा अपने किरदार के बारे में बता नहीं पाउंगी. भंसाली सर ने मुझे निचोड़ दिया. मेरा ईगो ध्वस्त करके मुझे बनाया है. मैं इसके लिए उनकी कृतज्ञ हूं. इंडस्ट्री में बहुत बड़ी प्रॉब्लम है. लोगों को लगता है कि एक्टर अच्छा कास्ट कर लो और फिर आप उसे बोल दो कि आप अपने स्टाइल में कर लो. आप कर लोगे. ये बोलते हुए कोई डाइट कोक पी रहा है, तो कोई रेड बुल. ‘हीरा मंडी ’ में ऐसा था कि आप अपनी छोटी ऊंगली से भी झूठ नहीं बोल सकते हैं. भंसाली सर बोल देते हैं कि तुम्हारी आंखों में झूठ था, दिल को नहीं छू पाया, एक और करो. फिल्म में खूबसूरत भंसाली सर की टीम और लाइट्स बना देती है. हमारा काम है एक्टिंग करना, तो मैंने उसी पर फोकस किया और किसी के बारे में नहीं सोचा. फैशन मैगजीन का कवर वाली एक्टिंग नहीं करनी थी.

मनोरंजन से भरपूर है ‘फुकरे 3’

‘फुकरे 3’ निकम्मे लोगों के राजनीति में प्रवेश करने की कहानी है. सेकेंड पार्ट की घटनाओं के बाद हनी (पुलकित सम्राट), चूचा (वरुण शर्मा), लाली (मनजोत सिंह), और पंडित (पंकज त्रिपाठी) दिल्ली सरकार द्वारा प्रदान किये गये स्टोर को चलाना जारी रखते हैं. हालांकि, कारोबार मंदा है. इस बीच भोली पंजाबन (ऋचा चड्ढा) जनहित समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव में खड़ी हुई हैं. वह हनी, चूचा, लाली और पंडित से उसकी मदद करने और जरूरत पड़ने पर चूचा के ‘देजा चू’ का उपयोग करने के लिए कहती है. हालांकि, अभियान के दौरान चूचा, अनजाने में, शो चुरा लेता है और आम जनता का पसंदीदा बन जाता है. चारों ने फैसला किया कि चूचा को भी चुनाव लड़ना चाहिए और भोली को हराना चाहिए. उनका मानना है कि एक बार जीतने के बाद वह निवासियों के लिए कुछ भी सार्थक नहीं करेगी. हालांकि, प्रचार के लिए पैसे की जरूरत होती है, जो फुकरे गैंग के पास नहीं है. तभी उन्हें दक्षिण अफ्रीका से मौका मिलता है. शुंडा सिंह अहलूवालिया (मनु ऋषि चड्ढा) एक खदान का मालिक है और हीरे खोजने के लिए संघर्ष कर रहा है. चूचा को ‘देजा चू’ के उपयोग के जरिये हीरे खोजने में मदद करने के लिए वहां आमंत्रित किया गया है. कुल मिलाकर यह फिल्म मनोरंजन से भरपूर है.

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