17.1 C
Ranchi
Thursday, February 13, 2025 | 01:19 am
17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Ram Navami 2023: हजारीबाग में रामनवमी जुलूस की कैसे हुई शुरुआत, यहां देखें पहले कैसा होता था पताका

Advertisement

हजारीबाग से वर्ष 1918 में रामनवमी जुलूस की शुरुआत हुई. पहले यहां से 40-50 फीट ऊंचे दर्जनों झंडों के साथ जुलूस निकाला जाता था. 1970 के बाद जुलूस में बदलाव आया. स्वर्गीय गुरु सहाय ठाकुर और उनके मित्रों ने गोंधूली बेला में जुलूस लेकर कर्जन ग्राउंड गये थे.

Audio Book

ऑडियो सुनें

हजारीबाग, सलाउद्दीन : हजारीबाग में रामनवमी जुलूस की शुरुआत वर्ष 1918 में हुई थी. चैत माह के नवमी को मर्यादा पुरूषोतम भगवान राम के जन्मदिन पर जुलूस निकाला गया था. स्वर्गीय गुरु सहाय ठाकुर ने अपने मित्र हीरालाल महाजन, टीभर गोप, कन्हाई गोप, जटाधर बाबू, यदुनाथ के साथ रामनवमी पर्व की शुरुआत हजारीबाग से किया था. शहर के कुम्हारटोली से जुलूस निकाला था. प्रसाद का थाल, महावीरी झंडा, दो ढोल और सभी लोग भगवान राम की जय का नारा लगा रहे थे. गोंधुली बेला में झंडा बड़ा अखाड़ा में जमा हुआ. यहां से 40-50 फीट ऊंचे दर्जनों झंडों के साथ जुलूस निकला. बड़ा बाजार एक नंबर टाउन थाना के सामने कर्जन ग्राउंड के मुख्यद्वार से जुलूस मैदान में पहुंचता था. यहां एक दो घंटे लोग लाठी खेलते थे. फिर सभी झंडे अपने-अपने मुहल्ले में जाते थे. 1933 में कुम्हारटोली में बसंती दुर्गापूजा टोली की शुरुआत हुई.

Undefined
Ram navami 2023: हजारीबाग में रामनवमी जुलूस की कैसे हुई शुरुआत, यहां देखें पहले कैसा होता था पताका 2

1950-52 में झंडे की ऊंचाई में कमी आयी

हजारीबाग शहर में बिजली के तार लगे. इस कारण रामनवमी के दिन निकलनेवाले महावीरी झंडे की ऊंचाई में कमी की गयी. 1956 में महासमिति अस्तित्व में आयी. 1962 तक सिर्फ नवमी में मुहल्ले के लोग झंडा लेकर जुलूस निकालकर चार-पांच घंटे में समाप्त कर देते थे.

मंगला जुलूस की शुरुआत

वर्ष 1963 में कुम्हारटोली मुहल्ला से मंगला जुलूस पूजा की शुरुआत हुई. हनुमान मंदिर में लंगोट और लड्डू चढ़ाकर पूजा शुरू की गयी. सिर्फ नवमी के दिन जुलूस निकाला जाता था. वर्ष 1970 के बाद जुलूस में बदलाव आया. मुहल्लों से झंडा लेकर लोग दिन में बड़ा अखाड़ा में जमा होने लगे. वहां से कर्जन ग्राउंड जाकर अस्त्र-शस्त्र और लाठी-डंडा खेलते थे.

Also Read: Ram Navami: तपोवन मंदिर में 1929 में पहली बार हुई थी महावीरी पताके की पूजा

जुलूस का बढ़ा स्वरूप

जुलूस को नियंत्रित करने के लिए प्रशासनिक पहल एवं विधि व्यवस्था बनाये रखने की जरूरत महसूस की गयी. जुलूस में ढोल, नगाड़ा, शहनाई, शंख, बासुरी, झाल-मंजीरा और परंपरागत वाद्य यंत्र रहते थे. पूरे परिवार के साथ लोग रामनवमी मेला जुलूस में शामिल होते थे. जुलूस के बढ़ते स्वरूप को देखते हुए चैत रामनवमी महासमिति का गठन होने लगा. 1970 में पहली बार बाडम बाजार ग्वालटोली रामनवमी समिति ने कोलकाता से तासा पार्टी मंगाया था. जुलूस में प्रतिमाएं और प्रकाश व्यवस्था भी शामिल किया गया. 1980 के आसपास जुलूस में झंडों के साथ झांकी भी शामिल हुई. 1985 के आसपास कोर्रा पूजा समिति, मल्लाहटोली पूजा समिति पहली बार जीवंत झांकी प्रस्तुत की गयी. 1990 के आसपास रामनवमी जुलूस में आकर्षक झांकियां बड़े स्तर पर शामिल होने लगे. धीरे-धीरे शहर व आसपास के सभी अखाड़ों का समागम हजारीबाग के जुलूस के साथ हो गया. अखाड़ों की संख्या 60 से अधिक हो गयी.

एक से बढ़कर एक निकाली जाती है बेहतरीन झांकी

कोरोना काल में दो साल जुलूस नहीं निकालकर मंदिरों और अखाड़ों में ही पूजा अर्चना हुई. वर्तमान समय में शहर में दसवीं की रात और एकादशी तक रामनवमी का जुलूस सड़कों पर होता है. अखाड़ों की संख्या लगभग 100 के करीब पहुंच गयी है. सभी मुहल्लों, क्लब एवं अखाड़ों का जुलूस रामनवमी दशमी की रात को अपने अखाड़ों से निकलकर देर रात तक शहर के मेन रोड तक पहुंचती है. एकादशी को दिनभर शहर के सभी मार्गों में सैकड़ों जुलूस पार करते हैं. देर शाम तक जुलूस का समापन होता है. धार्मिक, सामाजिक संदेशवाले एक से बढ़कर एक झांकी, जीवंत झांकी की प्रस्तुति होती है. पिछले दो वर्षों से महाराष्ट्र, कोलकाता और अन्य राज्यों से ढोल, तासा और बैजू वाद्ययंत्र जुलूस में शामिल हो रहे हैं.

पत्नी संग गुरु सहाय ठाकुर भगवान राम के थे भक्त

कथाकार विजय केसरी ने स्वर्गीय गुरु सहाय ठाकुर के बारे में बताते हैं कि वर्ष 1893 में कुम्हारटोली के एक सामान्य परिवार में जन्म हुआ था. प्रारंभिक शिक्षा हजारीबाग नगर पालिका स्कूल और माध्यमिक तक की पढ़ाई जिला स्कूल तक किया था. उनका विवाह रामगढ की सुंदरी देवी के साथ हुआ था. दोनों भगवान राम के भक्त थे. रामचरित्र मानस के अच्छे ज्ञाता भी थे. वे नगरपालिका के तहसीलदार के पद पर कार्य करते थे. हिंदू समाज में नवजागृति लाने की पहल की. समाज में व्याप्त कुरीतियों को मिटाना चाहते थे.

Also Read: Ram Navami 2023: गुमला में रामनवमी को लेकर पुलिस अलर्ट, एसपी ने ली जुलूस रूट की जानकारी

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें