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पाकुड़ के लबदा घाटी मिशन स्कूल केस : चार दिन बाद कब्र से निकाला गया पहाड़िया नाबालिग बच्ची का शव

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पाकुड़ जिले के लबदा घाटी स्थित मिशन स्कूल की छात्रा की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है. पहाड़िया जनजाति की बेटी के शव को कब्र खोदकर निकाला गया है और उसका पोस्टमार्टम कराया गया है. इस पर राजनीति तेज होने के आसार हैं.

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पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा थाना क्षेत्र स्थित लबदा घाटी मिशन स्कूल की एक नाबालिग पहाड़िया बच्ची की मौत के बाद बिना पोस्टमार्टम कराये शव को दफना दिया गया था. इस मामले में दंडाधिकारी की निगरानी में शुक्रवार को रांगा थाना क्षेत्र की शहरी पंचायत के बड़ा गुम्मा पहाड़ के पास कब्र खोद कर शव को बाहर निकाला गया. इससे पूर्व गुरुवार की रात बरहरवा एसडीपीओ प्रदीप कुमार उरांव, बरहरवा इंस्पेक्टर कुलदीप कुमार, पतना अंचलाधिकारी सह दंडाधिकारी सुमन कुमार सौरभ के अलावा रांगा थाना, बरहरवा थाना, बरहेट थाना व कोटालपोखर थाना पुलिस बड़ा गुम्मा पहाड़ पहुंची, जहां मेडिकल जांच के लिए बच्ची का शव कब्र से निकाल कर ले जाने की बात परिजनों से कही.

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रात भर शव की निगरानी करती रही पुलिस

परिजन दफनाये गये शव को निकालने के लिए तैयार नहीं थे. काफी देर समझाने-बुझाने के बाद परिजन तैयार हुए. परंतु रात होने के कारण शव को कब्र से नहीं निकाला नहीं जा सका. इसीलिए शव की निगरानी के लिए पुलिस बल की तैनाती की गयी थी. शुक्रवार की सुबह करीब पांच बजे सभी पदाधिकारी रांगा थाना परिसर पहुंचे, जहां से दंडाधिकारी की निगरानी में सभी गुम्मा पहाड़ पहुंचे और स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से कब्र को खोदकर शव को बाहर निकाला. इसके बाद मेडिकल जांच के लिए सदर अस्पताल भेजा गया.

शव को कब्र से निकालने की हुई रिकॉर्डिंग

शव को कब्र से निकालने की पूरी प्रक्रिया की रिकॉर्डिंग एवं फोटोग्राफी की गयी. विदित हो कि 23 जुलाई को लबदा घाटी मिशन स्कूल लिट्टीपाड़ा पाकुड़ की तीन छात्राओं को इलाज के लिए बरहेट प्रखंड के चंद्रगोड़ा मिशन अस्पताल में स्कूल द्वारा भर्ती कराया गया था. इस मामले की जानकारी उनके अभिभावकों को दी गयी थी. 23 जुलाई को पतना के बड़ा गुम्मा पहाड़ निवासी मैसा पहाड़िया की पुत्री मनीषा मालतो की मौत हो गयी थी.

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बाबूलाल मरांडी और निशिकांत दुबे के ट्वीट के बाद हरकत में आया प्रशासन

उसके शव का पोस्टमार्टम कराये बगैर ही अगले दिन शव को उसके गांव में दफना दिया गया. घटना के दो दिनों तक मामला शांत रहा, लेकिन तीसरे दिन पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी एवं गोड्डा के बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने ट्वीट कर तीनों बच्चियों के साथ किसी बड़ी अनहोनी होने की आशंका जतायी. इसके बाद प्रशासन हरकत में आया. शुक्रवार को बच्ची के शव को कब्र से निकालकर साहिबगंज सदर अस्पताल भेजा गया, जहां से शव को दुमका ले जाया गया.

बाबूलाल मरांडी ने किया था ये ट्वीट

झारखंड प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर कहा था: संताल परगना के बरहेट चंद्रगौड़ा मिशन अस्पताल में भर्ती तीन छात्राओं में से एक की दर्दनाक मृत्यु हो गयी है. दो बेटियां बीते रविवार से ही जीवन-मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहीं हैं. उनकी हालत बहुत गंभीर बतायी जा रही है. ये बेटियां पाकुड़ जिले के लबदा मिशन स्कूल की छात्राएं हैं. पहाड़िया जनजाति की इन बच्चियों के साथ किसी बड़ी अनहोनी की आशंका है. उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की थी कि तत्परता दिखाते हुए बच्चियों को तत्काल एयर एंबुलेंस से रांची लाकर उनका बेहतर इलाज सुनिश्चित करें.

विधानसभा में हो सकता है इस मुद्दे पर हंगामा

झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सदन में भी इस मामला के उठने की संभावना प्रबल हो गयी है, क्योंकि आज भी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं ने अपराध और भ्रष्टाचार के साथ इस मामले के खिलाफ सदन के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया. विरंची नारायण से लेकर नीरा यादव और अमर बाउरी तक ने इस मुद्दे को उठाया. आज फिर कई मुद्दों पर बाबूलाल मरांडी ने सूबे के मुखिया पर इशारों-इशारों में हमला बोला.

झारखंड की जनता समझती है सेलेक्टिव चुप्पी का राज

झारखंड के पूर्व सीएम ने कहा कि सोरेन राज परिवार के एक्सिडेंटल अयोग्य राजकुमार सबकी चिंता करते हैं, सिवाय झारखंड को छोड़कर. मध्यप्रदेश के पेशाबकांड की चिंता है, मणिपुर के नरसंहार की चिंता है, ओडिशा के आदिवासियों की चिंता है और तो और माननीय राष्ट्रपति जी को चिठ्ठी लिखने की भी चिंता है. लेकिन जैसे ही झारखंड की बात आती है, आदिवासीयों के स्वघोषित मालिक चुप, रांची सहित राज्य भर में हो रही हत्याओं पर चुप, गरीब आदिवासी बेटियों के साथ रेप पर चुप, संताल में लव जिहाद व जमीन जिहाद पर चुप, बालू-कोयला-पत्थर के अवैध खनन पर चुप, ट्रांसफर-पोस्टिंग के खेल पर चुप. आपकी सिलेक्टिव चुप्पी का राज जनता अच्छी तरह समझती है.

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