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कोल्हान में मनायी गयी उत्कलमणी गोपबंधु दास की 145वीं जयंती, ओड़िया समुदाय के लोगों ने किया याद

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कोल्हान के सरायकेला-खरसावां समेत चक्रधरपुर में समारोह आयोजित कर पंडित गोपबंधु के बताये मार्ग पर चलने का आह्वान किया है. इस मौके पर चित्रांकन प्रतियोगिता के सफल प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया.

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Jharkhand News: कोल्हान में उत्कलमणी पंडित गोपबंधु दास की 145वीं जयंती मनायी गयी. इस मौके पर पर जहां खरसावां के आदर्श सेवा संघ एवं उत्कल सम्मिलनी के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम का आयोजन हुआ, वहीं चक्रधरपुर शहर के कुसुमकुंज मोड़ समीप स्थित उत्क्रमणीय विद्या मंदिर परिसर में पंडित गोपबंधु को याद किया गया.

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पंडित गोपबंधु दास के बताये मार्ग पर चलने का आह्वान

इस मौके पर खरसावां राजघराने के राजा गोपाल नारायण सिंहदेव ने कहा कि पंडित गोपबंधु दास के विचार हमेशा प्रासंगिक बने रहेंगे. पंडित गोपबंधु दास के जीवन यात्रा को जानना भी संघर्ष-सृजन के बीच अन्योनाश्रय संबंध को जानना है. उन्होंने कहा कि भाषा, साहित्य एवं संस्कृति ही हमारी पहचान है. इसके उत्थान के लिए हम सभी को संगठित होकर कार्य करना होगा. वहीं, उत्कल सम्मिलनी के सलाहकार हरिश आचार्या ने कहा कि पंडित गोपबंधु के बताये मार्ग पर चलकर ही हम अपनी मातृभाषा, संस्कृति एवं साहित्य को और अधिक सशक्त कर सकते हैं. पंडित गोपबंधु दास द्वारा भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के उत्थान के लिए किये गये कार्यों को हमेशा याद किया जाता रहेगा.

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पंडित गोपबंधु ने ओड़िशा को एक नयी पहचान देने में निभायी महती भूमिका

आदर्श सेवा संघ के अध्यक्ष सुमंत मोहंती ने कहा कि उन्होंने ओड़िशा को एक नयी पहचान देने में अपनी महती भूमिका निभायी. इतना ही नहीं खुद नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने उन्हें ओड़िशा में राष्ट्रीय आंदोलन का पिता कहा था. गांधीजी ने गोपबंधु को ओड़िशा के उन प्रमुख हस्तियों में माना, जो अंग्रेजी शासन को चुनौती दे सकने में सक्षम थे. गांधीजी कहते थे कि गोपबंधु एक ऐसे महापुरुष हैं, जिन्होंने ओड़िशा में गरीबी मिटाने के लिए कृषि, कुटीर उद्योग, खादी और डेयरी फार्म के विकास का सपना देखा. पंडित गोपबंधु दास के आदर्शों को आत्मसात करने की आवश्यकता है.

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पंडित गोपबंधु के बताये रास्ते पर चलने का संकल्प

जिला परिदर्शक सुशील षाड़ंगी ने कहा कि अपनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति को ओर अधिक सशक्त बनाने के लिए सभी को आगे आना होगा. कार्यक्रम को सुशांत षाड़ंगी, शुभेंदु कुमार सतपथि, विरोजा पति, सुजीत हाजरा, लाल सिंह सोय, अजय प्रधान, चंद्रभानु प्रधान, रश्मि रंजन मिश्रा, भरत चंद्र मिश्रा, रंजीत मंडल, रेणु महारणा, चंद्रभानु प्रधान, सदानंद प्रधान आदि ने भी संबोधित किया. इससे पूर्व राजबाड़ी के सामने स्थित पंडित गोपबंधु दास की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर ओड़िया समाज के लोगों ने उनके बताये राह पर चलने का संकल्प लिया.

चित्रांकन प्रतियोगिता के सफल प्रतिभागी हुए पुरस्कृत

कार्यक्रम के दौरान चित्रांकन, निबंध एवं भाषण प्रतियोगिता के सफल प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र एवं उपहार देकर सम्मानित किया गया. भाषण प्रतियोगिता में प्रिया नापित, शुभम पुष्टी एवं ओम भुइयां, चित्रांकन प्रतियोगिता में प्रवीण सतपथी, नीतीन साहू व नीलम साहू,  निबंध लेख प्रतियोगिता में निशखरानी सतपथी, प्रिया नापित व जुली राउत को क्रमश प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार दिया गया. अग्रेजी भाषण प्रतियोगिता में मनजीत मंडल को पुरस्कृत किया गया.

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चक्रधरपुर के कुसुमकुंज में कार्यक्रम आयोजित

दूसरी ओर, पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत चक्रधरपुर शहर के कुसुमकुंज मोड़ समीप स्थित उत्क्रमणीय विद्या मंदिर ओड़िया उच्च विद्यालय परिसर में उत्कलमणि पंडित गोपाबंधु दास की जयंती मनायी गयी. सबसे पहले पंडित गोपाबंधु दास के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर ओड़िया समाज के लोगों ने श्रद्धासुमन अर्पित किया. इसके बाद आमंत्रित अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की.

कई बुजुर्ग हुए सम्मानित

इस दौरान अतिथि के रूप में 107 वर्षीय बुजुर्ग व्यक्ति रंजीत प्रधान, 92 वर्षीय मोतीलाल कर, 90 वर्षीय हीरालाल प्रमाणिक, 90 वर्षीय खईरू नायक, 92 वर्षीय उत्तम प्रधान, 89 वर्षीय बनवाली मंडल, 84 वर्षीय महेंद्र बेहरा, 84 वर्षीय ईश्वरी प्रधान, 81 वर्षीय सीताराम प्रधान, 82 वर्षीय कल्पो महानंद आदि को माला पहनाकर एवं पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया.

ओड़िशा के गांधी हैं पंडित गोपबंधु दास

इस मौके पर आमंत्रित अतिथियों ने अपने संबोधन में कहा कि उत्कलमणि पंडित गोपाबंधु दास का जन्म 9 अक्टूबर, 1877 को पुरी जिले के सुआंडो गांव में स्वर्णमयी देवी और दैतारी दास के घर हुआ था. उत्कलमणि गोपबंधु दास को उनकी निस्वार्थ सेवा और ओड़िशा में सामाजिक सुधार के लिए अपार योगदान के लिए ओड़िशा के गांधी के रूप में याद किया जाता है. पंडित गोपाबंधु दास ओड़िशा, झारखंड नहीं, बल्कि पूरे देश में अलग पहचान बनाये हैं.

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समारोह में इनकी रही मौजूदगी

वहीं, समारोह में उपस्थित समाज के बुद्धिजीवियों ने ओड़िया भाषा, समाज एवं संस्कृति की उत्थान को लेकर विस्तार पूर्वक विचार मंथन किया. समारोह को सफल बनाने में पूर्व प्रोफेसर नागेश्वर प्रधान, सरोज कुमार प्रधान, दिलीप कुमार प्रधान, पीके दास, सुशांत मोहंती, प्रवीण मिश्रा, कामाख्या प्रसाद साहू, केदारनाथ प्रधान, पिके नंदा, चितरंजन मोहाली, अंबिका चरण दीक्षित, मिहर प्रधान, बसंती महतो, पुष्प लता मंडल, यशोदा महतो, संगीता मोहंती, चिरंजीवी प्रधान, परेश प्रजापति आदि का सराहनीय योगदान रहा. मौके पर काफी संख्या में ओड़िया समाज के गणमान्य लोग मौजूद थे.

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