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झारखंड के इस क्षेत्र से कोई नहीं करता पलायन, बेरोजगारी हो गयी दूर, जानें कैसे आत्मनिर्भर हुई पंचायत

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खूंटी के कुदलूम पंचायत के किसी गांव से कोई पलायन नहीं करता. न ही यहां कोई बेरोजगार है. यहां के अधिकांश ग्रामीण आत्मनिर्भर हैं. यहां ग्रामसभा ही सर्वोपरि है. खूंटी के कर्रा प्रखंड स्थित इस पंचायत में कुल 11 गांव एवं 13 वार्ड हैं. यहां की आबादी 6,337 है. यह एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है

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बेरोजगारी और पलायन झारखंड की दो बड़ी समस्याएं हैं. लेकिन, अब माहौल धीरे-धीरे बदल रहा है. झारखंड के गांव आत्मनिर्भर हो रहे हैं. युवाओं को गांव में ही रोजगार मिल रहा है. इसकी वजह से पलायन पर रोक लग गयी है. यह सब सुशासन की वजह से हो पाया है. पंचायती राज व्यवस्था के कारण गांव और पंचायत का माहौल पूरी तरह से बदल गया है. इस पंचायत को सुशासन वाली पंचायत अवार्ड के लिए नॉमिनेट किया गया है.

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हम बात कर रहे हैं खूंटी के कुदलूम पंचायत की. इस पंचायत के किसी भी गांव से कोई भी व्यक्ति पलायन नहीं करता है. नही यहां कोई बेरोजगार है. यहां के अधिकांश ग्रामीण आत्मनिर्भर हैं. यहां ग्रामसभा ही सर्वोपरि है. खूंटी के कर्रा प्रखंड स्थित इस पंचायत में कुल 11 गांव एवं 13 वार्ड हैं. यहां की आबादी 6,337 है. यह एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है, जहां 90 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति की है. अनुसूचित जाति की 2 फीसदी एवं अन्य की 8 फीसदी आबादी यहां निवास करती है.

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पंचायत में एक उच्च विद्यालय, चार मध्य विद्यालय एवं 5 प्राथमिक विद्यालय हैं. 13 आंगनबाड़ी केंद्र, एक स्वास्थ्य उप केंद्र एवं तीन प्रज्ञा केंद्र हैं. कुदलूम पंचायत में प्रत्येक गांव में साप्ताहिक बैठक ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में होती है. इसमें गांव के प्रत्येक परिवार के सदस्यों की सहभागिता होती है. ग्राम सभा ही सर्वसम्मति से सभी समस्याओं का निष्पादन करती है. सोनमोर इस पंचायत की सबसे ज्यादा 1,000 से अधिक की आबादी वाला गांव है.

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सोनमेर की ग्राम सभा की सबसे बड़ी देन है सोनमेर मंदिर. सोनमेर गांव में सभी जाति, धर्म, समुदाय के लोग रहते हैं. यहां एक ही परिसर में मंदिर, सरना स्थल एवं गिरजा घर हैं. यह अनेकता में एकता का एक उदाहरण है. ग्राम सभा ने श्रम दान के जरिये मंदिर का निर्माण कराया. मंदिर बनने के बाद गांव में बेरोजगारी पूर्णतः दूर हो चुकी है. मंदिर परिसर में पूजन सामग्री की दुकानें, चाय-नाश्ता एवं खिलौने की दुकानें बनी हैं.

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सोनमेर मंदिर के आसपास बाहरी लोगों का व्यवसाय पूर्णतः वर्जित है. मंदिर में पूजा कराने के लिए गांव के पाहन की नियुक्ति ग्राम सभा करती है. उन्हें प्रतिदिन 350 रुपये मानदेय दिया जाता है. पंचायत को राज्य के अन्य पंचायतों की तरह की केंद्र और राज्य सरकार से सहायता मिलती है. 15 वें वित्त आयोग के तहत उपलब्ध राशि का उपयोग ग्राम सभा के माध्यम से उचित कार्य के लिए किया जाता है.

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राज्य सरकार द्वारा संचालित प्रायः सभी योजनाओं का लाभ पंचायत को मिलता है. जैसे कृषि ऋण माफी योजना, मुख्यमंत्री पशु विकास विकास योजना, मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना, वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना इत्यादि जैसी योजनाओं का सहयोग ग्राम पंचायत को प्राप्त होता है और ग्रामीण योजनाओं का लाभ लेते हैं.

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पंचायती राज विभाग की निदेशक निशा उरांव कहती हैं कि पंचायतों को सशक्त करके ही स्थानीय समस्याओं का स्थानीय लोगों की भागीदारी से बेहतर हल निकाला जा सकता है. कुदलुम की ग्राम पंचायत ने योजनाओं के सहभागी, ससमय और पारदर्शी क्रियान्वयन एवं सेवा उपलब्ध कराने में किये गये सराहनीय कार्य को राज्य की अन्य पंचायतों में क्रियान्वित करने का प्रयास किया जायेगा.

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