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नारद स्टिंग ऑपरेशन : ममता के मंत्रियों, तृणमूल विधायकों की गिरफ्तारी के बाद कोलकाता में सीबीआइ कार्यालय के बाहर पत्थरबाजी, लाठीचार्ज

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नारद स्टिंग ऑपरेशन : तृणमूल विधायकों की गिरफ्तारी के बाद सीबीआइ कार्यालय के समर्थकों ने की पत्थरबाजी

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कोलकाताः बंगाल के बहुचर्चित नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में सीबीआइ की कार्रवाई के विरोध में ममता बनर्जी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के कोलकाता स्थित कार्यालय में धरना पर बैठीं थीं और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता निजाम पैलेस के बाहर जमकर पत्थरबाजी कर रहे थे. ममता बनर्जी कैबिनेट के मंत्रियों, तृणमूल विधायकों की गिरफ्तारी के विरोध में टीएमसी के सपोर्टर्स ने पत्थर, शीशे, लाठी-डंडों से हमला कर दिया. बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों ने निजाम पैलेस के मेन गेट को तोड़ने की भी कोशिश की.

केंद्रीय बलों के जवानों ने किसी तरह अपनी जान बचायी. इस दौरान कोलकाता पुलिस के जवान मूकदर्शक बने रहे. बताया जाता है कि 15 से 20 मिनट तक पत्थरबाजी होती रही. इसके बाद केंद्रीय बलों के जवानों ने लाठी से प्रदर्शनकारियों को खदेड़ दिया. इसके बाद कोलकाता पुलिस के जवान वहां पहुंचे और निजाम पैलेस के बाहर एक बैरिकेड लगाकर वहां मोर्चा संभाल लिया. दूसरी ओर, निजाम पैलेस के गेट के अंदर केंद्रीय बलों के जवानों ने बैरिकेड लगाकर वहां मोर्चा संभाल रखा था.

ज्ञात हो कि सीबीआइ ने ममता बनर्जी की कैबिनेट के दो मंत्रियों समेत चार बड़े नेताओं को सोमवार की सुबह गिरफ्तार कर लिया. सुबह-सुबह सीबीआइ की एक टीम केंद्रीय बल के जवानों के साथ सबसे पहले चेतला स्थित बंगाल के मंत्री फिरहाद हकीम के आवास पर गयी. घर के अंदर ही उन्हें घेर लिया गया. थोड़ी देर बाद सीबीआइ की टीम हकीम को लेकर बाहर निकली और गाड़ी में बैठाकर अपने साथ ले गयी.

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राज्य के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी, पूर्व मंत्री मदन मित्रा और कोलकाता के पूर्व मेयर तथा एक दौर में ममता बनर्जी के खास रहे शोभन चटर्जी को भी सीबीआइ की टीम ने गिरफ्तार कर लिया है. शोभन चटर्जी लोकसभा चुनाव के बाद ममता बनर्जी का साथ छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये थे. विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद एक बार फिर वह पार्टी से इस्तीफा देकर ममता बनर्जी का गुणगान करने लगे थे.

केंद्रीय जांच एजेंसी के सूत्रों ने बताया कि इन नेताओं को पूछताछ के लिए बार-बार नोटिस के बावजूद जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे. इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया है. उधर, मंत्री फिरहाद ने दावा किया कि विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति के बगैर उन्हें गिरफ्तार किया गया है. हालांकि, जांच एजेंसी के सूत्रों ने बताया कि जब राज्य विधानसभा का सत्र शुरू नहीं हुआ था, तभी हकीम समेत गिरफ्तार किये गये सभी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी थी.

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सीबीआइ ने कहा कि उस समय नियमानुसार राज्यपाल की अनुमति की आवश्यकता थी और गवर्नर जगदीप धनखड़ ने मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति दे दी है. इसलिए विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति की जरूरत नहीं है. ज्ञात हो कि वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने नारद स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो जारी किया था. इसमें सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के कई बड़े नेता कैमरे के सामने पांच लाख रुपये घूस लेकर एक फर्जी कंपनी को कारोबार में मदद करने का आश्वासन देते नजर आये थे.

एक फर्जी कंपनी के सीइओ बने नारद न्यूज पोर्टल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मैथ्यू सैमुअल ने यह स्टिंग ऑपरेशन किया था. स्टिंग ऑपरेशन में हकीम का जो वीडियो सामने आया था, उसमें वे कह रहे हैं कि पांच लाख रुपये से क्या होगा? बाल बच्चे हैं. यह तो बहुत कम है और देना होगा.

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CBI पांच साल से कर रही मामले की जांच

पिछले पांच साल से सीबीआइ इस मामले की जांच कर रही थी. इस मामले में यह पहला मौका है, जब किसी आरोपी को गिरफ्तार किया गया है. इस स्टिंग ऑपरेशन में तृणमूल कांग्रेस के कई बड़े नेता फंसे थे. इसमें मुकुल राय और शुभेंदु अधिकारी शामिल हैं, जो फिलहाल भारतीय जनता पार्टी में हैं. शुभेंदु अधिकारी राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं. तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि इस मामले में भाजपा में जा चुके नेताओं के खिलाफ सीबीआइ कोई एक्शन नहीं लेती.

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Posted By: Mithilesh Jha

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