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वाराणसी: रणदीप सिंह सुरजेवाला की मुश्किलें बढ़ी, 23 साल पुराने मामले में गैर जमानती वारंट जारी, 9 जून को पेशी

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कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरेजावाला को 23 साल पुराने मामले में कोर्ट से झटका लगा है. वाराणसी की एमपी एमएलए कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. इससे पहले इस मामले को निरस्त करने की उनकी अपील भी हाईकोर्ट से खारिज हो चुकी है.

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Varanasi: कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राज्य सभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के खिलाफ 23 साल पुराने मामले में वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया है. इस मामले में सुरेजवाला पर चक्का जाम, मुख्यालय पर प्रदर्शन और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने का आरोप है.

वहीं कोर्ट ने रणदीप सिंह सुरजेवाला को हाजिर होने का भी आदेश दिया है. मामले में अगली सुनवाई नौ जून को होगी. इससे पहले हाईकोर्ट इस मामले को रद्द करने से इनकार कर चुका है. कोर्ट ने सुरजेवाला को आरोपमुक्त करने की उन्मोचन अर्जी यानी डिस्चार्ज एप्लीकेशन ट्रायल कोर्ट के सामने दाखिल करने की छूट दी है.

एमपी-एमएलए कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी के मुताबिक अदालत के पहले के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में उन्होंने याचिका दाखिल की है. उसके निस्तारण तक आरोप से मुक्त करने के प्रार्थना पत्र को दाखिल करने का समय दिया जाए.

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एमपी-एमएलए कोर्ट ने कहा कि आरोपी को पहले हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर न्याय हित में अंतिम अवसर दिया जा चुका है. इसलिए उसके प्रार्थना पत्र को स्वीकार करने का पर्याप्त आधार नहीं है. इसलिए कोर्ट ने आरोपी का प्रार्थना पत्र निरस्त कर गैर जमानती वारंट जारी किया.

मामले के मुताबिक कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के खिलाफ वर्ष 2000 में वाराणसी के कैंट थाने में आईपीसी की धारा 147, 332, 353, 336, 333, 427 और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम की धारा तीन के तहत मामला दर्ज किया गया था. इसमें कहा गया कि 21 अगस्त 2000 को युवा कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष रणदीप सुरेजवाला ने अन्य नेताओं के साथ आयुक्त के कार्यालय परिसर में जबरन घुसकर हंगामा किया और सरकारी कर्मियों के साथ मारपीट की.

वाराणसी के बहुचर्चित संवासिनी कांड में कांग्रेस नेताओं को फर्जी ढंग से आरोपी बनाए जाने का आरोप इस उग्र प्रदर्शन के बाद पुलिस ने रणदीप सिंह सुरजेवाला और एसपी गोस्वामी सहित कांग्रेस के अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था.

इसके बाद मामले में नामजद एफआईआर दर्ज की गई. इसे रद्द करने की रणदीप सिंह सुरजेवाला की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहले ही खारिज हो चुकी है. वहीं उनके अधिवक्ता का कहना है कि राज्यसभा सदस्य का नाम प्राथमिकी में नहीं है. गिरफ्तारी प्रपत्र और केस डायरी में भी उनका नाम नहीं है. इसके बावजूद उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया. इसी आधार पर प्रार्थना पत्र देकर मामले से अलग करने का अनुरोध कोर्ट से किया गया.

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