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Mokshda Ekadashi 2021: इस दिन है मोक्षदा एकादशी, जानें इसका महत्व और पूजन विधि

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Mokshada Ekadashi December 2021: मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष एकादशी मोक्षदा एकादशी कही जाती है. इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना की जाती है.

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Mokshda Ekadashi 2021: हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है, इस दिन व्रत भी रखा जाता है. मोक्षदा एकादशी के दिन ही हर वर्ष गीता जयंती (Geeta Jayanti) भी मनाई जाती है. मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की आराधना की जाती है और व्रत रखा जाता है.

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मोक्षदा एकादशी पूजा शुभ मुहूर्त

पंचांग अनुसार, मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi 2021) सोमवार 13 दिसंबर को रात्रि 9 बजकर 32 मिनट पर शुरू होकर 14 दिसंबर को रात में 11 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी. अतः साधक 14 दिसंबर को दिनभर भगवान श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना कर सकते हैं.

मोक्षदा एकादशी पूजा विधि (Mokshada Ekadashi 2021 Puja Vidhi)

1. मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi 2021) व्रत से एक दिन पूर्व दशमी तिथि को दोपहर में एक बार भोजन करें. ध्यान रहे कि रात्रि में भोजन नहीं करना है.

2. एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें.

3. व्रत का संकल्प लेने के बाद धूप,दीप और नैवेद्य आदि अर्पित करते हुए भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें.

4. रात्रि में भी पूजा और जागरण करना चाहिए.

5. एकादशी के अगले दिन द्वादशी को पूजन के बाद जरुरतमंद व्यक्ति को भोजन व दान से विशेष लाभ मिलता है.

मोक्षदा एकादशी का महत्व

मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi 2021) का अर्थ है मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी. इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है. आप इस एकादशी के पुण्य लाभ को अपने पितरों को अर्पित करके उनको मोक्ष दिलाने का प्रयास कर सकते हैं. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही भगवान श्रीकृष्ण ने अजुर्न को गीता का उपदेश दिया था, इसलिए मोक्षदा एकादशी का महत्व और बढ़ जाता है.

मोक्षदा एकादशी की कथा (Mokshda Ekadashi Vrat 2021)

एक समय गोकुल नगर में वैखानस नामक राजा राज्य करता था. एक रोज राजा ने सपने में देखा कि उसके पिता नरक में हैं, और अपने पुत्र से उद्धार की गुहार लगा रहे हैं. पिता कि दशा देखकर राजा परेशान हो गया. अगले दिन राजा ने ब्राह्मणों को बुलाकर अपने सपने का भेद पूछा. तब ब्राह्मणों ने उनको बताया कि इस संबंध में पर्वत नामक मुनि के आश्रम पर जाकर अपने पिता के उद्धार का उपाय पूछो. राजा ने ऐसा ही किया. जब पर्वत मुनि ने राजा की बात सुनी तो वे चिंतित हो गए.

उन्होंने राजा से कहा कि पूर्वजन्मों के कर्मों की वजह से उनके पिता को नर्कवास प्राप्त हुआ है और उन्होंने मोक्षदा एकादशी के व्रत के बारे में बताया. उन्होंने राजा को बताया कि व्रत का फल अपने पिता को अर्पण करो, तो उनकी मुक्ति हो सकती है. राजा ने फिर मुनि के कथनानुसार ही मोक्षदा एकादशी का व्रत किया और ब्राह्मणों को भोजन आदि करवाया, जिससे राजा के पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई.

Posted By: Shaurya Punj

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