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विधायक महेंद्र सिंह हत्याकांड में CBI जांच की गति बेहद धीमी, 17 साल में 18 को ही कोर्ट में कर पायी पेश

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माले विधायक महेंद्र सिंह हत्याकांड के जांच की गति बेहद धीमी है, सीबीआइ 17 साल में केवल 18 गवाहों की ही गवाही करा पायी है. जबकि इस मामले में एक भी चश्मदीद गवाह को पेश नहीं कर पायी है

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धनबाद : बगोदर के तत्कालीन विधायक महेंद्र सिंह हत्या की जांच की गति बेहद धीमी है. इस मामले में 75 लोगों को गवाह बनाया गया है, लेकिन मामले की जांच कर रही सीबीआइ 17 साल में केवल 18 गवाहों की ही गवाही करा पायी है. कोई चश्मदीद गवाह भी अब तक कोर्ट में पेश नहीं किया जा सका है.

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नक्सलियों ने 16 जनवरी 2005 को महेंद्र सिंह की हत्या कर दी थी. उस दिन वे चुनावी दौरे के क्रम में सरिया थाना क्षेत्र के दुर्गी धवैया से लौट रहे थे. 27 फरवरी 2005 को इस हत्याकांड की जांच सीबीआइ लखनऊ क्राइम ब्रांच ने शुरू की. सीबीआइ ने 22 दिसंबर 2009 को पहली चार्जशीट दायर की. 16 दिन बाद यानी सात जनवरी 2010 को सीबीआइ टीम ने इस मामले में दूसरी चार्जशीट दायर की.

19 सितंबर 2011 को इस मामले में सीबीआइ के विशेष कोर्ट में आरोप गठन हुआ. इसके बाद ट्रायल शुरू हुआ. अभी गवाही की प्रक्रिया चल रही है. सूत्रों के अनुसार, 18 फरवरी 2022 तक सीबीआइ की तरफ से विशेष न्यायालय में केवल 18 गवाहों की गवाही करायी जा सकी है. अब भी 57 की गवाही बाकी है.

अंतिम गवाही 16 सितंबर 2019 को हुई थी. इसके बाद पिछले दो वर्ष से अधिक समय के दौरान कोई गवाह नहीं पेश किया जा सका. हालांकि, इस अवधि में कोविड-19 के कारण लंबे समय तक कोर्ट में फिजिकल सुनवाई बंद ही रही. सूत्रों के अनुसार, अब तक किसी भी गवाह का प्रति परीक्षण (क्रॉस एग्जामिनेशन) भी नहीं हो पाया है.

तीन लोगों पर चार्जशीट, एक आरोपी की हो चुकी मौत :

गौरतलब है कि सीबीआइ ने इस हत्याकांड में तीन लोगों को नामजद आरोपी बनाया है. इसमें संकीण दा उर्फ रमेश मंडल फिलहाल गिरिडीह केंद्रीय कारा में बंद है. उसने कोर्ट में जमानत याचिका दायर की है. इस मामले में सीबीआइ ने उसे 20 नवंबर 2017 को गिरिडीह केंद्रीय कारा में ही रिमांड किया. उसके बाद से संकीण दा उर्फ रमेश मंडल जेल में ही बंद है. दूसरा आरोपी कुणाल कौशल फिलहाल जमानत पर है. तीसरे आरोपी रामचंद्र महतो की मौत हो चुकी है. इस मामले में सभी आरोपियों पर धारा 302 एवं 201 के तहत मुकदमा चल रहा है.

Posted By : Sameer Oraon

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